भारतीय रेलवे से सफर करना देश के लाखों यात्रियों के लिए एक आम बात है। यात्रा के दौरान दी जाने वाली सुविधाओं में बिस्तर का प्रावधान यात्रियों के आराम के लिए बहुत जरूरी है। हालांकि, बिस्तर सामग्री की स्वच्छता, विशेष रूप से कंबलों की सफाई को लेकर अक्सर सवाल उठते हैं। हाल ही में, संसद के शीतकालीन सत्र में राजस्थान से कांग्रेस सांसद कुलदीप इंदौरा ने इस मुद्दे को उठाया, और केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के जवाब ने इसे और चर्चित बना दिया।
रेल मंत्री ने बताया कि रेलवे कंबलों की सफाई महीने में कम से कम एक बार करता है। यह जवाब यात्रियों के लिए चौंकाने वाला रहा, क्योंकि गंदे कंबल कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकते हैं। इस लेख में हम इस मुद्दे से जुड़े विभिन्न पहलुओं, रेलवे के नियमों और यात्रियों की शिकायतों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
कंबलों की सफाई को लेकर यात्रियों की शिकायतें
रेलवे से सफर करने वाले यात्री कंबलों की गुणवत्ता और सफाई पर अक्सर सवाल उठाते हैं। उनकी मुख्य शिकायतें हैं:
- बदबूदार कंबल: कई बार यात्रियों को कंबलों से बदबू आती है, जो लंबे समय तक बिना धोए रहने के कारण होती है।
- गंदगी और धूल: कंबलों पर गंदगी और धूल का जमाव रहता है, जिससे त्वचा और श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
- संक्रमण का डर: चूंकि एक ही कंबल अलग-अलग यात्रियों को दिया जाता है, इससे कीटाणु और बैक्टीरिया फैलने की संभावना बढ़ जाती है।
- अलग-अलग मौसम में समस्या: सर्दियों में कंबलों की मांग बढ़ जाती है, लेकिन उनकी पर्याप्त सफाई न होने के कारण यात्री इन्हें इस्तेमाल करने से कतराते हैं।
रेलवे कंबलों की सफाई का नियम
रेलवे के अनुसार, कंबलों की सफाई हर 15 से 30 दिनों में एक बार की जाती है। यह सफाई मशीनीकृत लॉन्ड्री में मानक रसायनों का उपयोग करके की जाती है।
- चादर और तकिए के कवर: हर यात्रा के बाद इन्हें धोया जाता है।
- कंबल: महीने में एक बार धोए जाते हैं।
- जांच और मरम्मत: समय-समय पर कंबलों की स्थिति जांची जाती है। फटे या खराब कंबलों को हटा दिया जाता है।
रेलवे का दावा है कि यह प्रक्रिया यात्रियों की सुविधा और स्वच्छता के लिए पर्याप्त है, लेकिन यात्रियों की बढ़ती शिकायतें इन दावों पर सवाल खड़े करती हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि गंदे कंबल कई बीमारियों का कारण बन सकते हैं:
- त्वचा संबंधी समस्याएं: गंदे कंबलों से एलर्जी, खुजली, और रैशेज हो सकते हैं।
- श्वसन समस्याएं: धूल और बैक्टीरिया सांस की नली में संक्रमण पैदा कर सकते हैं।
- संक्रमण का खतरा: लंबे समय तक बिना धोए कंबल फंगस और बैक्टीरिया के प्रजनन स्थल बन सकते हैं।
विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि रेलवे को कंबलों की सफाई की प्रक्रिया को और प्रभावी बनाना चाहिए।
यात्रियों के लिए सुझाव
रेलवे के कंबलों की सफाई पर भरोसा न होने की स्थिति में यात्री निम्नलिखित उपाय अपना सकते हैं:
- अपना कंबल साथ रखें: विशेष रूप से लंबी यात्राओं के दौरान अपने व्यक्तिगत कंबल का उपयोग करें।
- कंबल की स्वच्छता जांचें: कंबल लेते समय उसकी सफाई की स्थिति पर ध्यान दें।
- शिकायत दर्ज करें: अगर कंबल गंदा हो, तो ट्रेन अटेंडेंट या रेलवे हेल्पलाइन पर इसकी शिकायत करें।
- सफाई उत्पाद रखें: सैनिटाइजर या डिसइंफेक्टेंट स्प्रे का उपयोग करें।
रेलवे को सुधार के सुझाव
- धुलाई की आवृत्ति बढ़ाना: कंबलों को हर 7-10 दिन में धोने का नियम बनाना चाहिए।
- स्वच्छता मानकों की सख्त निगरानी: लॉन्ड्री प्रक्रिया की गुणवत्ता पर ध्यान देना चाहिए।
- यात्रियों को विकल्प देना: सशुल्क डिस्पोजेबल कंबल का विकल्प देना चाहिए।
- स्वच्छता अभियान चलाना: यात्रियों को स्वच्छता के महत्व के बारे में जागरूक करना चाहिए।
भारतीय रेलवे यात्रियों की सुविधा और आराम के लिए कई प्रयास कर रहा है, लेकिन कंबलों की सफाई जैसे मुद्दे अभी भी चिंता का विषय हैं। महीने में एक बार सफाई के नियम स्वास्थ्य और स्वच्छता की दृष्टि से अपर्याप्त लगते हैं। यात्रियों और रेलवे दोनों को मिलकर इस समस्या का समाधान निकालने की आवश्यकता है। रेलवे को सफाई प्रक्रिया में सुधार लाने और यात्रियों को बेहतर अनुभव देने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।