जोधपुरराजनीतिराजस्थान

जोधपुर में कांग्रेस जिलाध्यक्ष चयन को लेकर गहलोत-पायलट समर्थकों में टकराव

जोधपुर में कांग्रेस जिलाध्यक्ष चयन को लेकर गहलोत-पायलट समर्थकों में टकराव

मनीषा शर्मा।  राजस्थान की सियासत में एक बार फिर कांग्रेस के भीतर गुटबाजी खुलकर सामने आई है। जोधपुर में चल रहे संगठन सृजन अभियान के तहत नए जिलाध्यक्ष के चयन को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट समर्थकों में शनिवार को तीखी नोकझोंक हो गई। यह विवाद उस समय उभरा जब एआईसीसी के पर्यवेक्षक सुशांत मिश्रा कार्यकर्ताओं से राय लेने पहुंचे और मीटिंग के दौरान गहलोत को जिलाध्यक्ष चयन का अधिकार देने का प्रस्ताव आया। पायलट समर्थकों ने इस प्रस्ताव का जोरदार विरोध किया और पारदर्शी चुनाव की मांग उठाई।

मीटिंग में टकराव की शुरुआत

शनिवार को संगठन सृजन अभियान के तहत जोधपुर शहर में नए जिलाध्यक्ष चयन के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एआईसीसी पर्यवेक्षक सुशांत मिश्रा ने मीटिंग ली। उन्होंने सरदारपुरा, जोधपुर शहर और सूरसागर विधानसभा क्षेत्रों में जाकर कार्यकर्ताओं से राय ली और दावेदारों से आवेदन भी स्वीकार किए। सुबह की मीटिंग के दौरान सर्वसम्मति से प्रस्ताव आया कि जिलाध्यक्ष चयन का अधिकार अशोक गहलोत को दिया जाए। इस प्रस्ताव का गहलोत समर्थक नेताओं ने समर्थन किया और कहा कि वर्षों से पार्टी के संगठन में इस परंपरा को निभाया जाता रहा है। लेकिन जैसे ही यह प्रस्ताव सूरसागर विधानसभा क्षेत्र की शाम की बैठक में दोहराया गया, पायलट समर्थक नेताओं ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया।

पायलट समर्थकों ने उठाई पारदर्शिता की मांग

सूरसागर की बैठक में 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रहे शहजाद खान ने एक लाइन का प्रस्ताव रखते हुए कहा कि जिलाध्यक्ष चयन का अधिकार आलाकमान को दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह परंपरा रही है कि निर्णय हाईकमान ले और सभी कार्यकर्ता उसका सम्मान करें। लेकिन इस प्रस्ताव पर सचिन पायलट समर्थक नेता राजेश सारस्वत और राजेश मेहता ने कड़ा विरोध जताया। उन्होंने कहा कि जिलाध्यक्ष का चयन कार्यकर्ताओं की राय से पारदर्शी प्रक्रिया के तहत होना चाहिए, किसी एक नेता को अधिकार देना लोकतांत्रिक भावना के विपरीत है। इसी दौरान मीटिंग का माहौल गरमा गया और गहलोत-पायलट समर्थकों के बीच बहस छिड़ गई।

पर्यवेक्षक ने लिया स्थिति का संज्ञान

पर्यवेक्षक सुशांत मिश्रा ने इस पूरे विवाद को ध्यान से सुना और कहा कि संगठन सृजन अभियान का उद्देश्य सभी कार्यकर्ताओं को शामिल करते हुए लोकतांत्रिक तरीके से जिलाध्यक्ष का चयन करना है। उन्होंने आश्वासन दिया कि सभी दावेदारों की राय ली जाएगी और अंतिम निर्णय हाईकमान द्वारा पारदर्शी प्रक्रिया में होगा। मिश्रा ने कहा कि अभियान का मकसद किसी एक व्यक्ति को अधिकार देना नहीं बल्कि सामूहिक राय के आधार पर जिलाध्यक्ष का चयन करना है। उन्होंने सूरसागर ब्लॉक की शाम की मीटिंग में भी कार्यकर्ताओं से विस्तृत राय ली।

अशोक गहलोत ने दी सफाई

विवाद बढ़ने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा, “संगठन सृजन अभियान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का एक नायाब प्रयोग है। इस प्रक्रिया में जिले के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं की राय लेकर जिलाध्यक्ष चुना जाएगा। कई जगह किसी नेता को जिलाध्यक्ष बनाने या किसी सीनियर लीडर को अधिकार देने के प्रस्ताव पारित करने की खबरें आ रही हैं, जो उचित नहीं हैं।”

गहलोत ने आगे कहा कि किसी भी सीनियर लीडर द्वारा अपने प्रभाव का इस्तेमाल करना या कार्यकर्ताओं द्वारा इस तरह का प्रस्ताव पास करना हाईकमान की भावना के अनुरूप नहीं है। अभियान का उद्देश्य ही यही है कि पर्यवेक्षक सभी से चर्चा कर राय बनाएं और पारदर्शी तरीके से चयन प्रक्रिया को आगे बढ़ाएं।

गुटबाजी खुलकर आई सामने

जोधपुर की यह बैठक कांग्रेस में जारी गुटबाजी को एक बार फिर उजागर करती है। गहलोत और पायलट समर्थकों के बीच वर्षों से मतभेद किसी से छिपे नहीं हैं। संगठन सृजन अभियान के तहत पार्टी नेतृत्व कार्यकर्ताओं को अधिक भागीदारी देने की कोशिश कर रहा है, लेकिन जमीनी स्तर पर पुराने समीकरण अब भी कायम दिखते हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यदि जिलाध्यक्ष का चयन किसी एक गुट के दबाव में हुआ तो यह जोधपुर समेत पूरे प्रदेश में पार्टी के लिए असंतोष का कारण बन सकता है। जबकि हाईकमान चाहता है कि इस बार संगठनात्मक पदों पर सर्वसम्मति से पारदर्शी तरीके से नियुक्तियां हों।

आगे की रणनीति

पर्यवेक्षक सुशांत मिश्रा अगले चरण में सभी ब्लॉकों से राय लेकर रिपोर्ट हाईकमान को सौंपेंगे। इसके बाद ही जोधपुर शहर कांग्रेस का नया जिलाध्यक्ष तय किया जाएगा। माना जा रहा है कि इस बार पार्टी शीर्ष नेतृत्व किसी भी गुट को खुली छूट नहीं देगा और सर्वसम्मति से ऐसा नाम तय करने की कोशिश होगी जो सभी खेमों को स्वीकार्य हो।

post bottom ad

Discover more from MTTV INDIA

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading