शोभना शर्मा। भारत की सीमा की रक्षा में तैनात बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) अब एक नए और अत्याधुनिक लुक में नजर आएगी। नई डिजिटल कॉम्बैट ड्रेस का पहला सार्वजनिक प्रदर्शन जैसलमेर में हुआ, जहां इसे जवानों के लिए प्रदर्शित किया गया।
इस ड्रेस की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे BSF अधिकारियों ने खुद डिजाइन किया है और अब इसे पेटेंट भी करा लिया गया है। यानी यह वर्दी कॉपी करना या बाजार में बेचने की कोशिश करना अपराध की श्रेणी में आएगा।
क्यों है यह वर्दी खास?
नई BSF ड्रेस को केवल दिखने में स्टाइलिश ही नहीं, बल्कि हर मौसम में आरामदायक और सुरक्षा के लिहाज से सक्षम बनाया गया है। यह वर्दी 50 डिग्री सेल्सियस तक की भीषण गर्मी में भी जवानों को राहत देती है।
BSF DIG योगेंद्र सिंह राठौड़ ने बताया कि यह ड्रेस जवानों की मौजूदा जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तकनीकी और व्यावहारिक दृष्टि से बनाई गई है।
फैब्रिक और निर्माण
नई वर्दी का कपड़ा 80% कॉटन, 19% पॉलिएस्टर और 1% स्पैन्डेक्स का मिश्रण है।
हल्का और सांस लेने योग्य: यह कपड़ा पहले की वर्दी की तुलना में अधिक हल्का और लचीला है।
हर मौसम के अनुकूल: यह वर्दी राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों से लेकर पंजाब और बंगाल के नम इलाकों तक, सभी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।
आरामदायक डिजाइन: जवान लंबे समय तक गश्त या ऑपरेशन में रहते हैं, ऐसे में वर्दी का आरामदायक होना बेहद जरूरी है।
डिजिटल पैटर्न से बढ़ी सुरक्षा
इस ड्रेस में पहली बार डिजिटल प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग किया गया है, जो न केवल इसकी खूबसूरती बढ़ाता है, बल्कि दुश्मनों से कैमुफ्लाज (छिपने) की दृष्टि से भी कारगर है।
रंग संयोजन में:
50% खाकी,
45% हरा,
और 5% भूरा रंग शामिल है।
यह पैटर्न जंगल, रेगिस्तान और शहरी इलाकों में जवानों को दुश्मन की नजरों से बचाने में मदद करता है।
डिजाइन प्रक्रिया और फीडबैक
इस वर्दी को तैयार करने में दो साल का समय और तीन राज्यों—राजस्थान, पंजाब और बंगाल—में फील्ड ट्रायल किए गए।
जवानों और अधिकारियों ने वास्तविक परिस्थितियों में वर्दी पहनकर परीक्षण किया।
उनके फीडबैक के आधार पर वर्दी के डिज़ाइन और फैब्रिक में लगातार सुधार किए गए।
पेटेंट और कानूनी संरक्षण
BSF की यह वर्दी पेटेंटेड है, जिसका अर्थ है कि इसे कॉपी करना, बनाना या बेचना दंडनीय अपराध होगा।
कोई भी व्यक्ति या संस्था अगर इस वर्दी को बाजार में बेचने या इस्तेमाल करने का प्रयास करता है तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यह कदम सेना की प्रतिष्ठा और सुरक्षा उपकरणों के दुरुपयोग को रोकने के लिए उठाया गया है।