शोभना शर्मा। भारत को शुक्रवार को उसका 15वां उपराष्ट्रपति मिल गया। सीपी राधाकृष्णन ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित गरिमामय समारोह में उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली। उन्हें राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह समेत केंद्र सरकार के कई वरिष्ठ मंत्री और भाजपा के बड़े नेता मौजूद रहे।
इस समारोह में सबसे खास क्षण वह था जब पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी नजर आए। इस्तीफे के बाद यह उनकी पहली सार्वजनिक उपस्थिति रही। वे समारोह में पहली कतार में बैठे दिखे। उनके साथ पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और हामिद अंसारी भी मौजूद थे। राष्ट्रपति भवन के अशोक हॉल में शपथ ग्रहण कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगान से हुई। इसके बाद चुनाव आयोग द्वारा राधाकृष्णन के निर्वाचन का प्रमाण पत्र पढ़ा गया और फिर उन्हें राष्ट्रपति ने शपथ दिलाई।
धनखड़ का इस्तीफा और राधाकृष्णन का चुनाव
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई, जिसमें भाजपा और एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया।
चुनाव में राधाकृष्णन ने विपक्षी उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को हराया। उन्हें कुल 452 प्रथम वरीयता वोट मिले, जबकि रेड्डी को 300 वोट ही प्राप्त हुए। इस जीत ने राधाकृष्णन का मार्ग प्रशस्त किया और वे देश के 15वें उपराष्ट्रपति बने।
आरएसएस से राजनीति तक का सफर
सीपी राधाकृष्णन का जन्म तमिलनाडु के तिरुप्पुर में हुआ। वे शुरुआती दौर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के स्वयंसेवक बने और वहीं से उनके सार्वजनिक जीवन की शुरुआत हुई। वर्ष 1974 में वे जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी समिति के सदस्य बने। राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाते हुए 1996 में उन्हें भाजपा का राज्य सचिव बनाया गया।
साल 1998 में राधाकृष्णन पहली बार कोयंबटूर से लोकसभा पहुंचे और 1999 में वे दूसरी बार सांसद चुने गए। आगे चलकर उन्होंने भाजपा संगठन में भी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाईं।
संगठन और राज्यपाल का अनुभव
साल 2004 से 2007 तक सीपी राधाकृष्णन भाजपा तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष रहे। इसके बाद 2020 से 2022 तक उन्हें केरल भाजपा का प्रभारी बनाया गया। संगठनात्मक जिम्मेदारियों के बाद उन्हें संवैधानिक पद भी सौंपे गए।
18 फरवरी 2023 को राधाकृष्णन को झारखंड का राज्यपाल नियुक्त किया गया। इसके बाद 31 जुलाई 2024 को उन्होंने महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में शपथ ली और उपराष्ट्रपति चुने जाने तक इस पद पर बने रहे।
उपराष्ट्रपति पद पर नई जिम्मेदारी
भारत के 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में सीपी राधाकृष्णन अब राज्यसभा के सभापति भी होंगे। यह भूमिका उन्हें देश की विधायी प्रक्रिया में और अधिक सक्रिय एवं महत्वपूर्ण बनाएगी। संसद में सदन की कार्यवाही का संचालन, विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच संतुलन साधना तथा लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखना उनकी प्रमुख जिम्मेदारियां होंगी।