मनीषा शर्मा। राजस्थान विधानसभा के सत्र में डेगाना से भाजपा विधायक अजय सिंह किलक ने नागौर जिला पुलिस अधीक्षक नारायण टोगस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने एसपी टोगस को घमंडी और व्यक्तिगत दुर्भावना रखने वाला अधिकारी बताया। विधायक किलक ने नागौर पुलिस पर अवैध बजरी खनन में संलिप्तता और रिश्वतखोरी का आरोप लगाते हुए कहा कि जिले का थांवला थाना सबसे भ्रष्ट थाना बन चुका है। उन्होंने बताया कि थानाधिकारी और अन्य पुलिसकर्मी अवैध बजरी परिवहन के प्रत्येक डंपर से बंधी लेते हैं।
नागौर एसपी पर घमंड और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने का आरोप
विधानसभा में बोलते हुए विधायक अजय सिंह किलक ने कहा कि जब क्षेत्र के वैध लीजधारकों ने उनसे संपर्क किया, तब उन्होंने स्वयं नागौर एसपी नारायण टोगस को इस अवैध गतिविधि की जानकारी दी। जब विधायक ने एसपी को बताया कि थानाधिकारी मोटी रिश्वत ले रहा है, तब एसपी ने जवाब दिया कि “मैं रिश्वत नहीं लेता।” इस पर विधायक किलक ने कहा, “मैं भी रिश्वत नहीं लेता, लेकिन आपके थानाधिकारी जमकर रिश्वतखोरी कर रहे हैं।” इसके बावजूद एसपी टोगस ने कोई कार्रवाई नहीं की, जिसके चलते विधायक को मुख्यमंत्री तक इस मामले की शिकायत करनी पड़ी।
मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद हुई कार्रवाई
जब यह मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में आया, तब जाकर थांवला थानाधिकारी को हटाया गया। हालांकि, इसके बावजूद लीजधारकों को परेशान किया जाता रहा। जब अजमेर आईजी ओमप्रकाश तक यह शिकायत पहुंची, तब उन्होंने इस मामले की जांच के लिए डिकॉय ऑपरेशन करवाया। 18 फरवरी को आईजी के निर्देश पर चार पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर किया गया और तत्कालीन थानाधिकारी सूरजमल को 17 सीसीए नोटिस दिया गया।
थानाधिकारी सूरजमल पर गंभीर आरोप
विधायक किलक ने यह भी आरोप लगाया कि थांवला थाने में अवैध बजरी परिवहन की बंधी से मिले धन का उपयोग कर तत्कालीन थानाधिकारी सूरजमल ने 32-35 बीघा जमीन खरीद ली।
यह जमीन बेनामी तरीके से अन्य लोगों के नाम पर खरीदी गई।
इस जमीन की पावर ऑफ अटॉर्नी भी सूरजमल के पास थी।
विधायक ने मांग की कि इस संपत्ति की पूरी जांच की जाए और यह देखा जाए कि क्या यह अवैध धन से खरीदी गई है।
एसपी टोगस पर भी जांच की मांग
विधानसभा में विधायक किलक ने जोर देकर कहा कि नागौर एसपी अपने घमंड में काम कर रहे हैं और पुलिसकर्मियों को भ्रष्टाचार करने की खुली छूट दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि थांवला थाने में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच चुका है, लेकिन एसपी नारायण टोगस ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इसलिए, विधायक किलक ने मांग की कि अवैध बजरी परिवहन में पुलिस की मिलीभगत की जांच स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) से कराई जाए ताकि इस पूरे नेटवर्क का खुलासा हो सके।
क्या होगी सरकार की कार्रवाई?
डेगाना विधायक के आरोपों ने नागौर जिले में पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यदि एसओजी से जांच होती है, तो इसमें कई और अधिकारियों व पुलिसकर्मियों की संलिप्तता उजागर हो सकती है। अब देखना होगा कि सरकार इस मांग को कितना गंभीरता से लेती है और क्या नागौर पुलिस के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई होती है या नहीं।