शोभना शर्मा। राजस्थान की राजधानी जयपुर में रविवार को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में कैबिनेट और मंत्री परिषद की बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में विधानसभा सत्र को लेकर चर्चा के साथ-साथ कई अहम फैसले लिए गए। बैठक के बाद डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा, मंत्री जोगाराम पटेल और सुमित गोदारा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके विस्तार से जानकारी दी।
इस बैठक में राज्य की नीतियों में संशोधन, सेवा नियमों में बदलाव, शिक्षा विभाग में भर्ती प्रक्रिया और धर्म परिवर्तन रोकने के लिए कड़े प्रावधानों पर चर्चा की गई। साथ ही सौर ऊर्जा और स्ट्रीट लाइटिंग जैसी योजनाओं पर भी निर्णय लिए गए।
शिक्षा विभाग में 4700 पदों पर भर्ती
बैठक में उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत कॉलेज एजुकेशन सोसाइटी (RAJSEJ) के माध्यम से 374 महाविद्यालयों में लगभग 4700 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय लिया गया। डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा ने बताया कि यह भर्ती युवाओं के लिए रोजगार के अवसर खोलेगी और उच्च शिक्षा संस्थानों में स्टाफ की कमी को पूरा करेगी।
यह फैसला शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और कॉलेज स्तर पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षण सुनिश्चित करने के लिए अहम माना जा रहा है।
सेवा नियमों में बड़ा बदलाव
बैठक में राजस्थान सेवा नियमों में परिवर्तन को मंजूरी दी गई। इससे राज्य के कार्मिकों को पदोन्नति का लाभ मिलेगा और लंबे समय से अटकी हुई प्रमोशन प्रक्रियाओं को गति मिलेगी।
साथ ही राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड (RSMSSB) को सेवा नियम बनाने की अनुमति दी गई है। इससे भर्ती और चयन प्रक्रियाओं में पारदर्शिता बढ़ेगी और प्रशासनिक व्यवस्था और मजबूत होगी।
सीवरेज और अपशिष्ट जल नीति में संशोधन
कैबिनेट ने सीवरेज और अपशिष्ट जल नीति 2016 में भी बदलाव किए। अब अपशिष्ट जल के पुनः उपयोग को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित कमेटी निर्णय ले सकेगी।
इसके अलावा नमामि गंगे नियमों में भी संशोधन किया गया है ताकि स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण को मजबूती दी जा सके।
सौर ऊर्जा और स्ट्रीट लाइटिंग का विस्तार
बैठक में सौर ऊर्जा को प्रोत्साहित करने के लिए कई अहम फैसले लिए गए। इसके साथ ही यह भी तय किया गया कि अगली दिवाली तक प्रदेश में 2 लाख नई स्ट्रीट लाइटें लगाई जाएंगी। इसके लिए सरकार अतिरिक्त 160 करोड़ रुपए खर्च करेगी। यह पहल राजस्थान को ऊर्जा दक्षता और हरित ऊर्जा की दिशा में आगे बढ़ाने वाली मानी जा रही है।
धर्म परिवर्तन रोकने के लिए सख्त बिल
बैठक में धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए कड़े प्रावधानों वाला संशोधित बिल लाने का निर्णय लिया गया।
मंत्री जोगाराम पटेल ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति अपने मूल धर्म में वापस लौटता है तो उस पर यह प्रावधान लागू नहीं होंगे। लेकिन बलपूर्वक धर्म परिवर्तन, धोखाधड़ी, प्रलोभन, विवाह का झांसा देकर धर्म परिवर्तन, जबरदस्ती प्रचार जैसे कार्यों को अपराध माना जाएगा।
सजा और दंड के प्रावधान
सामान्य धर्म परिवर्तन: कम से कम 7 वर्ष से 14 वर्ष तक की सजा और 5 लाख रुपए तक का जुर्माना।
यदि पीड़ित नाबालिग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति या दिव्यांग महिला है तो: 10 से 20 वर्ष तक की सजा और 10 लाख रुपए तक का जुर्माना।
सामूहिक धर्म परिवर्तन: न्यूनतम 20 वर्ष का कारावास और अधिकतम आजीवन कारावास के साथ 25 लाख रुपए तक का जुर्माना।
यह प्रावधान देश में अब तक के सबसे कड़े एंटी-कन्वर्ज़न कानूनों में गिने जा रहे हैं।
विधानसभा सत्र और विधायी एजेंडा
कैबिनेट बैठक में आगामी विधानसभा सत्र पर भी चर्चा की गई। कई ऐसे बिल, जिन्हें पहले प्रमुख समितियों के पास भेजा गया था, अब सदन में लाए जाएंगे। धर्म परिवर्तन बिल के अलावा शिक्षा और प्रशासनिक सुधार से जुड़े विधेयकों को भी सत्र में पेश करने की तैयारी है।