शोभना शर्मा। आज के समय में क्रेडिट कार्ड (Credit Card) हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। ऑनलाइन शॉपिंग, ईएमआई (EMI) और कैशबैक (Cashback) ऑफर्स के कारण लोग इनका इस्तेमाल बहुत ज्यादा करने लगे हैं। शुरुआत में सब आसान लगता है क्योंकि आपको तुरंत कैश की जरूरत नहीं पड़ती और आप खरीदारी का मजा ले सकते हैं। लेकिन जैसे ही बिल समय पर नहीं चुकता, तो समस्या शुरू हो जाती है।
भारत में क्रेडिट कार्ड का ब्याज सालाना 36% से 42% तक हो सकता है। यह दर किसी भी अन्य लोन से कहीं ज्यादा होती है। इसलिए अगर आप समय पर भुगतान नहीं कर पाए तो कर्ज का बोझ दिन-ब-दिन बढ़ता जाएगा और आप कर्ज के जाल में फंस सकते हैं। यही कारण है कि क्रेडिट कार्ड का कर्ज चुकाना बेहद जरूरी है। अब सवाल यह उठता है कि आखिर इस कर्ज से छुटकारा कैसे पाया जाए? इसके लिए कुछ आसान और कारगर तरीके हैं, जिन्हें अपनाकर आप धीरे-धीरे कर्ज को खत्म कर सकते हैं।
पहला कदम: बजट बनाना जरूरी
क्रेडिट कार्ड कर्ज से निकलने का सबसे पहला और जरूरी कदम है बजट बनाना। जब तक आप अपनी आय और खर्चों को स्पष्ट रूप से नहीं समझेंगे, तब तक कर्ज चुकाने की सही योजना नहीं बना पाएंगे।
अपनी मासिक आय और खर्चों को लिखकर रखें।
अनावश्यक खर्चों जैसे बाहर खाना, ऑनलाइन शॉपिंग, अनावश्यक यात्रा को तुरंत कम करें।
हर महीने तय करें कि कुल इनकम का कितना हिस्सा कर्ज चुकाने के लिए रखा जाएगा।
अगर आप छोटे-छोटे खर्चों पर रोक लगा देंगे, तो बड़ी बचत कर पाएंगे और उसी पैसे से धीरे-धीरे कर्ज उतारा जा सकता है।
केवल ‘मिनिमम ड्यू पेमेंट’ से बचें
क्रेडिट कार्ड कंपनियां अक्सर आपको न्यूनतम भुगतान (Minimum Due Payment) करने की सुविधा देती हैं। लेकिन यह एक जाल है। अगर आपने केवल इतना ही भुगतान किया तो असली कर्ज जस का तस रहेगा और ब्याज लगातार बढ़ता जाएगा।
कोशिश करें कि हर महीने कम से कम 70-80% तक का बिल चुका दें।
यदि संभव हो तो पूरा बकाया राशि एक साथ चुका दें ताकि अतिरिक्त ब्याज न लगे।
याद रखिए, केवल न्यूनतम भुगतान करने से कर्ज कभी खत्म नहीं होता, बल्कि बढ़ता ही जाता है।
बैलेंस ट्रांसफर का फायदा उठाइए
अगर आपके पास एक से ज्यादा क्रेडिट कार्ड हैं और किसी एक पर कर्ज बहुत ज्यादा हो गया है, तो बैलेंस ट्रांसफर (Balance Transfer) का विकल्प चुन सकते हैं।
कई बैंक शुरुआती 6 से 12 महीनों तक 0% या बहुत कम ब्याज दर पर बैलेंस ट्रांसफर का ऑफर देते हैं।
इसका फायदा यह है कि आपको बिना ब्याज दिए कुछ समय मिल जाता है जिसमें आप धीरे-धीरे कर्ज को चुका सकते हैं।
लेकिन ध्यान रखें, बैलेंस ट्रांसफर का उपयोग तभी करें जब आपको यकीन हो कि आप निर्धारित समय में कर्ज चुका देंगे।
पर्सनल लोन बन सकता है समाधान
क्रेडिट कार्ड का ब्याज 36-42% सालाना तक होता है, जबकि पर्सनल लोन (Personal Loan) की ब्याज दर 10-18% सालाना होती है। यानी पर्सनल लोन से आप कम ब्याज में क्रेडिट कार्ड कर्ज चुका सकते हैं।
इससे आपको एक निश्चित EMI तय करनी होती है, जिसे आसानी से चुकाया जा सकता है।
यह विकल्प तब बेहतर है जब आपके पास ज्यादा कर्ज हो और उसे लंबे समय तक चुकाने की योजना बनानी हो।
पर्सनल लोन लेने से आप महंगे ब्याज से छुटकारा पा सकते हैं और वित्तीय दबाव भी कम कर सकते हैं।
नया कार्ड और नई खरीदारी रोकें
जब तक आपका पुराना कर्ज पूरी तरह खत्म नहीं हो जाता, तब तक किसी भी नए क्रेडिट कार्ड से खरीदारी न करें।
यदि आप नए कार्ड से खर्च करेंगे तो पुराना कर्ज चुका ही नहीं पाएंगे और नया बोझ भी बढ़ जाएगा।
कोशिश करें कि केवल नकद लेन-देन या डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करें।
छोटे-छोटे कदम, बड़ा असर
कर्ज चुकाने के लिए जरूरी है कि आप रोजमर्रा की जिंदगी में छोटे-छोटे बदलाव लाएं।
हर महीने का बजट लिखें।
केवल जरूरी खर्च ही करें।
जिस कार्ड पर सबसे ज्यादा ब्याज है, उसका कर्ज पहले चुकाना शुरू करें।
EMI और ऑटो-डेबिट अलर्ट लगाएं ताकि भुगतान में देरी न हो।
सैलरी का एक हिस्सा सीधे कर्ज चुकाने के लिए निर्धारित करें।
क्रेडिट कार्ड कर्ज से निकलना मुश्किल जरूर लगता है, लेकिन सही योजना और अनुशासन से यह संभव है। सबसे पहले अपने खर्चों पर लगाम लगाइए, फिर बजट बनाकर कर्ज चुकाने की रणनीति अपनाइए। बैलेंस ट्रांसफर और पर्सनल लोन जैसे विकल्पों का सही समय पर इस्तेमाल कीजिए। याद रखिए, क्रेडिट कार्ड जरूरत के लिए है, शौक के लिए नहीं। अगर समझदारी से इस्तेमाल किया जाए तो यह फायदेमंद है, लेकिन लापरवाही आपको कर्ज के दलदल में धकेल सकती है।