शोभना शर्मा। राजस्थान में आयोजित कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 2025 में इस बार तकनीकी प्रयोग ने नकलचियों के मंसूबों पर पानी फेर दिया। प्रदेशभर में पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित बायोमैट्रिक जांच का उपयोग किया गया और इसका परिणाम चौंकाने वाला रहा। दो दिन चली परीक्षा में जयपुर सहित विभिन्न परीक्षा केन्द्रों से कुल 13 डमी अभ्यर्थियों को रंगे हाथों पकड़ा गया।
AI तकनीक से खुला फर्जीवाड़ा
अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल और डमी कैंडिडेट की समस्या सामने आती रही है। लेकिन इस बार राजस्थान पुलिस ने तकनीक का सहारा लेते हुए परीक्षा की पारदर्शिता सुनिश्चित करने का प्रयास किया।
परीक्षा केन्द्रों पर लगाए गए एआई आधारित बायोमैट्रिक सॉफ्टवेयर ने सभी अभ्यर्थियों के फिंगरप्रिंट और फोटो स्कैन कर उनका मिलान पहले से मौजूद रिकॉर्ड्स से किया। जैसे ही किसी उम्मीदवार के बायोमैट्रिक डाटा में गड़बड़ी पाई गई, कंट्रोल रूम से तत्काल अलर्ट भेजा गया और वहां मौजूद पुलिस टीम ने संदिग्ध अभ्यर्थी को पकड़ लिया।
भतीजे की जगह दी थी परीक्षा
इस कार्रवाई का सबसे बड़ा खुलासा तब हुआ जब एक अभ्यर्थी भूपेंद्र पकड़ा गया। जांच में सामने आया कि उसने जून 2025 में अपने भतीजे धर्मवीर की जगह बीएसटीसी डीएलएड परीक्षा दी थी और पास भी हो गया था। इस बार वह खुद के नाम से कांस्टेबल भर्ती परीक्षा देने पहुंचा।
लेकिन एआई तकनीक से संचालित बायोमैट्रिक सिस्टम ने उसके फिंगरप्रिंट और फोटो को पहले के रिकॉर्ड से मैच कर दिया। इससे तुरंत फर्जीवाड़ा सामने आ गया और भूपेंद्र को हिरासत में ले लिया गया। पुलिस ने उसके भतीजे धर्मवीर को भी पकड़ा और दोनों के खिलाफ झोटवाड़ा थाने में नए परीक्षा अधिनियम के तहत जीरो नंबर एफआईआर दर्ज की गई।
पुलिस और परीक्षा बोर्ड की संयुक्त कार्रवाई
डीसीपी वेस्ट हनुमान प्रसाद ने बताया कि जयपुर के मुरलीपुर स्कूल केन्द्र पर जैसे ही परीक्षा खत्म हुई, एसएचओ वीरेंद्र कुरील की टीम ने भूपेंद्र को पकड़ लिया। इसके बाद धर्मवीर को भी हिरासत में लिया गया।
वहीं, भर्ती एवं पदोन्नति बोर्ड के एडीजी बिपिन कुमार पांडे ने बताया कि एआई तकनीक ने नकल रोकने और डमी अभ्यर्थियों को पकड़ने में बड़ी भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि यह पहली बार है जब इस स्तर पर तकनीक का उपयोग किया गया और इसका असर बेहद सकारात्मक रहा।
पुलिस मुख्यालय में बना कंट्रोल रूम
राजस्थान पुलिस मुख्यालय जयपुर में एक विशेष कंट्रोल रूम बनाया गया था। यहां तैनात एआई एक्सपर्ट्स लगातार सभी परीक्षा केन्द्रों से प्राप्त बायोमैट्रिक डाटा को स्कैन और प्रोफाइल कर रहे थे। जैसे ही किसी उम्मीदवार का डाटा संदिग्ध पाया गया, तुरंत संबंधित केन्द्र को सूचित किया गया और वहां मौजूद पुलिस टीम ने मौके पर कार्रवाई की।
परीक्षा पारदर्शिता की दिशा में बड़ी पहल
राजस्थान में प्रतियोगी परीक्षाओं में नकल और पेपर लीक जैसे मामले पहले भी सुर्खियां बटोरते रहे हैं। इस वजह से परीक्षार्थियों और अभिभावकों के बीच भरोसा डगमगा गया था। ऐसे में इस बार एआई तकनीक का इस्तेमाल करना सरकार और पुलिस विभाग का साहसिक कदम माना जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि एआई तकनीक भविष्य में अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में भी उपयोगी साबित होगी। यह न केवल डमी कैंडिडेट्स को रोक पाएगी बल्कि पारदर्शिता सुनिश्चित कर योग्य उम्मीदवारों को न्याय दिलाने में मदद करेगी।
नकल रोकथाम की नई राह
अब तक नकल रोकने के लिए मैनुअल चेकिंग, सख्त निगरानी और पुलिस की तैनाती की जाती रही है। लेकिन इन उपायों से भी नकल पूरी तरह रुक नहीं पाई। एआई आधारित बायोमैट्रिक जांच ने साबित किया कि तकनीक के माध्यम से फर्जीवाड़ा उसी समय पकड़ में आ सकता है।