शोभना शर्मा। राजस्थान में विश्व पर्यावरण दिवस पर राज्य सरकार ने एक ऐतिहासिक पहल करते हुए नदियों और जल स्रोतों के संरक्षण को जनआंदोलन का रूप देने का प्रयास किया। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने गुरुवार को बूंदी जिले के केशवरायपाटन में “वंदे गंगा जल संरक्षण अभियान” की शुरुआत की। इस अवसर पर उन्होंने चंबल नदी को 1551 फीट लंबी चुनरी ओढ़ाकर जल के सम्मान और संरक्षण का संदेश दिया।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि जल और पर्यावरण का संरक्षण कोई दिखावा या मौसमी विषय नहीं, बल्कि हमारा दायित्व और धर्म है। उन्होंने कहा, “कुछ लोग एसी को 18 डिग्री पर चलाकर कंबल ओढ़ते हैं और खुद को ठंडक देते हुए दूसरों को गर्मी दे रहे हैं। अगर आपने अपनी मां के नाम से 10 पौधे भी नहीं लगाए हैं, तो आप सच में अपनी मां से प्रेम नहीं करते।”
जयपुर में राज्य स्तरीय पर्यावरण कार्यक्रम का आयोजन
इससे पहले जयपुर के राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कई योजनाओं की शुरुआत की। इस अवसर पर उन्होंने 10 करोड़ पौधे लगाने का संकल्प लिया, जो राज्य में हरित आवरण बढ़ाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा, “पश्चिमी देश आज पर्यावरण पर चिंतन कर रहे हैं, लेकिन भारत ने हजारों वर्ष पहले ही इसका विचार शुरू कर दिया था। हमारे ऋषि-मुनियों ने प्रकृति के साथ सामंजस्य का संदेश दिया।”
जल के दुरुपयोग पर सीएम की तीखी टिप्पणी
मुख्यमंत्री ने जल संरक्षण पर भी विशेष जोर दिया। उन्होंने कहा कि लोग अक्सर गिलास भर पानी लेकर उसमें से केवल एक घूंट पीते हैं और बाकी व्यर्थ छोड़ देते हैं। यह पानी का अपमान है। उन्होंने सुझाव दिया कि हमें उतना ही पानी लेना चाहिए जितना आवश्यक हो। यदि कम पानी चाहिए, तो पहले ही कहें – “आधा गिलास दीजिए।”
मुख्यमंत्री ने प्लास्टिक पर रोक, रिसाइक्लिंग सिस्टम की मजबूती, और सरकारी योजनाओं के जरिए जल व पर्यावरण के संरक्षण की दिशा में उठाए गए कदमों की जानकारी दी। उन्होंने कहा, “इस बार हम प्लास्टिक के खिलाफ निर्णायक कदम उठा रहे हैं, क्योंकि यह पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुका है।”
अस्पतालों में एसटीपी का उद्घाटन और रिसाइक्लिंग पहल
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री ने कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (CETP) का उद्घाटन किया, जो सांगानेर के कपड़ा उद्योगों के जल प्रदूषण से निपटने में अहम भूमिका निभाएगा। साथ ही, राज्य के छह प्रमुख सरकारी अस्पतालों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) की भी शुरुआत की गई। इन प्लांट्स के जरिए हर दिन लगभग 58 लाख लीटर पानी का पुनः उपयोग किया जा सकेगा।
एसटीपी से जुड़े अस्पतालों में शामिल हैं:
सवाई मानसिंह अस्पताल (जयपुर)
एसआरजी अस्पताल (झालावाड़)
उम्मेद अस्पताल (जोधपुर)
कमला नेहरू अस्पताल (जोधपुर)
मथुरा दास माथुर अस्पताल (जोधपुर)
जनाना अस्पताल (अजमेर)
सफाई के लिए आधुनिक उपकरण, लेपर्ड सफारी का उद्घाटन
मुख्यमंत्री ने 54 नगरीय निकायों को 13.5 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की है, जिससे वाटर स्प्रिंकलर और मैकेनिकल स्वीपर खरीदे जा सकें। इन मशीनों से सड़कों की धूल और गंदगी पर नियंत्रण पाने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही, जयपुर की तीसरी लेपर्ड सफारी का भी मुख्यमंत्री ने उद्घाटन किया।
सड़क निर्माण प्रणाली में सुधार की वकालत
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने वर्तमान सड़क निर्माण प्रणाली पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि एक ही सड़क बार-बार बनाई जाती है, जिससे न केवल जनता को असुविधा होती है बल्कि यह संसाधनों की बर्बादी भी है। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि सड़कों को एक बार में बेहतर और रिसाइक्ल करने योग्य मटेरियल से बनाया जाए तो लागत कम होगी और स्थायित्व भी बढ़ेगा।
मुख्य सचिव सुधांश पंत का पर्यावरणीय संदेश
मुख्य सचिव सुधांश पंत ने भी कार्यक्रम में पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अपनी व्यक्तिगत पहल साझा की। उन्होंने बताया कि वे अपने कार्यालय में केवल आवश्यकता पड़ने पर दोपहर 1 बजे के बाद ही एसी चलाते हैं और अधिकतर समय पंखे और खुली खिड़कियों से काम करते हैं। उन्होंने बताया कि उनके जैसे कई लोग हैं जिन्होंने अपने पिता या बड़े भाई के पुराने कपड़े काटकर हाफ पैंट या शर्ट बनाई हैं — यह भी एक प्रकार की सस्टेनेबिलिटी है।