मनीषा शर्मा। राजस्थान की राजनीति में एक नया सियासी तूफान उस समय खड़ा हो गया जब विधानसभा में गिरफ्तारी या 30 दिन की हिरासत में रहने पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या किसी मंत्री को पद छोड़ने का प्रावधान करने वाले बिल को लेकर विपक्ष ने हंगामा किया। इस मुद्दे पर बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने विपक्ष को सीधे-सीधे कठघरे में खड़ा किया। राठौड़ ने कहा कि विपक्ष के नेताओं की इस बिल को लेकर बेचैनी और विरोध केवल इस वजह से है क्योंकि उनमें ज्यादातर ऐसे लोग हैं, जिनका भ्रष्टाचार का इतिहास रहा है और जिन्हें किसी भी समय जेल का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा – “चोर की दाढ़ी में तिनका यही कहावत विपक्ष पर पूरी तरह फिट बैठती है।”
“हमें डर नहीं, डर तो भ्रष्टाचारियों को है”- मदन राठौड़
राठौड़ ने कहा कि बीजेपी की सरकार और उसके नेता ईमानदारी व उच्च आदर्शों की राजनीति करते हैं, इसलिए उन्हें किसी बिल से डरने की कोई जरूरत नहीं है। बल्कि यह डर कांग्रेस और उसके नेताओं में साफ दिखाई दे रहा है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा – “सोनिया गांधी और राहुल गांधी आज भी जमानत पर हैं। प्रियंका गांधी के पति भी जमानत पर हैं। ऐसे में अगर यह बिल लागू हो गया तो विपक्षी दल के कई बड़े नेताओं को सदस्यता खोने का डर है। दरअसल, भ्रष्टाचार करने वाले नेताओं को सबसे ज्यादा भय इस बात का है कि उनकी जमानत कभी भी रद्द हो सकती है और वे जेल जा सकते हैं।”
“जमानत पर नेताओं का कुनबा विपक्ष में ज्यादा”
राठौड़ ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम और उनके बेटे भी जमानत पर चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों में ऐसे नेताओं का बड़ा कुनबा है जो अदालतों से राहत पाकर राजनीति कर रहे हैं। उन्हें डर है कि अगर बिल पास हुआ तो एक बार जेल में रह जाने के बाद उनकी सदस्यता स्वतः समाप्त हो जाएगी। उन्होंने कहा – “यही वजह है कि विपक्ष इस बिल को संसद में लाने का विरोध कर रहा है। लेकिन यह बिल किसी व्यक्ति विशेष के खिलाफ नहीं है, बल्कि अपराध और भ्रष्टाचार करने वालों के खिलाफ है। अगर आप ईमानदार हैं, स्वच्छ जीवन जी रहे हैं तो आपको किसी प्रकार का डर नहीं होना चाहिए।”
“जेपीसी में होगा फैसला, डरने की जरूरत क्यों?”
बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष ने आगे कहा कि यह बिल संसद की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में जाएगा। इस समिति में विपक्ष के सदस्य भी होते हैं। ऐसे में यदि निर्णय सामूहिक रूप से होगा तो फिर डरने की कोई वजह नहीं है। राठौड़ ने साफ कहा कि यह बिल उन नेताओं के लिए है जो अपराध और भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। उन्होंने विपक्ष को नसीहत दी कि अगर उन्हें डर है तो अपराध करना छोड़ दें और ईमानदारी से राजनीति करें।
वन नेशन, वन इलेक्शन पर भी बोले राठौड़
वहीं, वन नेशन, वन इलेक्शन पर निर्वाचन आयोग और राज्य सरकार के बीच उत्पन्न टकराव की स्थिति पर भी मदन राठौड़ ने बयान दिया। उन्होंने कहा कि बीजेपी चाहती है कि देश में एक साथ चुनाव हों। इससे न केवल समय और धन की बचत होगी, बल्कि चुनावी राजनीति की जगह विकास की राजनीति को प्राथमिकता दी जा सकेगी। उन्होंने कहा कि एक बार चुनाव हो जाएं तो उसके बाद सभी नेता और सरकारें पांच साल तक पूरी तरह विकास कार्यों में जुट सकेंगी।
“निर्वाचन आयोग स्वतंत्र संस्था है”
राठौड़ ने इस मुद्दे पर भी विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि भाजपा का निर्वाचन आयोग पर कोई हस्तक्षेप नहीं है। निर्वाचन आयोग पूरी तरह से स्वतंत्र संस्था है और उसी के अनुसार निर्णय लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि बीजेपी को जब भी चुनाव लड़ने की जिम्मेदारी दी जाएगी, पार्टी न केवल चुनाव लड़ेगी बल्कि जीत भी हासिल करेगी।