मनीषा शर्मा। डिजिटल पेमेंट सिस्टम को सुरक्षित बनाने के लिए भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने एक अहम और ऐतिहासिक कदम उठाया है। 1 अक्टूबर 2025 से UPI पर पीयर-टू-पीयर (P2P) ‘कलेक्ट रिक्वेस्ट’ फीचर को पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा। इस बदलाव का उद्देश्य ऑनलाइन धोखाधड़ी के एक बड़े स्रोत को खत्म करना है, जिससे करोड़ों यूजर्स के पैसे सुरक्षित रहेंगे। NPCI का यह कदम डिजिटल फ्रॉड करने वालों के खिलाफ एक ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ माना जा रहा है।
‘कलेक्ट रिक्वेस्ट’ फीचर UPI का वह हिस्सा था, जिसके जरिए कोई भी व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से पैसे मांग सकता था। उदाहरण के तौर पर, यदि आपको अपने दोस्त से 500 रुपये लेने हों, तो आप उसकी UPI ID डालकर ‘कलेक्ट रिक्वेस्ट’ भेज सकते थे। जैसे ही वह व्यक्ति नोटिफिकेशन अप्रूव करके अपना UPI पिन डालता, पैसा आपके खाते में आ जाता। यह सुविधा मूल रूप से दोस्तों, परिवार या रिश्तेदारों से बकाया रकम लेने के लिए बनाई गई थी, लेकिन समय के साथ यह धोखाधड़ी का बड़ा जरिया बन गई।
ऑनलाइन ठगी करने वाले इस फीचर का इस्तेमाल बेहद चालाकी से करते थे। वे लोगों को लॉटरी, कैशबैक, नौकरी, OLX पर सामान बेचने या इनाम जीतने का लालच देकर फंसाते थे। बातचीत के दौरान वे कहते कि आपके खाते में पैसा भेज रहे हैं और इसके लिए आपके फोन पर एक रिक्वेस्ट भेजते थे। भोले-भाले लोग यह सोचकर कि उन्हें पैसा मिल रहा है, UPI पिन डालकर उस रिक्वेस्ट को अप्रूव कर देते थे, जबकि असल में उनके खाते से पैसा कटकर धोखेबाज के खाते में चला जाता था।
NPCI ने इस तरह के मामलों को रोकने के लिए पहले भी कदम उठाए थे। कलेक्ट रिक्वेस्ट की लिमिट घटाकर ₹2,000 प्रति ट्रांजैक्शन कर दी गई थी, जिससे धोखाधड़ी में कमी आई, लेकिन पूरी तरह रोक नहीं लगी। ठग लगातार नए तरीकों से लोगों को शिकार बना रहे थे। UPI के करीब 40 करोड़ यूजर्स हैं और हर महीने लगभग 1,946 करोड़ ट्रांजैक्शन होते हैं। ऐसे में NPCI के लिए यह जरूरी हो गया कि सिस्टम को और ज्यादा सुरक्षित बनाया जाए।
नए नियम के तहत 1 अक्टूबर 2025 से P2P यानी एक आम यूजर से दूसरे आम यूजर को भेजी जाने वाली ‘कलेक्ट रिक्वेस्ट’ पूरी तरह बंद हो जाएगी। हालांकि, यह प्रतिबंध केवल आम यूजर्स पर लागू होगा, मर्चेंट्स यानी दुकानदार और कंपनियां पहले की तरह ही आपको पेमेंट रिक्वेस्ट भेज सकेंगी। इसका मतलब है कि जब आप फ्लिपकार्ट, अमेजन, स्विगी या IRCTC जैसी वेबसाइट पर खरीदारी करेंगे और UPI से भुगतान का विकल्प चुनेंगे, तो मर्चेंट आपके फोन पर पेमेंट रिक्वेस्ट भेजेंगे, जिसे आप पिन डालकर अप्रूव कर पाएंगे।
आपके रोजमर्रा के लेनदेन पर इसका कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा। आप अब भी QR कोड स्कैन करके, मोबाइल नंबर या UPI ID डालकर किसी को भी सीधे पैसे भेज सकेंगे। बस फर्क इतना होगा कि कोई भी आम यूजर अब आपको ‘पैसा मांगने’ वाली रिक्वेस्ट नहीं भेज पाएगा।
शुरुआत में छोटे दुकानदार भी अपनी पर्सनल UPI ID से ग्राहकों को बकाया राशि के लिए कलेक्ट रिक्वेस्ट भेजते थे, लेकिन अब ज्यादातर बैंक और UPI ऐप्स ऐसे खातों को ‘मर्चेंट अकाउंट’ के रूप में रजिस्टर कर चुके हैं। इस वजह से इन पर नए नियम का असर नहीं होगा।
NPCI के इस फैसले का सबसे बड़ा फायदा आम लोगों को होगा। अब गलती से किसी फ्रॉड रिक्वेस्ट को अप्रूव करने का खतरा खत्म हो जाएगा। चूंकि ठगों के लिए सबसे आसान तरीका यही था कि वे नकली रिक्वेस्ट भेजकर पैसे अपने खाते में खींच लें, ऐसे में यह फीचर बंद होने के बाद इस तरह के मामले लगभग खत्म हो जाएंगे।
इस बदलाव को डिजिटल पेमेंट सिस्टम की सुरक्षा के लिहाज से मील का पत्थर माना जा रहा है। भारत में UPI ने न सिर्फ कैशलेस इकोनॉमी को मजबूत किया है, बल्कि लाखों छोटे कारोबारियों और ग्राहकों के लिए सुविधाजनक भुगतान का तरीका भी बनाया है। NPCI का यह कदम यह सुनिश्चित करेगा कि यह सुविधा सुरक्षित और भरोसेमंद बनी रहे।
1 अक्टूबर 2025 से लागू होने वाले इस नए नियम के बाद डिजिटल ट्रांजैक्शन का वातावरण और ज्यादा सुरक्षित, पारदर्शी और यूजर-फ्रेंडली हो जाएगा। यह कदम न केवल मौजूदा यूजर्स को राहत देगा, बल्कि नए यूजर्स के भरोसे को भी मजबूत करेगा। अब UPI यूजर्स निश्चिंत होकर ट्रांजैक्शन कर सकेंगे, क्योंकि धोखाधड़ी के सबसे बड़े हथियारों में से एक को सिस्टम से हटा दिया गया है।