शोभना शर्मा। राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव को लेकर डिप्टी सीएम और उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेम चंद बैरवा के बयान से असमंजस की स्थिति बन गई है। जयपुर में दिए एक बयान में उन्होंने कहा कि न भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने छात्र संघ चुनाव करवाए थे और न ही हमारी सरकार ने उन पर रोक लगाई है। इसलिए मैं इस मुद्दे पर कुछ नहीं कहना चाहता।
डिप्टी सीएम के बयान के बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के राजस्थान यूनिवर्सिटी इकाई अध्यक्ष रोहित मीणा ने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार ने एबीवीपी की न्याय पद यात्रा से डरकर छात्रसंघ चुनाव रद्द कर दिए थे। हम बीजेपी सरकार से फिर से चुनाव बहाल करने की मांग करते हैं।
एबीवीपी के भारत भूषण यादव ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने तुगलकी फरमान जारी कर चुनाव बंद कर दिए थे। बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में चुनाव बहाल करने का वादा किया था, लेकिन अब वे अपने वादे से मुकर रहे हैं। अगर जल्द से जल्द चुनाव की घोषणा नहीं की गई, तो एबीवीपी बड़ा आंदोलन करेगी।
NSUI के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश भाटी ने कहा कि पिछली कांग्रेस सरकार ने चुनाव रद्द किए थे, और NSUI ने इसका विरोध किया था। अब हम बीजेपी सरकार से चुनाव कराने की मांग करते हैं। अगर सरकार वादे से मुकरती है, तो NSUI के कार्यकर्ता सड़कों पर उतरकर विरोध करेंगे।
राजस्थान विश्वविद्यालय और अन्य प्रमुख विश्वविद्यालयों में चुनाव नहीं होंगे। 2022 में आखिरी बार छात्रसंघ चुनाव हुए थे, लेकिन इस बार भी रोक जारी रहने की संभावना है, जिससे प्रदेश के 6 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स मताधिकार का प्रयोग नहीं कर सकेंगे।
15 पूर्व छात्रसंघ अध्यक्षों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर चुनाव कराने की मांग की है। चुनावों की बहाली को लेकर छात्र संगठनों का आंदोलन तेज हो सकता है।