शोभना शर्मा। राजस्थान में एसआई भर्ती परीक्षा में कथित गड़बड़ी को लेकर शहीद स्मारक पर धरना दे रहे नागौर से सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के प्रमुख हनुमान बेनीवाल अब एक विवादित बयान के चलते राजनीतिक और सामाजिक आलोचनाओं के घेरे में आ गए हैं।
मंगलवार देर रात एक टीवी चैनल को दिए गए साक्षात्कार में उन्होंने राजस्थान के ऐतिहासिक संघर्षों और शौर्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि राज्य के इतिहास में गिने-चुने लोगों ने ही युद्ध लड़े हैं। उनकी इस टिप्पणी को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं और इसे राजस्थान की विरासत का अपमान माना जा रहा है।
बेनीवाल का बयान: राजस्थान में युद्ध कम, समझौते अधिक हुए
हनुमान बेनीवाल ने टीवी चैनल से बात करते हुए कहा, “राजस्थान के इतिहास में कुछ गिने-चुने लोगों ने ही लड़ाइयां लड़ी हैं। महाराजा सूरजमल जैसे कुछ नामों को छोड़ दिया जाए तो अधिकतर समय यहां सेटलमेंट और एडजस्टमेंट ही हुए हैं।” उन्होंने आगे कहा, “जब मुगलों की सेना विवाह के लिए आती थी, तो लोग 70 किलोमीटर पहले जाकर उन्हें लड़की सौंपने की बात करते थे।”
उनका यह बयान राजस्थान की गौरवशाली युद्धगाथाओं और वीर परंपरा को कमतर आंकने के रूप में देखा जा रहा है, जिसे लेकर राज्यभर में असंतोष का माहौल बन गया है।
धनंजय सिंह खींवसर का तीखा हमला: ‘इतिहास से अनभिज्ञ हैं, विचारों से दरिद्र हैं’
इस बयान के विरोध में सबसे मुखर स्वर चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर के पुत्र और सामाजिक कार्यकर्ता धनंजय सिंह खींवसर का सामने आया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर बेनीवाल के इंटरव्यू का वीडियो साझा करते हुए उन पर तीखा हमला बोला।
धनंजय सिंह ने लिखा, “इतिहास से अनभिज्ञ, ज़मीर से रिक्त और विचारों से दरिद्र हो चुके हैं माननीय।” उन्होंने कहा कि राजस्थान की माटी को समझे बिना, ऐसे बयान देना न केवल गंभीर अज्ञानता है, बल्कि यह राजस्थान की वीरता और बलिदानों का अपमान है।
उन्होंने आगे लिखा, “अगर भारत के इतिहास से राजस्थान को निकाल दिया जाए, तो इतिहास केवल एक सामान्य कथा बनकर रह जाएगा। आपकी राजनीति युवाओं को भटकाने, इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने और समाज में नफरत फैलाने का कुत्सित प्रयास है, जिसे समाज न आज स्वीकार करेगा, न कल।”
धनंजय सिंह ने यह भी कहा कि, “आप संवैधानिक पद पर हैं, लेकिन आपकी भाषा और सोच उस मर्यादा के बिल्कुल विपरीत है। इतिहास से खेलने वालों को इतिहास ही सज़ा देता है, और राजस्थान का इतिहास न्याय भी करता है – वह भी शौर्य के साथ।”
राजस्थान की ऐतिहासिक विरासत को लेकर बढ़ता असंतोष
राजस्थान का इतिहास वीरता, बलिदान और शौर्यगाथाओं से भरा हुआ है – चाहे वह मेवाड़ के महाराणा प्रताप हों, जैसलमेर के रावल जैसल हों या फिर बीकानेर के राजा रायसिंह। हनुमान बेनीवाल के बयान को इन वीरों के बलिदानों की अवहेलना के रूप में देखा जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान आने वाले समय में बेनीवाल की छवि को नुकसान पहुंचा सकता है, विशेष रूप से तब, जब वे एसआई भर्ती परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर युवाओं के साथ धरने पर बैठे हैं।
एसआई भर्ती घोटाले पर बेनीवाल का आंदोलन जारी
गौरतलब है कि हनुमान बेनीवाल पिछले कुछ दिनों से जयपुर स्थित शहीद स्मारक पर युवाओं के साथ धरने पर बैठे हैं। वे एसआई भर्ती परीक्षा में कथित गड़बड़ियों और धांधली को लेकर राज्य सरकार से पूरी प्रक्रिया रद्द करने और दोबारा परीक्षा कराने की मांग कर रहे हैं।
उनका कहना है कि भर्ती में बड़ी संख्या में पेपर लीक, भाई-भतीजावाद और अनियमितताओं की शिकायतें सामने आई हैं। सरकार इस पर गंभीर नहीं दिख रही है, इसलिए वे युवाओं के हित में आंदोलन को जारी रखेंगे।
राजनीतिक माहौल में गर्मी और सामाजिक असंतोष
बेनीवाल के बयान से उत्पन्न विवाद ने राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर इतिहास और अस्मिता को लेकर बहस छेड़ दी है। एक ओर जहां वे युवाओं के मुद्दों को लेकर मुखर हैं, वहीं दूसरी ओर इतिहास को लेकर की गई विवादित टिप्पणी से उनकी विश्वसनीयता और नेतृत्व पर सवाल खड़े हो गए हैं।