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राजस्थान में ‘शहर चलो अभियान’ की शुरुआत, पिछली सरकार की योजना की कॉपी?

राजस्थान में ‘शहर चलो अभियान’ की शुरुआत, पिछली सरकार की योजना की कॉपी?

मनीषा शर्मा।  राजस्थान में निकाय चुनाव नजदीक हैं और इसी के मद्देनज़र राज्य सरकार ने 312 शहरी निकायों में ‘शहर चलो अभियान’ चलाने की घोषणा कर दी है। हालांकि विपक्ष और स्थानीय जनप्रतिनिधि इसे पिछली गहलोत सरकार के ‘प्रशासन शहरों के संग’ अभियान की कॉपी बता रहे हैं। पिछली सरकार ने यह अभियान अक्टूबर 2021 में शुरू किया था और करीब तीन साल तक चलाया। उस समय 70 तरह के काम इस अभियान में शामिल किए गए थे और 119 तरह की रियायतें दी गई थीं। गहलोत सरकार के दौरान 10 लाख से अधिक पट्टे वितरित हुए थे।

इस बार क्या बदला और क्या वैसा ही रहा

इस बार सरकार ने इसका नाम बदलकर ‘शहर चलो अभियान’ रखा है। इसमें 55 कार्य शामिल किए गए हैं। यानी पिछली बार के मुकाबले 15 काम कम कर दिए गए हैं। इसके साथ ही केंद्र सरकार की 5 योजनाओं को भी जोड़ा गया है। हालांकि, सबसे बड़ी खामी यह बताई जा रही है कि इस अभियान में मिलने वाली रियायतें तय नहीं की गई हैं। पिछली बार शुल्क में कमी और रियायतों के चलते आम जनता बड़ी संख्या में कैंपों तक पहुंची थी, लेकिन इस बार जनप्रतिनिधियों को आशंका है कि रियायतें तय न होने की वजह से जनता का उत्साह कम रह सकता है।

अभियान कब और कहां चलेगा

‘शहर चलो अभियान’ 15 सितंबर से शुरू होकर 2 अक्टूबर तक चलेगा। यह 312 शहरी निकायों में आयोजित किया जाएगा। सरकार का दावा है कि इसका दायरा बढ़ाया गया है और शहरी निकायों के अधिकांश जरूरी कार्य एक ही जगह पूरे किए जा सकेंगे।

प्रशासन शहरों के संग बनाम शहर चलो अभियान

प्रशासन शहरों के संग (गहलोत सरकार)

  • 70 तरह के कार्य शामिल

  • 119 रियायतें दी गईं

  • शुल्क में कमी और छूट

  • 10 लाख से अधिक पट्टे वितरित

शहर चलो अभियान (वर्तमान सरकार)

  • 55 तरह के कार्य शामिल

  • रियायतें तय नहीं

  • केंद्र की योजनाओं का समावेश

  • नया नाम और विस्तृत दायरा

शहर चलो अभियान में शामिल प्रमुख कार्य

पट्टा और नियमन से जुड़े कार्य

  • कृषि भूमि की कॉलोनियों का नियमन

  • स्टेट ग्रांट एक्ट और 69A के पट्टे

  • कच्ची बस्तियों का नियमन

  • भूखंडों के पुनर्गठन और उपविभाजन की स्वीकृति

  • नामांतरण और अनधिकृत निर्माणों का नियमन

  • लीज होल्ड से फ्रीहोल्ड पट्टे

नागरिक सुविधाएं और पंजीयन

  • जन्म-मृत्यु और विवाह पंजीकरण

  • ट्रेड लाइसेंस और भवन निर्माण की मंजूरी

  • फायर NOC

  • स्ट्रीट वेंडर रजिस्ट्रेशन

  • सीवरेज कनेक्शन और मरम्मत

योजनाओं से जुड़े कार्य

  • पीएम आवास योजना और सीएम-पीएम स्वनिधि योजना

  • अटल पेंशन योजना

  • वृद्धावस्था, विधवा और विकलांग पेंशन के आवेदन

  • SBM 2.0 के तहत आवेदन

अन्य कार्य

  • स्ट्रीट लाइटों की मरम्मत और नई लाइटें लगाना

  • पार्क, चौराहों और डिवाइडर का सौंदर्यकरण

  • नालियों की मरम्मत और सीवर लाइन ठीक करना

  • आवारा पशुओं को पकड़ना

  • पार्किंग स्थलों और श्मशान/कब्रिस्तान की भूमि का चिह्नीकरण

  • यूडी टैक्स जमा करना

जनप्रतिनिधियों की चिंता

सभी कार्य तय किए गए हैं लेकिन रियायतों का अभाव इस अभियान पर सवाल खड़े कर रहा है। भाजपा सरकार ने बिना शुल्क में छूट या रियायतों के इसे लागू करने का निर्णय लिया है। स्थानीय नेताओं और पार्षदों को डर है कि इस वजह से लोग कैंपों तक नहीं आएंगे। पिछली सरकार के समय लोगों को पट्टे और नियमन में सीधे राहत मिलती थी। अब केवल औपचारिक कार्यों पर जोर दिया गया है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता का कितना सहयोग मिलता है।

निकाय चुनाव की रणनीति

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह पूरा अभियान आगामी नगर निकाय चुनावों को ध्यान में रखकर लाया गया है। सरकार चाहती है कि लोगों को शहरी विकास और प्रशासन की सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हों। इससे भाजपा को जनता से सीधा संवाद बनाने और चुनावी माहौल मजबूत करने का अवसर मिलेगा।

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