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राजस्थान स्कूल पाठ्यक्रम में बदलाव: जानें क्या हैं नई विशेषताएं

राजस्थान स्कूल पाठ्यक्रम में बदलाव: जानें क्या हैं नई विशेषताएं

मनीषा शर्मा, अजमेर। राजस्थान सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और नई शिक्षा नीति (NEP) को प्रभावी ढंग से लागू करने के उद्देश्य से स्कूल पाठ्यक्रम में बदलाव करने का निर्णय लिया है। यह बदलाव राष्ट्रीय दृष्टिकोण और समकालीन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा। सरकार द्वारा गठित पाठ्यक्रम समीक्षा समिति अगले महीने अपनी रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके आधार पर नए पाठ्यक्रम को अंतिम रूप दिया जाएगा। पाठ्यक्रम समीक्षा समिति के अध्यक्ष और अजमेर एमडीएस यूनिवर्सिटी के नए कुलपति प्रोफेसर कैलाश सोढानी ने बताया कि कक्षा 1 से 5 तक के पाठ्यक्रम में व्यापक बदलाव किए जाएंगे। वहीं, कक्षा 6 से 12 तक के एनसीईआरटी (NCERT) पाठ्यक्रम में केवल 15 से 20 प्रतिशत संशोधन किया जाएगा। इस बदलाव का उद्देश्य बच्चों को राष्ट्रीयता, संस्कृति और आधुनिक भारत की चुनौतियों के लिए तैयार करना है।

राष्ट्रीयता को बढ़ावा देने के लिए पाठ्यक्रम में बदलाव

समिति के अध्यक्ष प्रो. सोढानी ने कहा कि बच्चों में राष्ट्रीयता और देशभक्ति की भावना को बढ़ावा देना समय की आवश्यकता है। बच्चों को यह समझाना जरूरी है कि वे भारत माता के सपूत हैं और उनकी भूमिका देश को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण है। इसके लिए पाठ्यक्रम में महापुरुषों के जीवन, भारतीय संस्कृति और सनातन परंपराओं को शामिल किया जाएगा। यह बदलाव बच्चों को अपनी जड़ों से जुड़ने और देश के प्रति गर्व महसूस करने में मदद करेगा।

उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी बाहरी चीजों जैसे पिज्जा और पास्ता की ओर अधिक आकर्षित हो रही है। यह केवल स्वास्थ्य के लिए हानिकारक नहीं है, बल्कि बच्चों की मानसिकता पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। मल्टीनेशनल कंपनियां न केवल देश से पैसा कमा रही हैं, बल्कि स्वास्थ्य समस्याएं भी पैदा कर रही हैं।

विदेश पलायन पर चिंता

प्रोफेसर सोढानी ने कहा कि भारत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षा प्राप्त करने के बावजूद 60 प्रतिशत बच्चे विदेशों में बस जाते हैं। ये बच्चे जर्मनी, जापान और अन्य देशों के विकास में योगदान देते हैं, लेकिन भारत के विकास में इनकी भूमिका नगण्य है। इसे रोकने के लिए बच्चों को बचपन से ही देश की सेवा के लिए मानसिक रूप से तैयार करना होगा।

नई शिक्षा नीति और पाठ्यक्रम का उद्देश्य

नई शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम में पुरातन और आधुनिक संस्कृति का समावेश होगा। इसका उद्देश्य बच्चों को बेहतर शिक्षा के साथ-साथ उनकी सोच को विकसित करना और उन्हें देश के लिए जिम्मेदार नागरिक बनाना है। बच्चों को महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेने और भारतीय संस्कृति पर गर्व करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

पाठ्यक्रम बदलाव की प्रक्रिया

पाठ्यक्रम समीक्षा समिति में नौ विद्वानों को शामिल किया गया है। समिति की पहली बैठक पिछले सोमवार को हुई, जिसमें निर्णय लिया गया कि सभी सदस्यों को कक्षा 1 से 12 तक की किताबें भेजी जाएंगी। समिति के सदस्य इन किताबों का अध्ययन कर 10 दिनों के भीतर अपनी राय प्रस्तुत करेंगे।

इसके बाद समिति सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। रिपोर्ट के आधार पर पाठ्यक्रम में बदलाव की प्रक्रिया शुरू होगी। यह बदलाव नियमानुसार किया जाएगा, जहां कक्षा 1 से 5 तक के पाठ्यक्रम में अधिक बदलाव की संभावना है। वहीं, कक्षा 6 से 12 तक के एनसीईआरटी पाठ्यक्रम में 15 से 20 प्रतिशत ही परिवर्तन किया जाएगा।

पुस्तक लेखन और प्रकाशन की योजना

समिति अपनी रिपोर्ट एक महीने के भीतर सौंप देगी। इसके बाद 100 लेखकों की सूची तैयार की गई है, जिन्हें आरएससीईआरटी (राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद), उदयपुर में बुलाया जाएगा। वहां वर्कशॉप आयोजित की जाएगी, जहां लेखक पुस्तक लेखन का कार्य करेंगे।

पुस्तक लेखन के बाद उनके प्रकाशन में समय लगेगा, लेकिन सरकार प्रयास कर रही है कि यह पूरी प्रक्रिया तेज गति से हो ताकि 2025-26 सत्र से बदला हुआ पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को मिल सके।

नए पाठ्यक्रम में क्या होगा खास?

  1. राष्ट्रीय दृष्टिकोण: पाठ्यक्रम में महापुरुषों के जीवन और भारतीय संस्कृति को प्रमुखता दी जाएगी।

  2. प्रासंगिक विषय: वर्तमान समय की चुनौतियों और समकालीन मुद्दों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।

  3. पर्यावरण और स्वास्थ्य: बच्चों को स्वदेशी खानपान और पर्यावरण के प्रति जागरूक किया जाएगा।

  4. नई शिक्षा नीति: आधुनिक और पुरातन शिक्षा का समन्वय।

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