मनीषा शर्मा। राजस्थान सरकार ने खाद्य सुरक्षा योजना के तहत राशन वितरण में लागू ई-केवाईसी नियम से जुड़ी एक बड़ी विसंगति को दूर कर दिया है। इस फैसले से राज्य के हजारों लाभार्थी परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी। पहले तक की व्यवस्था में यदि परिवार के किसी एक सदस्य की भी ई-केवाईसी पूरी नहीं होती थी, तो पूरे परिवार को राशन का गेहूं नहीं मिलता था। लेकिन अब संशोधित नियमों के बाद केवल उसी सदस्य को गेहूं नहीं मिलेगा जिसकी ई-केवाईसी अधूरी है, जबकि बाकी परिवार के सदस्यों को पूर्ववत राशन का गेहूं मिलता रहेगा।
विसंगति के कारण परिवारों को हो रही थी परेशानी
खाद्य सुरक्षा योजना के लाभार्थियों को हर माह गेहूं और अन्य जरूरी अनाज उपलब्ध कराया जाता है। लेकिन पिछले दिनों इस वितरण प्रणाली में ई-केवाईसी की शर्त लागू होने से कई परिवारों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था। पोस मशीन की तकनीकी खामी के चलते यदि एक भी सदस्य की ई-केवाईसी नहीं हुई होती, तो पूरे परिवार का राशन रोक दिया जाता था। इससे हजारों परिवारों के सामने खाद्य संकट की स्थिति खड़ी हो गई थी।
मीडिया की रिपोर्ट से मामला पहुंचा मुख्यमंत्री तक
यह विसंगति तब सामने आई जब पत्रिका में इस मुद्दे को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया। खबर ने सरकार का ध्यान खींचा और मामला सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंच गया। मुख्यमंत्री ने इसे गंभीरता से लेते हुए विभागीय अधिकारियों को तुरंत सुधार करने के आदेश दिए। इसके बाद खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने पोस मशीन की प्रणाली में आवश्यक बदलाव कर दिया।
नई व्यवस्था से परिवारों को राहत
नई प्रणाली के तहत अब केवल उसी व्यक्ति को राशन का गेहूं नहीं मिलेगा जिसकी ई-केवाईसी अधूरी है। शेष सभी परिवारजनों को उनके हक का राशन मिलता रहेगा। इसका सीधा फायदा उन हजारों परिवारों को मिलेगा, जो सिर्फ एक सदस्य की ई-केवाईसी अधूरी रहने के कारण पूरे परिवार के राशन से वंचित हो रहे थे।
पोस मशीन में नया विकल्प
विभागीय अधिकारियों के अनुसार अब पोस मशीन में ऐसा विकल्प जोड़ दिया गया है जिससे लाभार्थी परिवार के बाकी सदस्यों को बिना किसी बाधा के गेहूं वितरित किया जा सकेगा। अधिकारी मानते हैं कि यह बदलाव न केवल परिवारों की मुश्किलें कम करेगा बल्कि राशन वितरण की पारदर्शिता को भी सुनिश्चित करेगा।
लाभार्थियों की प्रतिक्रिया
कई परिवारों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। उनका कहना है कि पहले एक छोटे से तकनीकी कारण की वजह से पूरे परिवार को गेहूं से वंचित होना पड़ता था, जो अन्यायपूर्ण था। अब मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप से यह समस्या दूर हो गई है। लाभार्थियों का मानना है कि यह निर्णय वास्तव में जरूरतमंदों के हित में है और इससे उन्हें समय पर अनाज मिल सकेगा।


