सर्दियों के दौरान तापमान में गिरावट और नमीयुक्त मौसम न सिर्फ त्वचा को शुष्क बना देते हैं बल्कि इस कारण इंफेक्शन से सीने की तकलीफ और सांस उखड़ने की समस्या भी बढ़ जाती है। दमा और हार्ट के मरीजों के लिए सर्दियों का मौसम ही चेस्ट कंजेशन (सीने की तकलीफ) मौसम बन जाता है। ऐसे मरीजों में चेस्ट कंजेशन के कारण हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है। दरअसल, ठंड के कारण आपके सीने में कफ बढ़ने लगता है और इस वजह से सीने में दर्द तथा आपको सांस लेने में भी तकलीफ होने लगती है। चेस्ट कंजेशन के कई कारणों में इंफेक्शन, ठंड लगना और फ्लू से पीड़ित होना मुख्य कारण माना जाता है।
लक्षण
लगातार कफ निकलना, पीला या हरा कफ निकलना, कफ के साथ-साथ खून आना, सांस लेने में तकलीफ, मसलन धीरे-धीरे या बहुत तेज सांस लेना, सांस लेने में घरघराहट की आवाज आना, तेज बुखार आना, सीने में दर्द या जकड़न महसूस होना तथा खुद को अलग-थलग महसूस करना चेस्ट कंजेशन या इंफेक्शन के मुख्य लक्षण होते हैं। इस वजह से कई बार आपको सिरदर्द, थकान, पसीना आना, भूख की कमी या जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द की शिकायत भी हो सकती है।
कारण
चेस्ट कंजेशन फेफड़े में सांस की नली में इंफेक्शन के कारण बढ़ते हुए ब्रोनकाइटिस और निमोनिया तक की चपेट में पहुंचा सकता है। ब्रोनकाइटिस के ज्यादातर मामले वायरस के कारण जबकि निमोनिया के मामले बैक्टीरिया के कारण होते हैं। यह इंफेक्शन संक्रमित व्यक्ति के कफ निकालने, छींकने या खांसने से फैलता है। जब कोई संक्रमित व्यक्ति हाथ पर छींकने या खांसने के बाद दूसरों से हाथ मिलाता है, सार्वजनिक इस्तेमाल में आने वाली चीजों के संपर्क में आता है तो इससे भी यह संक्रमण फैलता है।
गर्मी से अधिक सर्दी में रहें संभलकर
कई देशों का अध्ययन बताता है कि गर्मी के मौसम की तुलना में सर्दियों के मौसम में हार्ट अटैक के मामले और इस वजह से होने वाली मौतों के मामले ज्यादा होते हैं। इस दौरान ऐसे मामले बढ़ने के पीछे मुख्य कारण तापमान में गिरावट और इस वजह से रक्तचाप बढ़ना होता है। इसके अलावा सर्दियों में कुछ खास तरह के प्रोटीन भी बढ़ जाते हैं जो रक्त थक्का जमाने का खतरा बढ़ा सकते हैं।
जैसे ही तापमान में गिरावट आती है और ठंडी हवा बहने लगती है, शरीर को गर्म रखना मुश्किल होने लगता है। शरीर से गर्मी कम होना यानी शरीर का अंदरूनी तापमान कम होना इन वर्गों के लोगों के लिए खतरनाक बन जाता है। ठंड के मौसम के कारण कोरोनरी हार्ट डिजीज से पीड़ित लोगों को एंजाइन या सीने में दर्द की शिकायत अक्सर बढ़ जाती है।
उपाय
हालांकि चेस्ट कंजेशन से कई तरीकों से राहत मिल सकती है। हॉट स्टीम जैसे घरेलू उपायों से लेकर कई तरह की दवाइयां इसमें कारगर होती हैं।
- इस समस्या से उभरने के लिए हवा में नमी बनाए रखना बहुत अच्छा घरेलू उपचार माना जाता है। हवा में नमी होने से आपके सीने में जमा कफ ढीला हो जाता है और फिर आप ज्यादा आसानी से कफ बाहर निकाल सकते हैं। इसके लिए घर में ह्यूमिडिफाइर का इस्तेमाल किया जाता है।
- चेस्ट कंजेशन से निजात पाने का दूसरा उपाय है- किसी चौड़े मुंह वाले बर्तन में गर्म पानी लेकर भाप लें। इस गर्म पानी के भाप को सांस में खींचने से पहले आपको सिर और चेहरा किसी तौलिये से अच्छी तरह ढंक लेना होगा। डॉक्टरों का कहना है कि भाप लेने से सांसनली अच्छी तरह खुल जाती है और आप जमे कफ को बाहर निकाल पाते हैं क्योंकि चेस्ट कंजेशन के दौरान गहरा सांस लेना जरूरी होता है। हालांकि अस्थमा के मरीजों को इसमें थोड़ी एहतियात बरतने की जरूरत है क्योंकि इसमें उनकी सांसनली सिकुड़ भी सकती है।
- चेस्ट कंजेशन के दौरान भरपूर पानी का सेवन भी कफ को ढीला करता है। कैफीनमुक्त गर्म चाय का सेवन और चिकेन सूप चेस्ट कंजेशन से बहुत आराम पहुंचाता है। लेकिन इस दौरान अल्कोहल, कॉफी और कैफीनयुक्त सोडा से दूर रहें क्योंकि इनका सेवन आपके शरीर में पानी की कमी ला सकता है।
- चेस्ट कंजेशन के दौरान तनाव या थकान वाले काम करने से बचें क्योंकि इसमें दिल को ज्यादा जोर लगाना पड़ता है। कई लोग सर्दियों में सामान्य से ज्यादा भोजन करने लग जाते हैं जो कि दिल की सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता है। इसके अलावा हार्ट अटैक के कई मामले हाइपोथर्मिया के कारण भी होते हैं जिसमें शरीर का तापमान अचानक से बहुत कम हो जाता है। लिहाजा अपने शरीर को गर्म रखने के लिए पर्याप्त गर्म कपड़े पहनकर रहें।
- शोध बताते हैं कि वैपर की मालिश चेस्ट कंजेशन से न सिर्फ राहत दिलाती है बल्कि बच्चों को अच्छी नींद भी देती है। वैपर रब में मौजूद कपूर, मेंथॉल और यूकेलिप्टस इसमें राहत दिलाने के लिए काफी गुणकारी माने गए हैं।
- चेस्ट कंजेशन की सामान्य स्थितियों में डॉक्टर से सलाह लेने की जरूरत नहीं पड़ती है लेकिन जब आपकी छाती में कफ लंबे समय तक बैठ चुका हो और कफ पीला या हरा होने के साथ साथ उसमें खून आने लगे तो डॉक्टर को जरूर दिखा लें। डॉक्टर आपको आगे की जांच कराने या कुछ समय तक जरूरी दवाओं के सेवन की सलाह दे सकते हैं।
रखें इनका खास ध्यान
सर्दियों के दौरान प्लेटलेट्स की प्रवृत्ति बढ़ने लगती है और कुछ खास किस्म के नुकसानदेह प्रोटीन की सक्रियता भी बढ़ जाती है। इससे आर्टरी में रक्तथक्का बनने की संभावना बढ़ जाती है। लिहाजा सर्दियों में हार्ट अटैक के मामले बढ़ने का यही मुख्य कारण माना जाता है। इस मौसम में शरीर के सभी हिस्सों में रक्त पहुंचाने तथा शरीर को गर्म रखने के लिए दिल को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। कई बार कमजोर दिल वाले लोगों के लिए यह जोर लगाना काफी महंगा पड़ सकता है। यही वजह है कि सर्दियों में बुजुर्गों की सेहत पर खतरा अधिक रहता है।
नवजात, छोटे बच्चों, मोटापे से पीड़ित व्यक्तियों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं, धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों और कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले व्यक्तियों में चेस्ट कंजेशन यानी सीने में संक्रमण का खतरा अधिक रहता है। इसके अलावा अस्थमा, दिल की बीमारी, डायबिटीज, किडनी रोग, सिस्टिक फाइब्रोसिस या सीओपीडी बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों में भी इस संक्रमण की चपेट में आने का खतरा अधिक रहता है।