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सरकार के भ्रष्ट अफसरों कर्मचारियों की अब खैर नहीं

सरकार के भ्रष्ट अफसरों कर्मचारियों की अब खैर नहीं

मनीषा शर्मा। सरकारी विभागों मे कार्यरत भ्रष्ट (Corrupt) और कामचोर अफसरों कर्मचारियों की अब खैर नहीं। इनकी लिस्ट बनाने का काम शुरू हो चुका है। इस के दायरे मे 15 साल की नौकरी पूरी कर चुके भ्रष्ट और कामचोर अफसर और कर्मचारी आएंगे। जिनके खिलाफ  भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों में लगातार शिकायतें  और नॉन परफॉर्मर (Non Performer)बने रहने के आरोप हैं।

मुख्य सचिव सुधांश पंत ने सभी विभागों को भ्रष्ट और नॉन परफॉर्मर अफसर, कर्मचारियों की विभागवार लिस्ट तैयार करने के आदेश दिए हैं। ऐसे अफसर-कर्मचारियों को जबरन रिटायर करने के प्रस्ताव तैयार करने को कहा है। मुख्य सचिव के आदेशों के बाद सभी विभागों में काम शुरू हो चुका है। करप्शन के मामले में टॉप रहने वाले विभागों में सबसे ज्यादा अफसर और कर्मचारी छंटनी के दायरे में आएंगे।

राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1996 के नियम 53(1) के तहत अनिवार्य रिटायरमेंट के प्रावधान पहले से है। इन नियमों के तहत सरकार ऐसे किसी अफसर या कर्मचारी को जबरन रिटायर कर सकती है, जिन अफसर और कर्मचारियों के खिलाफ लगातार भ्रष्टाचार के मामले आते हों। सरकारी कामकाज में लगातार लापरवाह हो। जो सरकारी सेवा में विभाग पर बोझ बन चुके हों। उन्हें जबरन रिटायर किया जा सकता है।

नियम के तहत जबरन रिटायर होने  वाले कर्मचारी-अफसरों की विभागवार स्क्रीनिंग की जाती  है। जिनकी सालाना गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) खराब होती है। उन्हें छांटा जाता है। नियमानुसार जबरन रिटायरमेंट के दायरे में आने वाले अफसर-कर्मचारियों को तीन महीने का नोटिस दिया जाता है। नोटिस पीरियड की जगह तीन महीने की एडवांस सैलरी और भत्ते देकर तुरंत रिटायर किया जा सकता है।

मुख्य सचिव ने जबरन रिटायर करने का प्रोसेस शुरू करने के आदेश देकर ब्यूरोक्रेसी को चेतावनी देने का प्रयास किया है। लापरवाह अफसर-कर्मचारियों को इसे चेतावनी के तौर पर माना जा रहा है। सरकारी दफ्तरों में कामकाज की लचर गति और जनता के काम नहीं करने की लगातार शिकायतें आती रहती हैं। जबरन रिटायर करने के प्रोसेस के बाद इसमें कुछ सुधार हो सकता है।

 

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