शोभना शर्मा। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने कक्षा 10वीं की परीक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव करते हुए वर्ष 2025-26 से एक नया फॉर्मेट लागू करने का प्रस्ताव रखा है। इसके तहत, अब कक्षा 10वीं के छात्रों को साल में दो बार बोर्ड परीक्षा देने का विकल्प मिलेगा। इस नई परीक्षा प्रणाली को लागू करने के लिए CBSE ने एक ड्राफ्ट पॉलिसी तैयार की है, जिसे बोर्ड की अधिकृत वेबसाइट www.cbse.gov.in पर जारी किया गया है। इस पर 9 मार्च 2025 तक अभिभावक, शिक्षक, छात्र और अन्य हितधारक अपनी राय दे सकते हैं।
CBSE के परीक्षा नियंत्रक डॉ. संयम भारद्वाज ने इस संबंध में मंगलवार रात एक सार्वजनिक सूचना जारी की। इसमें उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत यह सिफारिश की गई थी कि छात्रों को बोर्ड परीक्षा में अपना प्रदर्शन सुधारने का अवसर दिया जाना चाहिए। इस नीति के अनुपालन में केंद्रीय शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में एक बैठक आयोजित की गई, जिसमें यह निर्णय लिया गया कि सत्र 2025-26 से 10वीं की बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार आयोजित की जाएंगी।
CBSE ड्राफ्ट पॉलिसी का मुख्य उद्देश्य
इस ड्राफ्ट पॉलिसी को तैयार करने का मुख्य उद्देश्य छात्रों पर परीक्षा का दबाव कम करना और उन्हें बेहतर प्रदर्शन के लिए एक अतिरिक्त अवसर देना है। कई बार ऐसा होता है कि छात्र किसी कारणवश पहली परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं। ऐसे में उन्हें दूसरी परीक्षा में अपनी स्कोर सुधारने का मौका मिलेगा। यह कदम छात्रों को अधिक आत्मविश्वास देने के साथ-साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप भी होगा।
कब और कैसे होगी 10वीं की दो बोर्ड परीक्षाएं?
CBSE द्वारा प्रस्तावित नई परीक्षा प्रणाली के तहत, कक्षा 10वीं के छात्रों के लिए दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित की जाएगी।
पहली बोर्ड परीक्षा
- तारीख: 17 फरवरी 2026 से 6 मार्च 2026 तक
- परिणाम: 20 अप्रैल 2026
- इस परीक्षा के बाद कोई पासिंग सर्टिफिकेट जारी नहीं होगा।
दूसरी बोर्ड परीक्षा
- तारीख: 5 मई 2026 से 20 मई 2026 तक
- परिणाम: 30 जून 2026
- इस परीक्षा के बाद ही छात्रों को अंतिम पासिंग सर्टिफिकेट मिलेगा।
इस प्रणाली में पहली परीक्षा के बाद छात्रों के अंकों की जानकारी डिजी लॉकर में उपलब्ध कराई जाएगी, ताकि वे इन अंकों के आधार पर कक्षा 11वीं में प्रवेश ले सकें। हालांकि, पासिंग सर्टिफिकेट सिर्फ दूसरी परीक्षा के बाद ही दिया जाएगा।
प्रैक्टिकल और इंटर्नल असेसमेंट की प्रक्रिया
- प्रैक्टिकल और इंटर्नल असेसमेंट केवल एक बार ही होगा, चाहे छात्र दोनों परीक्षाएं दें या सिर्फ एक।
- यदि छात्र पहली परीक्षा में पास नहीं होते हैं, तो भी उन्हें कक्षा 11वीं में प्रोविजनल प्रवेश मिल सकता है।
- दूसरी परीक्षा के नतीजे के आधार पर ही उनकी योग्यता को अंतिम रूप दिया जाएगा।
बोर्ड परीक्षा प्रणाली में बदलाव क्यों जरूरी था?
CBSE द्वारा यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत किया गया है, जिसमें यह सिफारिश की गई थी कि बोर्ड परीक्षाओं का स्वरूप ऐसा हो, जिससे छात्रों को अधिक अवसर मिले और उन पर दबाव कम हो।
इस प्रणाली से:
- छात्रों को अपने प्रदर्शन में सुधार का मौका मिलेगा।
- पहली परीक्षा में कम अंक आने पर वे दूसरी परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं।
- छात्रों को एक लचीली और तनावमुक्त शिक्षा प्रणाली मिलेगी।
- प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों को भी फायदा होगा, क्योंकि वे अपने विषयों को अधिक गहराई से समझ सकेंगे।
9 मार्च तक दे सकते हैं प्रतिक्रिया
CBSE ने ड्राफ्ट पॉलिसी को वेबसाइट www.cbse.gov.in पर अपलोड कर दिया है। शिक्षक, छात्र, अभिभावक और स्कूल प्रबंधन इस पर 9 मार्च 2025 तक अपनी प्रतिक्रिया दर्ज कर सकते हैं।
बोर्ड को मिली प्रतिक्रियाओं के आधार पर इस नीति में आवश्यक संशोधन किए जाएंगे और फिर इसे अंतिम रूप दिया जाएगा।
क्या बदलेगा नई प्रणाली में?
मौजूदा परीक्षा प्रणाली | प्रस्तावित नई परीक्षा प्रणाली (2025-26 से) |
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10वीं बोर्ड परीक्षा साल में एक बार होती है। | 10वीं बोर्ड परीक्षा साल में दो बार होगी। |
छात्रों को सिर्फ एक अवसर मिलता है। | छात्रों को दो अवसर मिलेंगे। |
पहली परीक्षा में खराब प्रदर्शन करने पर कोई विकल्प नहीं। | पहली परीक्षा में खराब प्रदर्शन करने वाले दूसरी परीक्षा में सुधार कर सकते हैं। |
पासिंग सर्टिफिकेट परीक्षा के तुरंत बाद मिल जाता है। | पासिंग सर्टिफिकेट सिर्फ दूसरी परीक्षा के बाद मिलेगा। |