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वीरों की वीरता और वीरांगनाओं के जौहर का गवाह चित्तौड़गढ़ का किला

वीरों की वीरता और वीरांगनाओं के जौहर का गवाह चित्तौड़गढ़ का किला

राजस्थान(Rajasthan) अपनी संस्कृति और विरासत के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। यहां कई ऐसे किले मौजूद हैं जिन्हें देखने देश विदेश से लोग यहां आते हैं। चित्तौड़गढ़ किला (Chittorgarh Fort) इन्हीं में से एक है जो भारत(India) का सबसे बड़ा किला कहलाता है।

इतिहास 
चित्तौड़गढ़ के खूबसूरत और भव्य किले का निर्माण कब और किसने करवाया था, इसके बारे में पूरी तरह से जानकारी नहीं है लेकिन ऐसा माना जाता है कि महाभारत काल में भी यह किला मौजूद था। इसके अलावा कुछ इतिहासकारों का मानना है की इस किले का निर्माण मौर्य वंश के शासकों ने सातवीं शताब्दी में करवाया था। ऐसा कहा जाता है मौर्य शासक राजा चित्रांग ने इस किले का निर्माण करवाया और शुरुआत में इसका नाम चित्रकोट रखा गया था, इसके बाद मेवाड़ के गुहिल वंश के संस्थापक बप्पा रावल ने अपनी ताकत का इस्तेमाल करते हुए मौर्य साम्राज्य के सबसे आखिरी शासक से युद्ध में इस किले को जीत लिया गया था यह किस्सा लगभग 8वीं शताब्दी की है। इसके बाद मालवा के राजा मुंज ने इस दुर्ग पर अपना अधिकार किया और फिर यह किला गुजरात के महाशक्तिशाली शासक सिद्धराज जयसिंह के अधीन रहा। 12वीं सदी ने एक बार फिर से वही राजवंश ने इसे अपने अधीन कर लिया था और यह किला अलग-अलग समय पर मौर्य, सोलंकी, खिलजी, मुगल, प्रतिहार, चौहान, परमार वंश के शासकों के अधीन रह चुका है। चित्तौड़गढ़ में स्थित इस किले में सात दरवाजें हैं, जिनकी मदद से किले के अंदर प्रवेश किया जाता है। चित्तौड़गढ़ किला 7वीं से 16वीं शताब्दी तक सत्ता का एक प्रमुख केंद्र रहा था।

तीन जौहर का प्रत्यक्षदर्शी 
चित्तौड़गढ़ के महान किले को महिलाओं का प्रमुख जौहर स्थान भी माना जाता है। यहां पहला जौहर रावल रतनसिंह के शासनकाल में अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के दौरान सन 1303 में रानी पद्मिनी ने अपनी 16 हजार दासियों के साथ किया था। इसके बाद , राणा विक्रमादित्य के शासनकाल में सन् 1534 ई. में गुजरात के शासक बहादुर शाह के आक्रमण के समय में रानी कर्णवती ने अपनी 13 हजार दासियों के साथ दूसरा जौहर किया था। जबकि तीसरा जौहर राणा उदयसिंह के शासन में अकबर के आक्रमण के समय सन 1568 में पत्ता सिसौदिया की पत्नी फूल कंवर के नेतृत्व में हुआ था। ये भारतीय इतिहास की प्रमुख घटनाओं में से शामिल हैं।

चित्तौड़गढ़ के किले की खासियत 
चित्तौड़गढ़ का किला 700 एकड़ और लगभग 13 किलोमीटर में हुआ है जिसके कारण यह भारत का सबसे विशाल और खूबसूरत दिखने वाला किला माना जाता है । यह किला गंभीरी नदी के पास, अरावली पर्वत शिखर पर सतह से करीब 180 मीटर की ऊंचाई पर बना हुआ है । इस किले में राजपूतों द्वारा बनाए गए बड़े-बड़े द्वार, ख़ूबसूरत मंदिर और बहुत से पवित्र स्थल बने हुए हैं। किला परिसर में करीब 65 ऐतिहासिक और बेहद शानदार संरचनाएं बनी हुई हैं, जिनमें से 19 मुख्य मंदिर, 4 बेहद आर्कषक महल परिसर, 4 ऐतिहासिक स्मारक एवं करीब 20 कार्यात्मक जल निकाय शामिल हैं। इसके अलावा किले के अंदर भी कई महल हैं, जिसमें राणा कुंभा महल और जलाशय के बीचों बीच पद्मिनी महल सबसे खूबसूरत है। किले मे एक विजय स्तंभ भी मौजूद हैं, जो 47 फुट वर्गाकार आधार और 10 फुट की ऊंचाई वाले आधार पर बना 122 फुट (करीब नौ मंजिल) स्तंभ है। किले के अंदर बने जौहर कुंड में रानियों ने सैंकड़ों दसियों के साथ अग्निसामधी ली थी। चित्तौड़ के इस किले को 21 जून, 2013 में युनेस्को विश्व धरोहर घोषित किया गया।

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