शोभना शर्मा। सिंधी समुदाय भगवान झूलेलाल का जन्मोत्सव चेटीचंड के रूप में मनाता है और चेटीचंड को ही सिंधी नव वर्ष के रूप में भी जाना जाता है।
व्यापार की शुरुआत के लिए शुभ दिन
चेटीचंड का त्यौहार चैत्र मास जिसे सिंधी में “चेत मास” की शुक्ल पक्ष की द्वितीया को मनाया जाता है। किसी भी नए व्यापार या नए उद्यम की शुरुआत के लिए चेटीचंड को सिंधी समाज सबसे अनुकूल और शुभ दिन मानता है। इस दिन सिंधी समाज के लोग न केवल पूजा अर्चना करते हैं बल्कि अपने आराध्य झूलेलाल की शोभायात्रा भी निकालते हैं और उनसे सुख समृद्धि की कामना करते हैं।
हिंदुस्तान ही नहीं पाकिस्तान में भी मनाया जाता है चेटीचंड
मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है कि भगवान झूलेलाल को उडरोलाल, अमरलाल और दरियासाहब जैसे नाम से जाना जाता है, उनका जन्म चैत्र शुक्ल पक्ष संवत 1007 द्वितीय को नसरपुर पाकिस्तान में हुआ और आसोज शुक्ल पक्ष द्वितीया संवत 1020 को पाकिस्तान के हैदराबाद में वह अंतरध्यान हुए। यही कारण है कि झूलेलाल का जन्मोत्सव भारत में ही नहीं बल्कि पाकिस्तान में भी मनाया जाता है।
कैसे मनाया जाता है चेटीचंड
चेटीचंड की मौके पर सिंधी समुदाय के लोग जल के देवता वरुण देव की आराधना करते हैं क्योंकि वह उनके आराध्य झूलेलाल को जल का प्रतिनिधि मानते हैं। इस दिन सिंधु नदी के तट पर “चालीहो” नमक पूजा अर्चना की जाती है और सिंधी लोग लकड़ी का मंदिर बनाकर उसमें एक लोटा जल रखकर ज्योत प्रचलित करते हैं।