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रैवासा धाम के 18वें पीठाधीश्वर राजेंद्र दास महाराज की चादरपोशी

रैवासा धाम के 18वें पीठाधीश्वर राजेंद्र दास महाराज की चादरपोशी

शोभना शर्मा।  रैवासा धाम में आज (15 सितंबर 2014) को एक भव्य समारोह में राजेंद्र दास महाराज की चादरपोशी की जाएगी, जिसके बाद वे सीकर स्थित भगवान राम के प्राचीनतम मंदिर जानकीनाथ मंदिर के 18वें पीठाधीश्वर बन जाएंगे। रैवासा पीठ का यह मंदिर 1517 में स्थापित हुआ था, और इसे भगवान राम और सीता की आराधना के केंद्र के रूप में महत्वपूर्ण माना जाता है। इस भव्य आयोजन के लिए मंदिर की भूमि पर करीब डेढ़ बीघा का बड़ा पंडाल बनाया गया है, जहां देशभर के संत-महंतों का आगमन हो चुका है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, योग गुरु स्वामी रामदेव, और बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री जैसे प्रमुख धर्मगुरुओं की उपस्थिति की भी संभावना है।

रैवासा पीठ का इतिहास और आध्यात्मिक महत्व

रैवासा धाम का जानकीनाथ मंदिर न केवल राजस्थान, बल्कि पूरे भारत में धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखता है। इसे श्रीराम और सीता की मधुरोपासना के लिए जाना जाता है, जो पीठ के संस्थापक अग्रदेवाचार्य द्वारा शुरू की गई थी। माना जाता है कि अग्रदेवाचार्य को साक्षात सीताजी के दर्शन हुए थे, जो इस पीठ के ऐतिहासिक महत्व को और बढ़ाता है।

रैवासा धाम न केवल धार्मिक गतिविधियों का केंद्र है, बल्कि इसका सांस्कृतिक और शैक्षणिक योगदान भी महत्वपूर्ण है। इस पीठ के संस्थापकों ने राजस्थान और उत्तर भारत में वेदों और शास्त्रों के अध्ययन और प्रचार-प्रसार के लिए कई संस्थानों की स्थापना की है।

कार्यक्रम की तैयारियां और चादरपोशी की रस्म

रैवासा पीठ के ट्रस्टी आशीष तिवाड़ी ने बताया कि चादरपोशी की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 11 बजे होगी और यह तीन से चार घंटे तक चलेगा। इस दौरान प्रमुख महंत और संतगण विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना करेंगे और राजेंद्र दास महाराज की चादरपोशी करेंगे।

इसके पहले शनिवार रात को रैवासा धाम में एक भव्य जागरण का आयोजन किया गया, जिसमें भक्तों ने भक्ति गीतों के साथ रात भर जागरण किया। रविवार को इस कार्यक्रम के बाद मंदिर परिसर में एक भव्य भंडारा आयोजित किया जाएगा।

महंत राघवाचार्य की वसीयत और उत्तराधिकारी की घोषणा

रैवासा पीठ के पूर्व पीठाधीश्वर डॉ. स्वामी राघवाचार्य का निधन 30 अगस्त 2015 को हुआ था। उनके निधन के बाद उनकी वसीयत के अनुसार, राजेंद्र दास महाराज को पीठ का उत्तराधिकारी घोषित किया गया था। स्वामी राघवाचार्य, जो वेदांत के गोल्ड मेडलिस्ट थे, ने 30 नवंबर 2015 को अपनी वसीयत में राजेंद्र दास महाराज को रैवासा पीठ का उत्तराधिकारी बनाया था।

इस वसीयत को 30 अगस्त को मंदिर परिसर में राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने संतों और अन्य धार्मिक विद्वानों के सामने पढ़कर सुनाया था। वसीयत के अनुसार, राघवाचार्य ने राजेंद्र दास देवाचार्य मलूक पीठाधीश्वर (वंशीवट, वृंदावन धाम) को रैवासा धाम का पीठाधीश्वर घोषित किया।

रैवासा धाम के नए पीठाधीश्वर राजेंद्र दास महाराज कौन हैं?

राजेंद्र दास महाराज एक प्रसिद्ध आचार्य, कथावाचक, और सनातन धर्म के प्रचारक हैं। उनका जन्म मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ जिले के अचर्रा गांव में हुआ था। वे वृंदावन के प्रसिद्ध मलूक पीठ (वंशीवट, गोदाविहार) के पीठाधीश्वर भी हैं। उनके नेतृत्व में मलूक पीठ सनातन धर्म के प्रचार, शास्त्र सेवा, साधु सेवा, और गौ सेवा के लिए सक्रिय है। राजेंद्र दास महाराज का मानना है कि जब घर-घर में गौ सेवा होगी, तब देश में अच्छे दिन अवश्य आएंगे। उनके उपदेश और भक्ति प्रवचन में आध्यात्मिक चिंतन और जीवन में शांति का संदेश निहित है।

36 साल से लगातार जारी रामधुनी

जानकीनाथ मंदिर की एक और विशेषता यहां होने वाली 24 घंटे की रामधुनी है, जो पिछले 36 सालों से लगातार चल रही है। यह रामधुनी दिन-रात बिना रुके जारी रहती है, और इसके लिए पीठ के साधु-संत और शिष्य आठ-आठ घंटे के स्लॉट में अपनी सेवा देते हैं। यह अद्वितीय परंपरा मंदिर के आध्यात्मिक महत्व को और भी बढ़ाती है।

रैवासा पीठ के अब तक के पीठाधीश्वर

रैवासा धाम के अब तक कई महान संतों ने इस पीठ का नेतृत्व किया है। उनमें अग्रदेवाचार्य जी महाराज, विनोदाचार्य जी महाराज, ध्यानदास जी महाराज, चरणदास जी महाराज, बालकृष्ण दास जी महाराज, और डॉ. स्वामी राघवाचार्य जैसे संत शामिल हैं। इन संतों ने न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से पीठ का नेतृत्व किया, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक सुधारों में भी योगदान दिया।

संत-महात्माओं की उपस्थिति

चादरपोशी के इस ऐतिहासिक आयोजन में देशभर से कई संत और महात्मा उपस्थित होंगे। इनमें प्रमुख रूप से घाना पीठाधीश्वर महंत बजरंग देवाचार्य तापड़िया धाम, महामंडलेश्वर सियारामदास गलता गेट, महंत अलबेली माधुरीशरण, और महंत राजूदास हनुमानगढ़ी शामिल हैं। इसके अलावा, अखाड़ा परिषद के प्रवक्ता गौरीशंकर दास और महामंडलेश्वर ओमकार दास चित्रकूट भी इस अवसर पर मौजूद रहेंगे।

रैवासा धाम का भविष्य

रैवासा धाम की प्रतिष्ठा और इसके धार्मिक महत्व को देखते हुए, राजेंद्र दास महाराज के नेतृत्व में इस पीठ का भविष्य उज्ज्वल दिखाई दे रहा है। उनके आध्यात्मिक नेतृत्व में रैवासा धाम न केवल धार्मिक उपासना का केंद्र बनेगा, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक सुधारों में भी अपनी भूमिका निभाएगा। रैवासा धाम के साथ जुड़ी आध्यात्मिक धरोहर और धार्मिक परंपराएं आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायक होंगी, और यहां की रामधुनी और चादरपोशी की रस्में इसका एक महत्वपूर्ण हिस्सा होंगी।

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