मनीषा शर्मा। जयपुर में एक बार फिर सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती देते हुए मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) को बम से उड़ाने की धमकी मिली है। यह धमकी सीधे पुलिस कंट्रोल रूम पर दी गई, जिसके बाद सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप मच गया। कंट्रोल रूम से सूचना मिलते ही सीनियर अधिकारियों को अलर्ट किया गया और तुरंत मौके पर पुलिस व सुरक्षा एजेंसियों की टीमों को भेजा गया। संबंधित स्थानों पर सर्च ऑपरेशन चलाया गया, लेकिन जांच में कोई संदिग्ध वस्तु नहीं मिली।
पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए उस युवक को डिटेन कर लिया, जिसने फोन कर धमकी दी थी। युवक से पूछताछ जारी है ताकि उसके इरादों और पृष्ठभूमि का पता लगाया जा सके। प्राथमिक जांच में पुलिस इस बात की पड़ताल कर रही है कि धमकी मजाक में दी गई या किसी साजिश का हिस्सा है। यह पहला मौका नहीं है जब जयपुर में सीएमओ या अन्य संवेदनशील स्थानों को बम से उड़ाने की धमकी मिली हो। इससे पहले 26 जुलाई को भी मुख्यमंत्री कार्यालय और जयपुर एयरपोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी। उस मामले में धमकी ईमेल के जरिए दी गई थी, जिसमें एयरपोर्ट और सीएमओ दोनों को निशाना बनाने की बात कही गई थी। हालांकि, सुरक्षा एजेंसियों की जांच के बाद कोई विस्फोटक या संदिग्ध वस्तु नहीं मिली थी।
जयपुर में बीते कुछ महीनों में कई संवेदनशील स्थानों को बम से उड़ाने की धमकियां मिल चुकी हैं। 16 जून 2025 को जलेब चौक स्थित ‘दी पैलेस स्कूल’ को बम धमकी मिली थी। उस दिन स्कूल बंद था, जिसके कारण मेल पर आई धमकी का पता अगले दिन चला। जैसे ही स्कूल प्रशासन को इस बारे में जानकारी मिली, उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचना दी। सुरक्षा एजेंसियों ने स्कूल परिसर की तलाशी ली, लेकिन धमकी निराधार निकली।
इसके अलावा, 30 मई को मानसरोवर मेट्रो स्टेशन और जयपुर के दो न्यायालयों – जयपुर मेट्रो कोर्ट और फैमिली कोर्ट – को भी धमकी भरे मेल प्राप्त हुए। फैमिली कोर्ट में सुरक्षा जांच के लिए लगभग चार घंटे तक तलाशी अभियान चला, जबकि मेट्रो कोर्ट में करीब एक घंटे की तलाशी के बाद परिसर को सुरक्षित घोषित किया गया।
मई 2025 में जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम को भी कई बार धमकी मिली। 8, 12 और 13 मई को आए धमकी भरे मेल में स्टेडियम को बम से उड़ाने की बात कही गई थी। खासकर 13 मई को मिले मेल में एक रेप पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग के साथ धमकी दी गई थी।
इसके अलावा, 9 मई को जयपुर मेट्रो को भी बम से उड़ाने की धमकी दी गई थी। यह धमकी ईमेल के जरिए दी गई थी, जिसमें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता का हवाला देते हुए मेट्रो स्टेशन और ट्रेन को उड़ाने की बात कही गई थी। हालांकि, जांच के बाद कोई ठोस सबूत नहीं मिला और मामला फर्जी साबित हुआ।
लगातार मिल रही इन धमकियों ने पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता बढ़ा दी है। भले ही अब तक सभी धमकियां झूठी साबित हुई हों, लेकिन हर बार पूरी सुरक्षा व्यवस्था को अलर्ट मोड पर लाना पड़ता है। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की फर्जी धमकियां न केवल संसाधनों की बर्बादी करती हैं बल्कि असली खतरे के समय प्रतिक्रिया में देरी का कारण भी बन सकती हैं।
पुलिस ने चेतावनी दी है कि धमकी भरे कॉल, मेल या मैसेज करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। ऐसे मामलों में आईटी एक्ट और भारतीय दंड संहिता (IPC) की संबंधित धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज कर आरोपियों को जेल भेजा जा सकता है।
फिलहाल, सीएमओ को मिली ताज़ा धमकी के मामले में पुलिस युवक से पूछताछ कर रही है और उसके मोबाइल डेटा, कॉल डिटेल्स और सोशल मीडिया अकाउंट्स की जांच की जा रही है। जांच एजेंसियां यह भी पता लगाने में जुटी हैं कि आरोपी का कोई आपराधिक या संगठित नेटवर्क से संबंध तो नहीं है।
जयपुर पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां इस घटना को गंभीरता से ले रही हैं और सभी सरकारी व संवेदनशील भवनों की सुरक्षा समीक्षा भी की जा रही है, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।