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बुद्ध पूर्णिमा पर कोटा की सेंचुरियों में वॉटर होल पद्धति से वन्यजीवों की गणना

बुद्ध पूर्णिमा पर कोटा की सेंचुरियों में वॉटर होल पद्धति से वन्यजीवों की गणना

शोभना शर्मा।   राजस्थान के कोटा जिले की तीन प्रमुख वन्य क्षेत्र—भैंसरोडगढ़ टाइगर सेंचुरी, शेरगढ़ सेंचुरी और अभेड़ा-उम्मेदगंज सेंचुरी—में इस बार 12 मई 2025 को बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर वन्यजीवों की गिनती की जाएगी। यह गिनती वॉटर होल पद्धति से होगी, जो वन्यजीव सर्वेक्षण की एक प्रभावी वैज्ञानिक तकनीक मानी जाती है। इस गणना के लिए वन विभाग ने एक महीने पहले यानी 12 अप्रैल से ही तैयारियां शुरू कर दी थीं।

कैमरा ट्रैप से होगी गतिविधियों पर निगरानी

अभेड़ा सेंचुरी के तहत आने वाले वन क्षेत्र में वॉटर होल के पास कैमरा ट्रैपिंग सिस्टम लगाया गया है। इन कैमरों की मदद से वन्यजीवों की गतिविधियों की निगरानी की जा रही है और उनकी तस्वीरें तथा वीडियो रिकॉर्डिंग की जा रही है। खास बात यह है कि ये कैमरे 24 घंटे काम करते हैं, जिससे रात और दिन दोनों समय की जानकारी एकत्र की जा रही है। विभाग के अनुसार, इन कैमरों में अब तक लेपर्ड, नीलगाय, जंगली सूअर, चिंकारा, हायना, भालू, खरगोश आदि कई वन्यजीवों की स्पष्ट तस्वीरें आ चुकी हैं। एक ही वॉटर होल पर विभिन्न समय पर अलग-अलग प्रजातियों के जीव पानी पीने आते हैं, जिससे इनकी उपस्थिति का सटीक रिकॉर्ड बनता है।

बुद्ध पूर्णिमा पर होगी 24 घंटे की निगरानी

12 मई को वन विभाग की टीमें इन वाटर होल के पास बैठकर 24 घंटे की सीधी मॉनिटरिंग करेंगी। इस दौरान कैमरा फुटेज और सीधी निगरानी दोनों माध्यमों से यह देखा जाएगा कि कौन-कौन से वन्यजीव कहां आए, कितनी बार आए और किस प्रजाति के हैं। इससे वन्यजीवों की संख्या और जैव विविधता की सही जानकारी सामने आएगी।

वन विभाग की पर्यावरणीय तैयारी

कोटा डीएफओ अनुराग भटनागर के अनुसार, वन्यजीवों की सुरक्षा और गर्मी से राहत के लिए वन क्षेत्रों में कुल 48 वाटर होल बनाए गए हैं। इनमें से 10 वाटर होल ऑटोमैटिक वाटर फॉल सिस्टम से लैस हैं। इन वॉटर होल को सोलर पैनल से जोड़ा गया है जिससे गर्मी में भी निर्बाध जल आपूर्ति सुनिश्चित हो सके। इसके अलावा, टैंकरों से नियमित रूप से पानी भराव की व्यवस्था की गई है, ताकि किसी भी वॉटर होल में पानी की कमी न हो। इस प्रयास का मुख्य उद्देश्य यह है कि गर्मी के मौसम में वन्यजीवों को पानी की तलाश में दूसरे क्षेत्र में भटकना न पड़े, जिससे उनकी सुरक्षा को खतरा हो सकता है।

बढ़ती जैव विविधता की सकारात्मक खबर

वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इन तैयारियों का प्रभाव अब स्पष्ट दिखने लगा है। कैमरों में कैद हो रही वन्यजीवों की तस्वीरों से यह संकेत मिल रहे हैं कि इन सेंचुरियों में वन्यजीवों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। विशेषकर रात के समय जंगली जानवरों की गतिविधियों में इजाफा हुआ है। वहीं, वॉटर होल के आसपास विभिन्न पक्षी प्रजातियों की उपस्थिति भी दर्ज की जा रही है, जिससे जैव विविधता में वृद्धि के संकेत मिलते हैं। ये संकेत राज्य में वन्यजीव संरक्षण प्रयासों की सफलता को दर्शाते हैं।

वन विभाग की योजना में तकनीक और संरक्षण का समन्वय

कोटा वन विभाग की यह पहल यह दर्शाती है कि किस तरह तकनीकी नवाचार और पारंपरिक संरक्षण प्रणाली का समन्वय कर वन्यजीवों की रक्षा और उनकी गिनती को और अधिक वैज्ञानिक और सटीक बनाया जा सकता है। कैमरा ट्रैपिंग, सोलर वाटर फॉल, और ऑटोमैटिक जल आपूर्ति जैसे नवाचारों से न केवल गर्मी में वन्यजीवों को राहत मिल रही है, बल्कि भविष्य के वन नीति निर्धारण के लिए भी ठोस आंकड़े और रिपोर्ट तैयार की जा रही हैं।

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