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राजस्थान में हाइड्रोपोनिक वीड का काला कारोबार

राजस्थान में हाइड्रोपोनिक वीड का काला कारोबार

मनीषा शर्मा।  राजस्थान में नशे के नए रूप ने सुरक्षा एजेंसियों को चिंता में डाल दिया है। पानी में उगाई जाने वाली गांजे की महंगी किस्म हाइड्रोपोनिक वीड (Hydroponic Weed / Marijuana) अब पार्सल के जरिए राजस्थान में पहुंचाई जा रही है। जयपुर स्थित विदेशी डाकघर (Foreign Post Office) और उदयपुर, जोधपुर जैसे शहरों में इसके संदिग्ध पैकेट पकड़े गए हैं।

इस नशे की खासियत यह है कि यह परंपरागत गांजे से कई गुना महंगा और ज्यादा नशा देने वाला होता है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 1 करोड़ रुपये प्रति किलो तक बताई जाती है। तस्कर अब इसे फ्लाइट के जरिए लाने के बजाय खाली मकानों और फर्जी एड्रेस पर पार्सल मंगवा रहे हैं। एनसीबी और कस्टम विभाग की हालिया कार्रवाइयों में सामने आया है कि पिछले दो महीने में जयपुर के विदेशी पोस्टऑफिस से कई संदिग्ध पार्सल पकड़े गए हैं, जिनमें से कुछ की डिलीवरी जोधपुर के पॉश एरिया में होनी थी।

डार्क वेब से हो रहा ऑर्डर, खाली प्लॉट पर भेजे जा रहे पार्सल

जांच एजेंसियों की पड़ताल में सामने आया है कि यह हाइड्रोपोनिक वीड डार्क वेब के जरिए ऑर्डर किया जाता है। खरीदार अपनी पहचान छिपाने के लिए गुप्त नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं। पार्सल आमतौर पर उन एड्रेस पर भेजे जाते हैं जहां कोई नहीं रहता या जो खाली प्लॉट होते हैं। इससे तस्करों को पुलिस और एजेंसियों की पकड़ से बचने में मदद मिलती है। पिछले महीने जयपुर के विदेशी डाकघर में थाईलैंड से आया एक पार्सल पकड़ा गया था। इसमें हाइड्रोपोनिक वीड पाया गया। इसी तरह दो और पार्सल जोधपुर के एड्रेस पर भेजे गए थे। एनसीबी की मानें तो यूनिवर्सिटी और कॉलेज एरिया में स्टूडेंट्स को इस नशे की लत लगाई जा रही है।

कितनी खतरनाक है हाइड्रोपोनिक वीड?

हाइड्रोपोनिक वीड गांजे की एक वैरायटी है जिसे पानी में हाइड्रोपोनिक तकनीक से उगाया जाता है। इसमें THC (Tetra Hydro Cannabinol) की मात्रा सामान्य गांजे से कहीं अधिक होती है।

  • साधारण गांजा: 5% से 10% THC

  • हाइड्रोपोनिक वीड: 15% से 25% THC

यानी यह साधारण गांजे से ढाई गुना ज्यादा नशा करता है। इसी वजह से यह नशा तेजी से असर करता है और इसकी डिमांड रेव पार्टियों में काफी ज्यादा है। ड्रग एडिक्ट्स के लिए यह नशा बेहद खतरनाक है। इसका सेवन मानसिक संतुलन बिगाड़ देता है, हृदय और फेफड़ों पर असर करता है, नींद के पैटर्न को खराब करता है और लंबे समय में यह लत घातक बीमारियों की वजह बन सकती है।

राजस्थान में ड्रग्स तस्करी का बदलता पैटर्न

एनसीबी की रिपोर्ट और हाल की कार्रवाइयों से यह साफ है कि तस्कर लगातार अपने तौर-तरीके बदल रहे हैं।

1. जयपुर एयरपोर्ट से पार्सल तक

जनवरी और फरवरी 2025 में जयपुर एयरपोर्ट पर दो बार हाइड्रोपोनिक वीड की बड़ी खेप पकड़ी गई थी। एक मामले में करीब 3 करोड़ रुपये और दूसरे में 6 करोड़ रुपये की खेप जब्त की गई। इसके बाद से तस्करों ने नया तरीका अपनाया और अब वे सीधे पार्सल के जरिए यह ड्रग्स भारत मंगा रहे हैं।

2. डार्क वेब का सहारा

डार्क वेब का इस्तेमाल सिर्फ ड्रग्स ही नहीं, बल्कि कई अवैध गतिविधियों के लिए किया जाता है। यहां से खरीदार गुमनाम रहकर ऑर्डर कर सकते हैं और उनकी पहचान उजागर नहीं होती। तस्करों ने इसी का फायदा उठाते हुए भारत में ड्रग्स की सप्लाई शुरू की है।

3. सीमावर्ती जिलों में नई लैब्स

राजस्थान के सीमावर्ती जिलों जैसे बाड़मेर, जालोर, सांचौर और श्रीगंगानगर में पिछले कुछ महीनों में एमडी ड्रग बनाने की लैब पकड़ी गई हैं। तस्कर सुनसान जगहों पर लैब लगाकर वहां से सप्लाई कर रहे हैं।

जयपुर पोस्टऑफिस से जब्त खेप

पिछले दो महीनों में जयपुर के विदेशी डाकघर से जब्त किए गए पार्सलों में कई तरह के नशे पकड़े गए हैं—

  • 11 अप्रैल 2025: फ्रांस से आए पार्सल में कोकीन

  • 21 अप्रैल 2025: जर्मनी से आए पार्सल में 150 ग्राम एमडीएमए

  • 22 अप्रैल 2025: फ्रांस से 111 ग्राम एक्स्टेसी टैबलेट

  • 25 अप्रैल 2025: फ्रांस से आया 101 ग्राम मेथाक्वालोन

यह साफ इशारा है कि राजस्थान अब अंतर्राष्ट्रीय ड्रग माफिया के लिए आसान गंतव्य बन गया है।

क्यों बढ़ रही है राजस्थान में ड्रग्स की तस्करी?

  1. सीमावर्ती इलाका: पाकिस्तान बॉर्डर के पास होने से हेरोइन और अन्य ड्रग्स की तस्करी आसान हो जाती है।

  2. सड़क कनेक्टिविटी: बाड़मेर और जोधपुर से पंजाब, गुजरात और दिल्ली तक सप्लाई करना आसान है।

  3. युवाओं की बढ़ती डिमांड: यूनिवर्सिटी और रेव पार्टियों में नशे का चलन बढ़ रहा है।

  4. बड़ी कमाई: तस्कर थोड़े से वजन के बदले करोड़ों रुपये कमा लेते हैं।

डॉक्टर की राय: मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए खतरा

वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. अशोक सिरवी का कहना है कि हाइड्रोपोनिक वीड का सेवन बेहद खतरनाक है। यह न केवल मानसिक स्वास्थ्य को बिगाड़ता है, बल्कि हृदय रोग, फेफड़ों की समस्या और याददाश्त कमजोर होने जैसी बीमारियों को जन्म देता है। लंबे समय तक इसका सेवन करने वाले डिप्रेशन और स्किजोफ्रेनिया जैसी बीमारियों के शिकार हो सकते हैं।

भारत में बैन, विदेशों में खेती

भारत में हाइड्रोपोनिक वीड पूरी तरह बैन है। लेकिन थाईलैंड, कनाडा और अमेरिका जैसे देशों में इसकी खेती होती है। वहीं से यह ड्रग डार्क वेब और पार्सल के जरिए भारत पहुंचता है। इसकी डिमांड खासतौर पर रेव पार्टियों और युवाओं में ज्यादा है। यही कारण है कि तस्कर इसके लिए नए-नए पैंतरे अपना रहे हैं।

राजस्थान में ड्रग्स की तस्करी अब बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है। हाइड्रोपोनिक वीड जैसे महंगे नशे का यहां पहुंचना इस बात का सबूत है कि तस्कर अब भारत को बड़ा बाजार मानने लगे हैं। डार्क वेब और पार्सल के जरिए की जा रही तस्करी ने एजेंसियों के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी

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