मनीषा शर्मा। राजस्थान की राजधानी जयपुर में रिंग रोड दक्षिण (Ring Road South) पर बन रहा क्लोवर लीफ जंक्शन (Cloverleaf Junction) अब लगभग पूरा हो चुका है। नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने परियोजना के अंतिम चरण में पहुंचते हुए दो फ्लाइओवरों पर लोड टेस्टिंग का कार्य शुरू कर दिया है। यह परियोजना न केवल जयपुर के यातायात को राहत देने वाली है, बल्कि राज्य के सबसे व्यस्त राष्ट्रीय राजमार्गों को एक साथ जोड़ने वाला एक महत्वपूर्ण बिंदु साबित होने जा रही है।
40 टन से अधिक भार पर हो रही फ्लाइओवर की जांच
NHAI ने सुरक्षा और मजबूती की जांच के लिए फ्लाइओवरों पर लोड टेस्ट शुरू किया है। इसके तहत प्रत्येक फ्लाइओवर पर 40-40 टन वजन वाले चार डंपर ट्रक अलग-अलग स्थानों पर खड़े किए गए हैं। इन पर लोड और स्ट्रक्चरल स्थिरता की जांच की जा रही है। अधिकारियों के अनुसार, यह परीक्षण कुछ दिनों तक चलेगा। सफल परीक्षण के बाद इन फ्लाइओवरों को जनता के लिए ट्रैफिक हेतु खोला जाएगा। इस लोड टेस्टिंग प्रक्रिया का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि फ्लाइओवर पर भारी वाहनों की आवाजाही सुरक्षित रूप से हो सके और किसी प्रकार की संरचनात्मक कमजोरी न रहे।
200 करोड़ रुपए से अधिक की लागत से बन रही परियोजना
यह क्लोवर लीफ संरचना लगभग 200 करोड़ रुपए की लागत से तैयार की जा रही है। इसके निर्माण के बाद अजमेर दिशा से आने वाले वाहनों को अब भांकरोटा पुलिया के नीचे से घूमकर आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इस परियोजना के पूरा होने पर, अजमेर की ओर से आने वाला ट्रैफिक सीधे इस क्लोवर लीफ पर बने फ्लाइओवर के माध्यम से रिंग रोड पर चढ़ सकेगा, जिससे टोंक रोड और आगरा रोड की ओर जाने वाले वाहनों का आवागमन अधिक सुगम और सुरक्षित होगा।
रिंग रोड से आने-जाने वाले वाहनों को बड़ी राहत
वर्तमान में रिंग रोड से आने-जाने वाले वाहनों को भांकरोटा या महापुरा पुलिया के नीचे से घूमकर जाना पड़ता है, जिससे जाम और दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ जाती है। लेकिन इस क्लोवर लीफ के चालू होने के बाद रिंग रोड से सीधे सीकर बाइपास या अन्य मार्गों पर पहुंचा जा सकेगा। यह नया ट्रैफिक मॉडल ट्रक और भारी वाहनों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होगा, जिन्हें अब लंबे रूट से घुमावदार रास्तों से नहीं गुजरना पड़ेगा। इससे ईंधन की बचत, समय की कमी और सड़क सुरक्षा में सुधार होगा।
भांकरोटा अग्निकांड के बाद शुरू हुआ निर्माण कार्य
इस परियोजना का काम दिसंबर 2024 में उस दर्दनाक घटना के बाद शुरू किया गया था जब भांकरोटा में एक एलपीजी टैंकर हादसा हुआ था। उस हादसे में कई लोगों की मौत हुई थी और आसपास खड़ी गाड़ियों तथा संपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचा था। यह दुर्घटना रिंग रोड पर बने कट पॉइंट के कारण हुई थी, जहां अव्यवस्थित यातायात से हादसे की संभावना बनी रहती थी। उस घटना के बाद एनएचएआई ने निर्णय लिया कि इस क्षेत्र में सुरक्षित क्लोवर लीफ संरचना तैयार की जाए ताकि भविष्य में ऐसे हादसे न हों और ट्रैफिक का सुचारू संचालन हो सके।
सितंबर तक पूरा होना था काम, अब दिसंबर तक तैयार
इस क्लोवर लीफ परियोजना को सितंबर 2025 तक पूरा किया जाना था, लेकिन तकनीकी कारणों और मौसम संबंधी देरी के चलते काम की समयसीमा तीन महीने के लिए बढ़ा दी गई। एनएचएआई अधिकारियों ने बताया कि परियोजना का 95% कार्य पूरा हो चुका है। केवल अंतिम लोड टेस्ट और सड़क चिह्नांकन (markings) का कार्य शेष है। संभावना है कि इस माह के अंत या दिसंबर 2025 से ट्रैफिक संचालन शुरू कर दिया जाएगा।
ट्रैफिक और सुरक्षा दृष्टि से बड़ा बदलाव
इस क्लोवर लीफ के शुरू होने के बाद जयपुर शहर के पश्चिमी और दक्षिणी हिस्सों में यातायात व्यवस्था में बड़ा सुधार देखने को मिलेगा। अजमेर, टोंक, आगरा और सीकर की दिशा में जाने वाले वाहनों को अब जयपुर शहर में प्रवेश करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इससे शहर के भीतर के मार्गों पर जाम की स्थिति में भी कमी आएगी। साथ ही, यह क्लोवर लीफ जयपुर की स्मार्ट ट्रैफिक योजना (Smart Traffic Integration) का भी एक हिस्सा है, जिसके तहत रिंग रोड को हाई-स्पीड कनेक्टिविटी के लिए विकसित किया जा रहा है।
भविष्य में ट्रैफिक प्रबंधन के लिए डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम
एनएचएआई अधिकारियों के अनुसार, इस परियोजना में अत्याधुनिक ट्रैफिक मॉनिटरिंग सिस्टम भी लगाया जाएगा। इसमें CCTV कैमरे, स्मार्ट ट्रैफिक सिग्नल, और इमरजेंसी रेस्पॉन्स पॉइंट्स स्थापित किए जाएंगे। इन तकनीकों से न केवल यातायात नियंत्रण आसान होगा बल्कि दुर्घटना के बाद राहत कार्यों में भी तेजी आएगी।
जयपुर को मिलेगा नया ट्रैफिक हब
राजधानी जयपुर की बढ़ती आबादी और वाहनों की संख्या को देखते हुए यह क्लोवर लीफ परियोजना भविष्य के ट्रैफिक प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी। इस परियोजना के शुरू होने के बाद रिंग रोड दक्षिण का यह हिस्सा जयपुर का नया ट्रैफिक हब बन जाएगा।


