शोभना शर्मा। अजमेर में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सेवन वंडर पार्क को हटाने की प्रक्रिया शुक्रवार से शुरू हो गई। नगर निगम की टीमें आनासागर झील के पास स्थित इस पार्क में पहुंचीं और जेसीबी मशीनों से तोड़फोड़ की कार्रवाई शुरू की। सुप्रीम कोर्ट ने इस पार्क को पर्यावरण नियमों का उल्लंघन मानते हुए छह महीने पहले हटाने का आदेश दिया था और इसकी अंतिम समयसीमा 17 सितंबर तय की थी। आदेश की पालना करते हुए निगम प्रशासन ने कोर्ट की तय समयसीमा से पहले ही कार्रवाई शुरू कर दी।
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत हुआ था निर्माण
अजमेर का सेवन वंडर पार्क वर्ष 2023 में अजमेर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत विकसित किया गया था। इस पार्क के निर्माण पर करीब 11.64 करोड़ रुपये की लागत आई थी। यहां दुनिया के सात मशहूर दर्शनीय स्थलों की प्रतिकृतियां बनाई गई थीं। इनमें ताजमहल, एफिल टॉवर, पीसा की मीनार, मिस्र का गीजा का पिरामिड, रोम का कोलोजियम और ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में स्थित क्राइस्ट द रिडीमर की प्रतिकृतियां शामिल थीं।
यह पार्क बनने के बाद पर्यटकों और स्थानीय लोगों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो गया था। यहां आने वाले सैलानी इन प्रतिकृतियों के साथ तस्वीरें खिंचवाते थे। इसके अलावा कई विवाह समारोह और प्री-वेडिंग शूट भी इस पार्क में होने लगे थे।
अवैध निर्माण का आरोप
हालांकि, इस पार्क का निर्माण शुरू से ही विवादों में रहा। वर्ष 2023 में अशोक मलिक नामक व्यक्ति ने इस पार्क को लेकर सुप्रीम कोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल (NGT) में याचिका दायर की थी। याचिका में दावा किया गया कि यह पार्क डूब क्षेत्र (wetland area) में बनाया गया है, जो पर्यावरण नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। साथ ही, याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि आम जनता के टैक्स से करोड़ों रुपये खर्च कर इस पार्क का निर्माण किया गया है, जो अवैध और गैरकानूनी है।
सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पार्क को वेटलैंड नियमों का उल्लंघन मानते हुए इसे हटाने का आदेश दिया। अदालत ने स्पष्ट कहा कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली ऐसी परियोजनाओं को किसी भी सूरत में मान्यता नहीं दी जा सकती।
कोर्ट आदेश के बाद प्रशासनिक कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट ने इस पार्क को हटाने के लिए नगर निगम और जिला प्रशासन को जिम्मेदारी सौंपी थी। आदेश की पालना में नगर निगम ने शुक्रवार सुबह आनासागर झील किनारे बने पार्क पर बुलडोजर चलवाया। इस दौरान भारी पुलिस बल और प्रशासनिक टीमें मौके पर तैनात रहीं ताकि किसी भी तरह का विरोध या अव्यवस्था न हो।
पार्क से स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की प्रतिकृति पहले ही हटा दी गई थी। शुक्रवार को एफिल टॉवर, गीजा का पिरामिड और अन्य संरचनाओं पर भी तोड़फोड़ की कार्रवाई शुरू कर दी गई। आने वाले दिनों में पूरे पार्क को चरणबद्ध तरीके से पूरी तरह हटा दिया जाएगा।
पर्यावरण संरक्षण पर अदालत का जोर
सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी लगातार वेटलैंड और पर्यावरण संरक्षण को लेकर सख्त रुख अपनाते रहे हैं। अजमेर सेवन वंडर पार्क मामले में भी अदालत ने स्पष्ट कहा कि किसी भी कीमत पर डूब क्षेत्र में निर्माण को अनुमति नहीं दी जा सकती। अदालत ने यह भी कहा कि विकास कार्यों में पर्यावरण संतुलन की अनदेखी करना आने वाली पीढ़ियों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।
लोकप्रियता के बावजूद गिरा पार्क
सेवन वंडर पार्क अपनी खूबसूरती और आकर्षक प्रतिकृतियों के कारण अजमेर के पर्यटन स्थलों में तेजी से जुड़ गया था। यहां आने वाले पर्यटक अक्सर इसे अपनी यात्रा का हिस्सा बनाते थे। लेकिन अदालत के आदेश और पर्यावरण नियमों की अवहेलना के कारण इस पार्क को महज दो साल के भीतर ही हटाना पड़ा।