शोभना शर्मा। राजस्थान में विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) की प्रक्रिया शुरू होते ही निकाय और पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव पर संकट के बादल गहराने लगे हैं। जैसे ही SIR की प्रक्रिया लागू हुई, रात 12 बजे से राज्यभर में मतदाता सूचियां पूरी तरह फ्रीज हो गईं, जिससे चुनावी गतिविधियां ठप पड़ गई हैं। राज्य निर्वाचन विभाग के अनुसार, SIR की प्रक्रिया पूरी होने तक कोई भी चुनाव नहीं हो सकेगा। इससे पहले जनवरी 2026 में निकाय और पंचायत चुनाव की घोषणा की उम्मीद थी, लेकिन अब यह संभावना फरवरी 2026 के बाद तक टल गई है।
दो दशक बाद हो रही है SIR प्रक्रिया
राजस्थान में विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया लगभग 20 साल बाद हो रही है। SIR का उद्देश्य राज्य में मतदाता सूचियों को अद्यतन और शुद्ध बनाना है ताकि फर्जी वोटिंग और डुप्लीकेट एंट्री को समाप्त किया जा सके। अधिकारियों के अनुसार, इस प्रक्रिया के दौरान सभी मतदाता विवरणों की मैपिंग और लिंकिंग की जाएगी। यदि किसी व्यक्ति का नाम पिछली सूची में है या उसके माता-पिता पिछली SIR सूची में शामिल हैं, तो उसे दोबारा दस्तावेज जमा नहीं करने होंगे। SIR का पहला चरण मैपिंग और लिंकिंग पर केंद्रित रहेगा, जिसमें उन मतदाताओं को नोटिस दिए जाएंगे जो अपनी लिंकेज साबित नहीं कर पाएंगे। यह पहल वोटर लिस्ट को पारदर्शी और सुरक्षित बनाएगी।
फरवरी 2026 तक नहीं होंगे कोई चुनाव
राज्य निर्वाचन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जब तक SIR प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक कोई भी स्थानीय चुनाव संभव नहीं है। SIR की अंतिम मतदाता सूची फरवरी 2026 में प्रकाशित होगी, और उसके बाद ही राज्य में पंचायत व शहरी निकायों के चुनाव कराए जा सकेंगे। यह प्रदेश के इतिहास में पहला अवसर होगा जब SIR के बाद अद्यतन मतदाता सूचियों के आधार पर स्थानीय चुनाव संपन्न होंगे।
11 हजार पंचायतों में प्रशासक व्यवस्था
प्रदेश की करीब 11 हजार ग्राम पंचायतों में सरपंचों का कार्यकाल पूरा हो चुका है। इन पंचायतों में फिलहाल प्रशासक व्यवस्था लागू है। इसी तरह नगर निगमों में भी संभागीय आयुक्तों को प्रशासक नियुक्त किया गया है। राज्य में 16 जनवरी 2025 से सरपंचों के कार्यकाल की समाप्ति का सिलसिला शुरू हुआ था, जो 15 अक्टूबर 2025 तक पूरा हो गया। इसके बाद अब सभी पंचायतें प्रशासनिक नियंत्रण में हैं। नई पंचायत समितियों और जिला परिषदों का नोटिफिकेशन जारी होना अभी बाकी है। सरकार ने हाल ही में नई पंचायतों को मंजूरी दी है, लेकिन SIR प्रक्रिया शुरू होने के कारण उस पर भी रोक लग गई है।
OBC आरक्षण फॉर्मूले पर भी संकट
SIR की प्रक्रिया के साथ-साथ अब OBC आरक्षण फॉर्मूले की रिपोर्ट पर भी संकट गहरा गया है। दिसंबर 2025 तक रिपोर्ट तैयार होने की उम्मीद थी, लेकिन अब इस पर देरी तय मानी जा रही है। OBC आरक्षण के तहत सीटों का निर्धारण पहली बार किया जा रहा है, और जब तक रिपोर्ट तैयार नहीं होती, चुनाव कराना संभव नहीं होगा। बीएलओ और निर्वाचन अधिकारियों की पूरी टीम अब SIR में व्यस्त है, जिससे OBC आरक्षण कमेटी का काम भी प्रभावित हो रहा है। आयोग के कार्यकाल को पहले ही तीन महीने बढ़ाया जा चुका है, और संभावना है कि इसे आगे और बढ़ाया जा सकता है।
चुनावी प्रक्रिया पर रोक और बजट संकट
राज्य निर्वाचन आयोग ने 23 सितंबर 2025 से मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया रोक दी थी। इससे पहले 22 अगस्त को नया शेड्यूल जारी किया गया था, लेकिन जिलों के कलेक्टरों की आपत्तियों के बाद इसे स्थगित करना पड़ा। आयोग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि फील्ड विजिट का कार्य धीमी गति से चल रहा है, क्योंकि वाहनों की और बजट की भारी कमी है। आयोग को जो बजट मिल रहा है, वह टुकड़ों में आ रहा है। कई महीनों से आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों को मानदेय समय पर नहीं मिल रहा, जिससे प्रशासनिक कार्यों पर असर पड़ा है। इसके अलावा, OBC आरक्षण सर्वे के लिए बनाए गए आयोग को भी आधे जिलों से सहयोग नहीं मिल रहा। कई जिलों ने अब तक नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की सूचना तक नहीं भेजी, जिससे रिपोर्ट की प्रगति पर विराम लग गया है।
राजनीतिक और प्रशासनिक असर
SIR और OBC रिपोर्ट की देरी ने राज्य के राजनीतिक माहौल को भी प्रभावित किया है। भाजपा और कांग्रेस दोनों दलों ने पंचायत और निकाय चुनावों की तैयारियां शुरू कर दी थीं, लेकिन अब फरवरी 2026 तक इंतजार करना पड़ेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में सरपंचों की अनुपस्थिति से विकास कार्य ठप हैं। कई ग्राम पंचायतों में छोटे-छोटे कार्यों के लिए भी अब प्रशासक की अनुमति लेनी पड़ती है। शहरी क्षेत्रों में भी प्रशासक व्यवस्था के कारण नागरिक सुविधाओं और योजनाओं के क्रियान्वयन में देरी हो रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि लंबे समय तक प्रशासक शासन जनहित में नहीं है, क्योंकि इससे स्थानीय प्रतिनिधित्व समाप्त हो जाता है।
SIR के फायदे और भविष्य की राह
हालांकि SIR प्रक्रिया से चुनाव टल गए हैं, लेकिन इसका दीर्घकालिक फायदा प्रदेश को मिलेगा। मतदाता सूचियों की शुद्धता से फर्जी वोटिंग और डुप्लीकेट नामों पर रोक लगेगी। साथ ही, वोटर मैपिंग और डिजिटल लिंकिंग के बाद भविष्य में चुनाव अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय होंगे। फरवरी 2026 में जब SIR की अंतिम मतदाता सूची जारी होगी, तब राजस्थान के पंचायत और निकाय चुनाव एक नई, अद्यतन मतदाता सूची के साथ संपन्न होंगे।


