मनीषा शर्मा। राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में स्थित रणथंभौर टाइगर रिजर्व देश और दुनिया में मशहूर है। यहां हर साल लाखों की संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक बाघों की झलक पाने के लिए पहुंचते हैं। लेकिन शनिवार शाम यहां एक ऐसा वाकया हुआ जिसने टूरिस्टों की जान खतरे में डाल दी और वन विभाग की व्यवस्थाओं पर बड़े सवाल खड़े कर दिए।
शनिवार शाम करीब 6 बजे रणथंभौर टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में कैंटर से जंगल सफारी कर रहे 20 टूरिस्ट अचानक मुश्किल में फंस गए। इनकी सफारी गाड़ी यानी कैंटर जोन नंबर-6 में खराब हो गई। खास बात यह रही कि यह वही इलाका था जहां तीन बाघों का टेरिटरी क्षेत्र है। ऐसे में यह खराबी टूरिस्टों की जान के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकती थी। गाइड मौके पर ही टूरिस्टों को खुले कैंटर में छोड़कर दूसरी गाड़ी लाने की बात कहकर चला गया। लेकिन वह समय पर नहीं लौटा। करीब डेढ़ घंटे तक महिलाएं, बच्चे और अन्य टूरिस्ट अंधेरे जंगल में खुले कैंटर में बैठे रहे। इस दौरान टूरिस्टों ने दहशत भरे पलों का वीडियो भी बनाया, जिसमें बच्चों की रोने की आवाजें साफ सुनाई देती हैं।
अंधेरे में दहशत, बच्चे रोने लगे
टूरिस्टों के मुताबिक शाम 6 बजे के बाद कैंटर अचानक खराब हो गया। धीरे-धीरे अंधेरा छा गया और कैंटर के आसपास बाघों के क्षेत्र का सन्नाटा फैल गया। कैंटर में सवार छोटे बच्चे डर से रोने लगे। महिलाओं ने ड्राइवर से सवाल किया कि आखिर गाइड कहां चला गया और क्यों उन्हें इस स्थिति में छोड़ दिया गया। ड्राइवर ने बेबसी जताते हुए कहा कि गाइड तो भाग गया है और अब खुद भी कुछ नहीं कर सकता। वीडियो में साफ दिख रहा है कि अंधेरे जंगल में रोशनी का सहारा सिर्फ मोबाइल की फ्लैशलाइट थी। महिलाएं और बच्चे बेहद डरे हुए नजर आए।
टूरिस्ट बोले – हादसा हो सकता था
करीब डेढ़ घंटे बाद टूरिस्ट किसी तरह वहां से गुजर रहे दूसरे कैंटर की मदद से राजबाग नाका वन चौकी पहुंचे। वहां उन्होंने वनपाल विजय मेघवाल से शिकायत की। इस दौरान टूरिस्ट और वनपाल के बीच बहस हो गई। टूरिस्ट ने आरोप लगाया कि उन्हें ढाई घंटे तक अंधेरे जंगल में छोड़ दिया गया, जबकि यह पूरी तरह वन विभाग की जिम्मेदारी थी कि उन्हें सुरक्षित बाहर निकाला जाता। टूरिस्ट ने वनपाल से यहां तक कहा कि आप एक बार मान लीजिए कि आपकी जिम्मेदारी नहीं थी। इस पर वनपाल ने सफाई दी कि गाड़ी-घोड़ा मशीन खराब हो जाते हैं, इसमें वे क्या कर सकते हैं। वनपाल ने यह भी कहा कि दूसरा कैंटर वेटिंग में था और उसे तभी भेजा जा सकता था जब बुकिंग सेंटर से रिलीज किया जाता। लेकिन टूरिस्ट ने इसे बहाना बताते हुए कहा कि असलियत यह है कि समय पर मदद नहीं पहुंचाई गई।
बिना लाइट वाला कैंटर भेजा गया
काफी देर बाद जब टूरिस्टों को राहत मिली तो वह भी अधूरी थी। उनके लिए जो कैंटर भेजा गया उसमें हेडलाइट तक नहीं थी। ड्राइवर टॉर्च की मदद से गाड़ी चला रहा था। टूरिस्टों ने इस पर भी नाराजगी जताई कि बिना लाइट की गाड़ी जंगल में चलाना खुद बड़ा खतरा है। आखिरकार रात करीब 8 बजे ये टूरिस्ट जंगल से बाहर निकल पाए। लेकिन सभी ने इस बात पर जोर दिया कि उनकी जान खतरे में डाल दी गई और बड़ा हादसा हो सकता था।
DFO ने कार्रवाई का भरोसा दिलाया
इस पूरे मामले पर रणथंभौर टाइगर रिजर्व के पर्यटन डीएफओ प्रमोद धाकड़ से बात की गई। उन्होंने कहा कि इस घटना को गंभीरता से लिया जाएगा। जिस कैंटर का ब्रेकडाउन हुआ था, उसके खिलाफ जांच की जाएगी और टूरिस्टों की शिकायत के आधार पर कार्रवाई भी होगी। डीएफओ ने यह भी माना कि दूसरा कैंटर समय पर मौके पर नहीं पहुंचा और तीसरे कैंटर की लाइट खराब थी। इन तीनों मामलों की अलग-अलग जांच कर उचित कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। वन विभाग की व्यवस्था पर उठे सवाल
इस घटना ने रणथंभौर टाइगर रिजर्व की पर्यटन व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जिस जंगल में बाघ और अन्य जंगली जानवर मौजूद हों, वहां टूरिस्टों को अंधेरे में खुले कैंटर में छोड़ देना बेहद लापरवाही का मामला है। गाइड का इस तरह टूरिस्टों को छोड़कर चले जाना सुरक्षा प्रोटोकॉल की बड़ी कमी को दर्शाता है। पर्यटन विशेषज्ञों का कहना है कि इस घटना से न केवल टूरिस्टों की जान खतरे में पड़ी, बल्कि राजस्थान की पर्यटन छवि को भी नुकसान पहुंचा है।