मनीषा शर्मा। राजस्थान सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए राजस्थान भू-राजस्व (संशोधन और विधिमान्यकरण) बिल को विधानसभा में भारी बहस के बाद प्रवर समिति (सलेक्ट कमेटी) को भेज दिया गया है। राजस्व मंत्री हेमंत मीणा ने बहस का जवाब देने के बाद इसे सलेक्ट कमेटी को भेजने का प्रस्ताव रखा, जिसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इस बिल पर विपक्ष के साथ-साथ सत्तारूढ़ दल के विधायकों ने भी विरोध जताया। कांग्रेस ने इस बिल को लेकर सदन से वॉकआउट किया, जबकि भाजपा के कुछ विधायकों ने भी बिल के प्रावधानों पर सवाल उठाए।
भाजपा विधायक रविंद्र भाटी का आरोप: चुनाव लड़ने पर मिले विभागीय नोटिस
लोकतंत्र सेनानी सम्मान बिल पर चर्चा के दौरान निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान संघर्ष करने वाले लोकतंत्र सेनानी सम्मान के पात्र हैं। हालांकि, उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि जब उन्होंने बाड़मेर लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल किया, तो उन्हें कई विभागों से नोटिस मिलने लगे, जिनमें आयकर विभाग भी शामिल था। उन्होंने कहा, “हमने इमरजेंसी का दौर देखा नहीं, लेकिन सुना है। जो लोग उस समय लड़े, उन्हें सम्मान मिलना चाहिए। लेकिन चुनाव लड़ने के बाद मेरे घर पर कई विभागों के नोटिस आने लगे, जो सोचने वाली बात है।”
गहलोत सरकार के बनाए बोर्ड फिलहाल नहीं होंगे शुरू
राज्य सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कार्यकाल के अंतिम छह महीनों में बनाए गए 34 बोर्डों में से 26 बोर्डों को अभी तक चालू नहीं किया है। न ही इन बोर्डों को कोई बजट दिया गया है और न ही इनके अध्यक्ष या सदस्य नियुक्त किए गए हैं। विधानसभा में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने संकेत दिए कि फिलहाल इन बोर्डों को शुरू नहीं किया जाएगा। गौरतलब है कि गहलोत सरकार के अंतिम दिनों में बनाए गए इन बोर्डों को लेकर पहले भी विवाद रहा है। सरकार के इस फैसले से कई राजनीतिक नियुक्तियां अटकी हुई हैं और इससे प्रभावित पदाधिकारी अब सरकार से जवाब मांग रहे हैं।