शोभना शर्मा। आज से जयपुर और राजस्थान के अन्य हिस्सों में कॉमर्शियल गैस सिलेंडर की कीमतें बढ़ा दी गई हैं। पेट्रोलियम कंपनियों ने एलपीजी सिलेंडर की कीमतों का रिव्यू करने के बाद 19 किलोग्राम वाले कॉमर्शियल गैस सिलेंडर की कीमत में 39 रुपए की बढ़ोतरी की है। इस नई बढ़ोतरी के साथ, जयपुर में अब एक कॉमर्शियल सिलेंडर की कीमत 1719 रुपए होगी, जबकि पहले इसकी कीमत 1680 रुपए थी।
यह लगातार छठा महीना है जब कंपनियों ने कॉमर्शियल सिलेंडर की कीमतों में बदलाव किया है। अगस्त में भी कंपनियों ने कॉमर्शियल सिलेंडर की कीमतों में 12 रुपए की वृद्धि की थी, जबकि जुलाई में इसमें 30 रुपए की कमी की गई थी। इसके अलावा, जून में 69.50 रुपए, मई में 19 रुपए और अप्रैल में 31.50 रुपए की कटौती की गई थी।
कॉमर्शियल सिलेंडर की कीमतों में इस वृद्धि से उन व्यवसायों पर प्रभाव पड़ सकता है, जो बड़े पैमाने पर इन सिलेंडरों का उपयोग करते हैं, जैसे कि होटल, रेस्टोरेंट और कैटरिंग सेवाएं। ये उद्योग अपनी लागत को कम करने के लिए हमेशा कीमतों में स्थिरता की उम्मीद करते हैं, लेकिन लगातार बदलती कीमतें उनके बजट में अस्थिरता ला सकती हैं।
घरेलू सिलेंडर की कीमतें स्थिर
घरेलू उपयोग के एलपीजी सिलेंडरों की कीमतों में हालांकि कोई बदलाव नहीं किया गया है। जयपुर में घरेलू सिलेंडर की कीमत अभी भी 806.50 रुपए ही है। राजस्थान में, तीनों प्रमुख तेल और गैस कंपनियों के 1 करोड़ 75 लाख 48 हजार से अधिक उपभोक्ता हैं। इन उपभोक्ताओं को यह राहत मिलेगी कि उनके घरेलू सिलेंडर की कीमतें स्थिर बनी रहेंगी।
पिछले कुछ महीनों में, घरेलू सिलेंडर की कीमतों में भी कुछ स्थिरता देखी गई है। हालांकि, बाजार में बढ़ती महंगाई और कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव के कारण, भविष्य में इन कीमतों में बदलाव की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
क्यों की जाती हैं कीमतों में बदलाव?
एलपीजी सिलेंडरों की कीमतों में बदलाव का मुख्य कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है। इसके अलावा, सरकार की ओर से दी जाने वाली सब्सिडी और टैक्सेशन नीतियां भी कीमतों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। पेट्रोलियम कंपनियां हर महीने कीमतों का रिव्यू करती हैं और उस आधार पर नए रेट तय करती हैं।
उपभोक्ताओं पर असर
कॉमर्शियल सिलेंडर की कीमतों में बढ़ोतरी का सीधा असर उन व्यवसायों पर पड़ेगा, जो इन सिलेंडरों का उपयोग करते हैं। बढ़ती लागत का प्रभाव उनके उत्पादों और सेवाओं की कीमतों पर भी पड़ सकता है। हालांकि, घरेलू उपभोक्ताओं के लिए कोई बड़ा बदलाव न होने से वे फिलहाल राहत में हैं।