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बांसवाड़ा में देश की सबसे लंबी पानी की टनल का निर्माण तेज, रोज 6 मीटर खुदाई

बांसवाड़ा में देश की सबसे लंबी पानी की टनल का निर्माण तेज, रोज 6 मीटर खुदाई

मनीषा शर्मा। राजस्थान का बांसवाड़ा जिला इन दिनों एक ऐतिहासिक परियोजना की वजह से चर्चा में है। यहां अपर हाई लेवल कैनाल परियोजना के तहत प्रदेश की सबसे लंबी पानी की टनल का निर्माण तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहा है। 2248 करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना में कुल 2610 मीटर लंबी टनल बनाई जा रही है। दिसंबर 2024 में निर्माण कार्य शुरू हुआ था और अब तक 1200 मीटर से अधिक खुदाई का काम पूरा हो चुका है।

टनल सिंगपुरा से समाईपुर होते हुए भापोर की तरफ निकलेगी और अधिकारियों को उम्मीद है कि पूरी परियोजना 21 नवंबर 2026 तक पूरी हो जाएगी। लगभग 60 सदस्यीय टीम दिन-रात कार्य कर रही है, जिससे काम तेजी से आगे बढ़ रहा है।

छह तहसीलों के 338 गांवों तक पहुंचेगा पानी

बांसवाड़ा कलेक्टर डॉ. इंद्रजीत यादव के अनुसार, परियोजना पूरी होने पर जिले की छह तहसीलों—बांसवाड़ा, बागीदौरा, गांगड़तलाई, आनंदपुरी, कुशलगढ़ और सज्जनगढ़—के 338 गैर-कमांड गांवों को पानी का लाभ मिलेगा। माही बांध से मिलने वाले पानी से करीब 42 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी। उन्होंने कहा कि परियोजना के पूरा होने से जिले के पेयजल संकट में भी बड़ा सुधार देखने को मिलेगा और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास की नई संभावनाएं खुलेंगी।

टनल निर्माण चुनौतीपूर्ण, पर काम तेजी से जारी

अपर हाई लेवल कैनाल परियोजना के तहत कुल सात टनल बनाई जानी हैं। इनमें से सबसे बड़ी सिंगपुरा टनल है, जिसका काम सबसे तेजी से आगे बढ़ रहा है। पहाड़ी क्षेत्र में स्थित होने के कारण खुदाई प्रक्रिया काफी चुनौतीपूर्ण है। 20 फीट ऊंची और 20 फीट चौड़ी इस टनल की प्रतिदिन लगभग 6 मीटर खुदाई की जा रही है।

कमजोर चट्टानों वाले इलाकों में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मोटे लोहे के पाइप लगाए जा रहे हैं। निर्माण पूरा होने के बाद दोनों ओर मजबूत सीमेंट-कंक्रीट की दीवारें भी बनाई जाएंगी, ताकि संरचना टिकाऊ और सुरक्षित रहे।

24 घंटे चल रहा है निर्माण कार्य

साइट इंजीनियर शैलेश गरासिया बताते हैं कि टनल निर्माण के लिए 60 सदस्यीय टीम तीनों शिफ्टों में 24 घंटे काम कर रही है। हर 100 मीटर पर 5 HP की मोटर से जमा पानी निकाला जाता है ताकि खुदाई बाधित न हो। एक शिफ्ट में मशीनों से 95 ड्रिल होल किए जाते हैं और करीब 250 किलो नियंत्रित विस्फोटक का उपयोग कर चट्टानों को तोड़ा जाता है।

लगातार काम में 20 से 25 मजदूर जुटे रहते हैं। बारिश के मौसम में भी काम जारी रहा, जिससे परियोजना की गति में रुकावट नहीं आई।

वेंटिलेशन और सुरक्षा का पूरा ध्यान

टनल के भीतर ताजी हवा पहुंचाने के लिए बड़े पाइपों के जरिए वेंटिलेशन सिस्टम लगाया गया है। प्रशासन की ओर से सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन किया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि टनल तैयार होने के बाद दूरस्थ इलाकों तक पानी पहुंचने से किसानों की आय बढ़ेगी और सिंचाई व्यवस्था मजबूत होगी।

नहर में 20 हजार लीटर प्रति सेकंड पानी बहेगा

माही डैम के शेड्यूल डैम-1 से आनंदपुरी तक 102 किलोमीटर लंबी नहर का निर्माण भी तेज गति से आगे बढ़ रहा है। इस नहर में 20 हजार लीटर प्रति सेकंड पानी प्रवाहित किया जाएगा, जिससे 42 हजार हेक्टेयर भूमि को सिंचाई का लाभ मिलेगा।

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