शोभना शर्मा। केन्द्रीय प्रवर्तित डेयरी विकास योजना के अंतर्गत राज्य स्तरीय तकनीकी प्रबन्ध समिति (SLTMC) की बैठक में 40 करोड़ रुपये से अधिक की नई परियोजनाओं की सिफारिश की गई है। इस बैठक का आयोजन पशुपालन एवं गोपालन शासन सचिव डॉ. समित शर्मा की अध्यक्षता में किया गया, जिसमें दूध एवं दुग्ध उत्पादों की जांच के लिए अत्याधुनिक उपकरणों की खरीद हेतु 5 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत करने की सिफारिश की गई। इस प्रस्ताव को भारत सरकार के प्रतिनिधि ने सैद्धांतिक सहमति भी दी है।
परियोजनाओं की सिफारिश और गुणवत्ता सुधार के निर्देश
बैठक में गोपालन सचिव डॉ. समित शर्मा ने राज्य के जिला दुग्ध संघों के प्रबंधकों को स्पष्ट निर्देश दिए कि दूध एवं दुग्ध उत्पादों की गुणवत्ता में कोई समझौता नहीं होना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि उपभोक्ताओं को उच्च गुणवत्ता वाला दूध मिलना चाहिए, और यह उनका अधिकार है।
राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फैडरेशन की प्रबन्ध संचालक श्रुति भारद्वाज ने जानकारी दी कि राज्य के ग्रामीण अंचलों में स्थित प्राथमिक दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों पर 135 नए बल्क मिल्क कूलर लगाने का निर्णय लिया गया है। इन कूलर्स के माध्यम से दूध की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद है।
विभिन्न जिलों में परियोजनाएं
बैठक में पाली जिले के तहत डेयरी संकलन, विपणन, प्रशिक्षण, और क्षमता विस्तार के लिए 16.41 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है। इस परियोजना को निर्धारित समय सीमा में पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं।
इसी तरह, उदयपुर जिले के लिए 8 करोड़ रुपये, भीलवाड़ा के लिए 8.40 करोड़ रुपये, और जोधपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में समग्र डेयरी विकास के लिए 23.15 करोड़ रुपये की सिफारिश की गई है।
बैठक में प्रमुख अधिकारियों की उपस्थिति
इस बैठक में डेयरी फैडरेशन के वरिष्ठ अधिकारी, जिला दुग्ध संघों के प्रबंध संचालक, पशुपालन विभाग के निदेशक भवानी सिंह, और भारत सरकार के प्रतिनिधि नरेश कुमार यादव भी उपस्थित रहे।
इन सभी परियोजनाओं का उद्देश्य राज्य में दुग्ध उत्पादकों और उपभोक्ताओं के लिए गुणवत्ता में सुधार लाना है। साथ ही, अत्याधुनिक उपकरणों के उपयोग से दूध और दुग्ध उत्पादों की जांच प्रक्रिया को बेहतर बनाया जाएगा, जिससे उपभोक्ताओं को उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद प्राप्त होंगे।