मनीषा शर्मा। राजस्थान विधानसभा का आगामी सत्र शुरू होने से पहले ही राज्य की राजनीति में गर्मी बढ़ गई है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भाजपा सरकार पर एकतरफा रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस पार्टी के सर्वदलीय बैठक में शामिल न होने की घोषणा की। जूली का कहना है कि सरकार न केवल विपक्ष की बातों को अनसुना कर रही है, बल्कि उनके वरिष्ठ विधायकों और नेताओं के साथ अपमानजनक व्यवहार कर रही है।
इस कदम से साफ है कि विधानसभा सत्र की शुरुआत ही तीखी बहस और टकराव के साथ होने वाली है।
कांग्रेस का आरोप: “सत्र छोटा करना चाहती है सरकार”
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष चाहते हैं कि सत्र लंबा चले ताकि प्रदेश से जुड़े गंभीर मुद्दों पर चर्चा हो सके। लेकिन सरकार की मंशा शुरुआत से ही ठीक नहीं रही। भाजपा सरकार चाहती है कि सत्र कुछ ही दिनों में निपटा दिया जाए ताकि उसकी जवाबदेही तय न हो सके।
जूली ने कहा,
“हम सदन में इस असफल सरकार की जवाबदेही तय कराएंगे। पौने दो साल में ही यह सरकार अलोकप्रिय और विफल साबित हो चुकी है।”
सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार क्यों?
टीकाराम जूली ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस पार्टी ने सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार सरकार की एकतरफा कार्यशैली के विरोध में किया है। उन्होंने कहा कि कई बार सरकार ने विपक्ष की राय लिए बिना ही फैसले किए और इस बार भी यही रवैया अपनाया गया।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी पहले दिन से ही सदन की कार्यवाही में शामिल होगी। 2 सितंबर को कांग्रेस विधायक दल की बैठक आयोजित होगी, जिसमें प्रभारी, प्रदेशाध्यक्ष, पूर्व मुख्यमंत्री और अन्य वरिष्ठ नेता शामिल होंगे। इस बैठक में विधानसभा सत्र की रणनीति तय की जाएगी।
“वरिष्ठ विधायकों का अपमान बर्दाश्त नहीं”
जूली ने उदाहरण देते हुए कहा कि कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक नरेन्द्र बुढ़ानिया को विशेषाधिकार समिति का सभापति बनाया गया था। लेकिन कुछ समय बाद अचानक ही उन्हें इस पद से हटा दिया गया। यह घटना कांग्रेस के अनुसार एकतरफा और अपमानजनक व्यवहार का उदाहरण है।
जूली ने कहा,
“इतने वरिष्ठ सदस्य के साथ ऐसा व्यवहार स्वीकार्य नहीं है। सरकार विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है।”
“प्रधानों और चेयरमैनों को चुन-चुनकर हटाया जा रहा है”
टीकाराम जूली ने भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जिलों में कांग्रेस से जुड़े प्रधानों, प्रमुखों और चेयरमैनों को चुन-चुनकर हटाया जा रहा है। यहां तक कि मुख्यमंत्री के गृह जिले में सभी निर्वाचित प्रधानों को हटाकर भाजपा के लोगों को बैठाया गया।
उन्होंने कहा कि यह सरकार लोकतंत्र में विश्वास नहीं करती और यही वजह है कि संवैधानिक बाध्यताओं के बावजूद न तो पंचायती राज चुनाव करवा रही है और न ही नगरीय निकाय चुनाव। बल्कि सरकार बार-बार अदालत से स्टे लेकर आ रही है।
भाजपा का पलटवार
कांग्रेस के आरोपों पर भाजपा ने भी पलटवार किया। सरकारी मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि कांग्रेस बिना वजह मुद्दा बना रही है। उन्होंने कहा,
“सर्वदलीय बैठक की तारीख तय करने से पहले सभी पक्षों से राय ली जाती है। आज की बैठक की तारीख भी नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली से पूछकर ही तय की गई थी।”
गर्ग ने आगे कहा कि पहले जूली 29 अगस्त को बैठक में शामिल होने में असमर्थ थे, इसलिए उनकी सहमति से बैठक 28 अगस्त को तय की गई। लेकिन अचानक उन्होंने और उनके सचेतकों ने आने से मना कर दिया। इसे भाजपा ने विपक्ष का मैदान छोड़ना करार दिया।