मनीषा शर्मा, अजमेर । अजमेर रेंज की पुलिस प्रशासनिक व्यवस्था में एक अहम बदलाव करते हुए राजस्थान सरकार ने अगले छह महीनों के लिए रेंज की कमान डीआईजी को सौंपने का निर्णय लिया है। इसके तहत, अजमेर रेंज में आईजी का पद अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया गया है। इस निर्णय के तहत, अजमेर रेंज के डीआईजी ओमप्रकाश-2 को 28 फरवरी 2025 तक रेंज का प्रमुख बनाया गया है।
राज्यपाल की मंजूरी से कार्मिक विभाग ने आदेश जारी किया है कि डीआईजी रेंज अजमेर में एक्स-कैडर अस्थायी पद के सृजन के लिए ओमप्रकाश-2 को नियुक्त किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि ओमप्रकाश-2 पहले पाली रेंज में डीआईजी के पद पर कार्यरत थे और 16 अगस्त को अजमेर रेंज आईजी लता मनोज कुमार की जगह उन्हें इस पद पर नियुक्त किया गया था।
ओमप्रकाश-2, जो कि मूल रूप से झुंझुनूं जिले के निवासी हैं, 2013 में राजस्थान पुलिस सेवा (आरपीएस) से भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में प्रमोट हुए थे। उन्होंने 2020 में कांग्रेस शासनकाल के दौरान टोंक के एसपी के रूप में कार्य किया था। इसके अतिरिक्त, वे बूंदी और सिरोही जिलों के एसपी भी रह चुके हैं।
राजस्थान में 2001 से पहले डीआईजी रेंज के प्रमुख होते थे, लेकिन उसके बाद से यह जिम्मेदारी आईजी को सौंपी जाती रही है। इस कैडर पोस्ट के रूप में आईजी ही रेंज के सुप्रीम अफसर माने जाते हैं। इस नई व्यवस्था में पहली बार ऐसा हुआ है कि छह महीने के लिए आईजी का पद अस्थायी रूप से समाप्त कर दिया गया है, और डीआईजी को रेंज की कमान सौंपी गई है।
सूत्रों के मुताबिक, यह फैसला पिछले 23 वर्षों में पहली बार लिया गया है जब आईजी का पद स्थगित किया गया हो और डीआईजी को यह जिम्मेदारी दी गई हो। हालाँकि, इससे पहले भी कुछ मामलों में डीआईजी ने अस्थायी रूप से रेंज की कमान संभाली है, लेकिन आईजी का पद अस्थायी रूप से खत्म नहीं किया गया था।
इससे पहले, 2018 में जोधपुर रेंज की कमान डीआईजी को देने पर भी विवाद हुआ था। उस समय, विधानसभा चुनावों के दौरान एचजी राघवेंद्र सुहासा को डीआईजी रहते हुए रेंज की कमान दी गई थी, लेकिन बाद में आचार संहिता के लागू होने के कारण इस निर्णय को वापस लेना पड़ा था।
अजमेर रेंज के तहत आने वाले क्षेत्रों में भी आगामी उपचुनावों की तैयारी जारी है। टोंक जिले की देवली-उनियारा और नागौर जिले की खींवसर विधानसभा सीटें इस रेंज में आती हैं। ऐसे में यह निर्णय प्रशासनिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है, खासकर चुनावी माहौल में।
राजस्थान सरकार का यह कदम प्रशासनिक अनुशासन को सुदृढ़ करने और पुलिस तंत्र में बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय के रूप में देखा जा रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस अस्थायी व्यवस्था का आने वाले समय में क्या प्रभाव पड़ता है।