मनीषा शर्मा। अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले एडीएजी ग्रुप (अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप) ने अपने कारोबारी दृष्टिकोण में बड़ा बदलाव करने का संकेत दिया है। रिलायंस पावर लिमिटेड और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड में अनिल अंबानी और उनके बेटे जय अनमोल अंबानी ने अपनी प्रमोटर की भूमिका छोड़ने का निर्णय लिया है। यह कदम भारतीय बाजार नियामक सेबी (SEBI) के लिस्टिंग नियमों के अनुसार उठाया गया है और इसे दोनों कंपनियों के बोर्ड से मंजूरी मिल चुकी है।
क्यों लिया गया यह निर्णय?
अनिल अंबानी और जय अनमोल अंबानी अब ‘प्रमोटर’ की बजाय ‘पब्लिक शेयरहोल्डर’ की भूमिका निभाएंगे। यह बदलाव उनके शेयरों की संख्या को नियामक सीमा के भीतर रखने के लिए किया जा रहा है। SEBI के नियम 31A के तहत प्रमोटरों को पब्लिक शेयरहोल्डर बनने के लिए वोटिंग अधिकारों को कंपनी की कुल इक्विटी के 10% से कम रखना होता है।
शेयरहोल्डिंग का आंकड़ा
सितंबर 2024 के आंकड़ों के अनुसार:
- रिलायंस पावर: अनिल अंबानी के पास 4,65,792 शेयर और जय अनमोल अंबानी के पास 4,17,439 शेयर हैं।
- रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर: अनिल अंबानी के पास 1,39,437 शेयर और जय अनमोल के पास 1,25,231 शेयर हैं।
यह बदलाव नियमों के अनुसार किया जा रहा है, ताकि अंबानी परिवार ‘पब्लिक शेयरहोल्डर’ के दायरे में आ सके।
SEBI के नियम और उनकी भूमिका
सेबी के नियमानुसार, यदि प्रमोटर अपनी भूमिका छोड़ना चाहते हैं, तो उनकी हिस्सेदारी कंपनी की कुल इक्विटी के 10% से अधिक नहीं होनी चाहिए। हालांकि, 2024 में एक पैनल ने इस सीमा को 25% तक बढ़ाने की सिफारिश की थी, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया।
बाजार पर संभावित प्रभाव
अनिल अंबानी और उनके बेटे के इस निर्णय से रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के शेयरों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।
- शुक्रवार को रिलायंस पावर का शेयर 3.18% गिरकर 38.98 रुपये पर बंद हुआ।
- वहीं, रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर का शेयर 1.78% की तेजी के साथ 292.15 रुपये पर बंद हुआ।
निवेशकों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे इस बदलाव के दीर्घकालिक प्रभावों को समझें। इस कदम से कंपनियों के कामकाज में पारदर्शिता बढ़ने और उनके प्रति निवेशकों के विश्वास में सुधार होने की संभावना है।
क्या संकेत देते हैं ये बदलाव?
अनिल अंबानी का यह कदम स्पष्ट करता है कि उनकी रणनीति रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर में प्रमोटर की भूमिका से हटकर अधिक पारदर्शी प्रशासनिक व्यवस्था की ओर बढ़ने की है।
- यह बदलाव कंपनियों के कामकाज को स्वतंत्रता देने के साथ-साथ संस्थागत और खुदरा निवेशकों को आकर्षित करने में सहायक हो सकता है।
- निवेशकों को अब इन कंपनियों के प्रदर्शन, प्रबंधन और वित्तीय स्थिति पर अधिक भरोसा हो सकता है।
निवेशकों के लिए क्या है संदेश?
इस बदलाव का सीधा असर रिलायंस पावर और रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के शेयरों पर देखने को मिलेगा। निवेशकों को दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाते हुए इन कंपनियों की वित्तीय स्थिति, प्रबंधन और नए व्यापारिक फैसलों का अध्ययन करना चाहिए।