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जोधपुर रेलवे वर्कशॉप में बम सेल और हेरिटेज प्रदर्शनी

जोधपुर रेलवे वर्कशॉप में बम सेल और हेरिटेज प्रदर्शनी

मनीषा शर्मा । जोधपुर रेलवे वर्कशॉप में शुक्रवार को एक अनोखा और ऐतिहासिक नजारा देखने को मिला। विश्व धरोहर दिवस (World Heritage Day) के अवसर पर आयोजित हेरिटेज प्रदर्शनी में जब लोगों ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान उपयोग किए गए बम सेल को देखा तो हर कोई हैरान रह गया। यह जानकर वहां मौजूद दर्शक और रेलकर्मी आश्चर्यचकित हो उठे कि कभी इसी वर्कशॉप ने एक लाख बम सेल बनाकर सेना को सौंपे थे।

सामान्यत: आम जनता को ऐसी ऐतिहासिक वस्तुएं देखने का अवसर नहीं मिल पाता, लेकिन इस बार रेलवे प्रशासन ने वर्कशॉप के खजाने को लोगों के लिए प्रदर्शनी के रूप में खोल दिया। प्रदर्शनी में रेलवे के गौरवशाली इतिहास और तकनीकी विकास की झलक देखने को मिली।

द्वितीय विश्व युद्ध में निभाई थी अहम भूमिका

प्रदर्शनी में वर्कशॉप के कार्मिकों ने बताया कि कैसे जोधपुर रेलवे वर्कशॉप ने द्वितीय विश्व युद्ध (World War 2) के दौरान युद्ध में अप्रत्यक्ष रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उस दौर में वर्कशॉप ने ब्रिटिश सेना के लिए करीब एक लाख बम सेल तैयार किए थे। यह कीर्तिमान आज भी रेलवे के इतिहास में दर्ज है। उस समय जोधपुर वर्कशॉप देश की उन चुनिंदा इकाइयों में शामिल थी, जिन्हें युद्ध सामग्री बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी।

हेरिटेज प्रदर्शनी में रखे गए अनमोल खजाने

रेलवे बोर्ड के निर्देशानुसार विश्व धरोहर दिवस के अवसर पर आयोजित इस हेरिटेज प्रदर्शनी में रेलवे के ऐतिहासिक और तकनीकी धरोहरों को बखूबी प्रदर्शित किया गया। खासतौर से वर्कशॉप में निर्मित भाप से चलने वाला लोकोमोटिव इंजन, पुराने टैंक वैगन और आधुनिक वंदे भारत ट्रेन के मॉडल ने लोगों को आकर्षित किया।

इसके अलावा, वर्ष 1939 में वड़ोदरा स्टेट रेलवे द्वारा निर्मित ईज़रा निरीक्षण यान, 1887 में जोधपुर वर्कशॉप में निर्मित मीटर गेज कोच आरए-65 को भी देखा जा सका। लोग इन दुर्लभ वस्तुओं को देखकर अतीत की उस सुनहरी विरासत में खो गए, जब भारतीय रेलवे देश की धड़कन कहा जाता था।

धरोहरों के संरक्षण के लिए रेल प्रशासन को धन्यवाद

प्रदर्शनी में आए दर्शकों और रेलकर्मियों के परिजनों ने 1886 में स्थापित जोधपुर रेलवे वर्कशॉप की इस धरोहर को सहेजने और संरक्षित करने के लिए रेल प्रशासन की सराहना की। उन्होंने कहा कि ऐसी पहल से न सिर्फ नए पीढ़ी को भारतीय रेलवे के स्वर्णिम इतिहास के बारे में जानने का मौका मिलता है, बल्कि विरासतों का संरक्षण भी होता है।

मुख्य कारखाना प्रबंधक मनोज जैन और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी प्रदर्शनी का अवलोकन किया। उन्होंने कहा कि वर्कशॉप का यह हेरिटेज विभाग रेलवे की धरोहरों को सहेजने और संजोने के काम में लगातार जुटा है। भविष्य में ऐसी और भी प्रदर्शनी आयोजित की जाएंगी, ताकि आम नागरिक भी भारतीय रेलवे के अनमोल इतिहास को जान सकें।

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