मनीषा शर्मा, अजमेर । राजस्थान का विश्व प्रसिद्ध पुष्कर मेला अपने पूरे शबाब पर है। अजमेर जिले के पुष्कर के रेतीले धोरों में हर साल की तरह इस बार भी देश-विदेश से आए पर्यटक और पशुपालक रंगीन माहौल का हिस्सा बन रहे हैं। मेला ग्राउंड में पशुओं की खरीद-फरोख्त जोरों पर है और हजारों की संख्या में घोड़े, ऊंट और भैंसे पहुंच चुके हैं। इस बार मेले में अब तक 5 हजार से ज्यादा पशुओं की आमद दर्ज की जा चुकी है, जिनमें से 3 हजार से अधिक घोड़े और घोड़ी शामिल हैं, जबकि लगभग डेढ़ हजार ऊंट मेला स्थल पर पहुंच चुके हैं। सुबह से शाम तक पशुपालक और खरीदारों के बीच मोलभाव का सिलसिला जारी है, वहीं पर्यटकों के लिए यह दृश्य बेहद रोचक साबित हो रहा है।
श्रीगंगानगर से आया 35 लाख का मुर्रा भैंसा बना चर्चा का विषय
मेले में सबसे अधिक चर्चा का केंद्र इस बार श्रीगंगानगर के इंजीनियर भरत कुमार का मुर्रा नस्ल का भैंसा बना हुआ है। मंगलवार को जब भरत कुमार अपने भैंसे के साथ रेतीले धोरों में पहुंचे, तो लोगों की भीड़ जमा हो गई। भैंसे का वजन लगभग 800 किलो बताया जा रहा है और इसकी कीमत 35 लाख रुपए लगाई गई है। अब तक इसी कीमत तक बोली भी लग चुकी है। यह साबरमती मुर्रा नस्ल का भैंसा है, जिसकी उम्र करीब 3 साल 2 महीने है। भैंसे ने अब तक 35 बच्चों को जन्म दिया है और एक बार की ब्रिडिंग के लिए 10 हजार रुपए तक का शुल्क लिया जाता है। खास बात यह रही कि भैंसे के मालिक भरत कुमार ने उसे लंच में काजू-बादाम खिलाकर सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया। भरत कुमार का कहना है कि उनका उद्देश्य केवल बिक्री नहीं, बल्कि अपने पशु की नस्ल की गुणवत्ता और रखरखाव के स्तर को दिखाना भी है। उनका भैंसा इस बार मेले का सबसे महंगा जानवर बताया जा रहा है।
पशुपालकों की बढ़ रही भागीदारी, खरीद-फरोख्त चरम पर
पुष्कर मेले में राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, गुजरात और मध्य प्रदेश से आए पशुपालक अपने-अपने पशुओं के साथ डेरा डाले हुए हैं। पशुपालकों का कहना है कि इस बार घोड़ों और ऊंटों की बिक्री पहले की तुलना में बेहतर हो रही है। मेले के आयोजकों के अनुसार, देशभर से आए व्यापारियों ने पशुओं की खरीद के लिए अग्रिम बुकिंग भी शुरू कर दी है। घोड़े की नस्ल और प्रशिक्षण के आधार पर इनकी कीमत 50 हजार से लेकर 10 लाख रुपए तक बताई जा रही है।
विदेशी ट्यूरिस्टों का आकर्षण: ऊंट सवारी और सेंड आर्ट
पुष्कर मेले की एक खास बात यह है कि यहां हर साल बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक पहुंचते हैं। इस बार भी अमेरिका, फ्रांस, जापान, रूस और इंग्लैंड से आए ट्यूरिस्ट मेले की रौनक बढ़ा रहे हैं। रेतीले मैदान में ऊंटों की सवारी विदेशी सैलानियों के बीच सबसे लोकप्रिय है। पर्यटक ऊंटों पर सवार होकर पुष्कर झील, ब्रह्मा मंदिर और आसपास के गांवों का भ्रमण कर रहे हैं। कैमरों में पशुपालकों की पारंपरिक वेशभूषा, संगीत और नृत्य के दृश्य कैद किए जा रहे हैं। इसके साथ ही, सेंड आर्ट (रेती कला) भी मेले का प्रमुख आकर्षण बन चुकी है। कलाकारों द्वारा रेत से बनाई गई अनोखी कलाकृतियां देशी-विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर खींच रही हैं। लोग इन कलाकृतियों के साथ सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर साझा कर रहे हैं।
पर्यटन विभाग और प्रशासन की तैयारियां
पुष्कर मेला प्रशासन और पर्यटन विभाग की ओर से सुरक्षा और सुविधा के पूरे इंतजाम किए गए हैं। मेले में आने वाले पर्यटकों के लिए गाइड, फूड जोन, टेंट सिटी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की विशेष व्यवस्था की गई है। स्थानीय पुलिस और प्रशासन ने मेले के दौरान 24 घंटे सुरक्षा गश्त का इंतजाम किया है। साथ ही, मेडिकल टीम भी लगातार निगरानी में है ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत सहायता दी जा सके।
पारंपरिक संस्कृति और आधुनिक पर्यटन का संगम
पुष्कर मेला न केवल राजस्थान की पारंपरिक संस्कृति का प्रतीक है बल्कि यह आज वैश्विक स्तर पर एक पर्यटन ब्रांड बन चुका है। पशुओं की खरीद-फरोख्त के साथ-साथ यह मेला अब एक संस्कृति उत्सव के रूप में पहचाना जाता है, जहां लोक संगीत, नृत्य, हस्तशिल्प और ग्रामीण जीवन की झलक एक साथ दिखाई देती है।


