मनीषा शर्मा। भाजपा नेता और मंत्री पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर चुके डॉ. किरोड़ीलाल मीणा को लेकर चल रही राजनीतिक हलचल में शुक्रवार को नया मोड़ आया जब भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने एक बड़ा बयान दिया। राठौड़ ने मीडियाकर्मियों से बात करते हुए साफ किया कि किरोड़ीलाल मीणा सरकार से नाराज नहीं हैं और नियमित रूप से अपने विभाग का काम कर रहे हैं। इस बयान के बाद मीणा के इस्तीफे को लेकर उठ रहे सवालों पर कुछ हद तक विराम लगने की उम्मीद जताई जा रही है।
राठौड़ ने कहा कि मीणा भले ही अपने दफ्तर नहीं जा रहे हों, लेकिन वे अपने विभाग की फाइलें देख रहे हैं और सरकार का कामकाज कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि मीणा शुक्रवार को उनके साथ ही थे और कामकाज को लेकर चर्चा भी की। हालांकि, राठौड़ के इस दावे के बाद भी खुद किरोड़ी मीणा की तरफ से इस्तीफे की स्थिति को लेकर कोई बयान सामने नहीं आया है।
डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने 4 जुलाई 2024 को मंत्री पद से इस्तीफा देने की घोषणा की थी और तब से उन्होंने अपने दफ्तर जाना बंद कर दिया है। कांग्रेस लगातार भाजपा पर आरोप लगा रही है कि मीणा और सरकार के बीच मतभेद हैं। हालांकि, प्रदेश भाजपा की ओर से यह दावा किया जा रहा है कि मीणा का इस्तीफा अभी भी सरकार के पास विचाराधीन है, और कोई अंतिम फैसला नहीं लिया गया है।
इस्तीफे को लेकर असमंजस
मीणा ने हाल ही में एक बयान में कहा था कि मंत्री बनने के बाद वे “शिखंडी” बन गए थे, और उनकी निर्णय लेने की क्षमता कमजोर हो गई थी। यह बयान उनके इस्तीफे की मंशा को दर्शाता है, लेकिन उनके इस्तीफे पर सरकार की तरफ से अब तक कोई आधिकारिक पुष्टि या खंडन नहीं आया है। राठौड़ के बयान से जहां मीणा की नाराजगी की खबरों को झूठा बताया गया है, वहीं मीणा के इस्तीफे पर असमंजस बरकरार है।
कांग्रेस का लगातार हमला
कांग्रेस इस पूरे मामले पर लगातार भाजपा को घेर रही है। कांग्रेस का कहना है कि किरोड़ीलाल मीणा और भाजपा सरकार के बीच मतभेद स्पष्ट हैं, और सरकार इस स्थिति को लेकर कोई स्पष्ट रुख अपनाने से बच रही है। कांग्रेस ने कई बार सरकार से मांग की है कि वह स्पष्ट करे कि मीणा का इस्तीफा मंजूर हुआ है या नहीं।
भाजपा के दावों पर सवाल
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ के बयान ने जहां एक ओर यह दावा किया है कि किरोड़ी मीणा सरकार के साथ हैं और नाराज नहीं हैं, वहीं दूसरी ओर मीणा के इस्तीफे की वास्तविक स्थिति को लेकर स्थिति अभी भी स्पष्ट नहीं है। मीणा का बयान और उनके दफ्तर न जाने के निर्णय ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।