मनीषा शर्मा। राजस्थान की सियासत में इन दिनों पंचायतीराज और नगरीय निकायों के पुनर्गठन को लेकर हलचल तेज हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस मसले पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ के माध्यम से आरोप लगाया कि मौजूदा भाजपा सरकार नियमों और कानूनों को ताक पर रखकर निकाय और पंचायत चुनाव जीतने की रणनीति बना रही है।
गहलोत का कहना है कि सरकार ने पंचायतों और शहरी निकायों का पुनर्गठन पूरी तरह से मनमाने तरीके से किया है, जिससे न सिर्फ प्रशासनिक व्यवस्था प्रभावित हो रही है बल्कि आम जनता भी परेशान है।
उन्होंने कहा, “मैंने अपने पूरे राजनीतिक जीवन में ऐसा नहीं देखा कि सरकार इस तरह सारे नियम-कानून तोड़कर पंचायत और नगर निकायों का पुनर्गठन करे। कलेक्टरों ने जनता की आपत्तियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। उन्होंने तो यहां तक कह दिया कि वे कुछ नहीं कर सकते क्योंकि सभी आदेश राज्य सरकार से आ रहे हैं।”
चुनाव प्रक्रिया में गड़बड़ी के आरोप
गहलोत ने अपने बयान में यह भी कहा कि भाजपा और आरएसएस मिलकर हर हाल में पंचायत और निकाय चुनाव जीतना चाहती हैं। इसके लिए कई स्तरों पर चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित किया गया। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि भरतपुर जिला प्रमुख समेत कई स्थानों पर उपचुनाव नहीं कराए गए। इसके अलावा, वन स्टेट-वन इलेक्शन की बात कहकर कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद चुनाव करवाने से बचा गया।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा सरकार वोटबैंक की राजनीति करते हुए पुनर्गठन के दौरान जनता की सुविधाओं और कानून के मापदंडों को पूरी तरह से नजरअंदाज कर रही है।
मुख्यालय से दूर जोड़े गए गांव
गहलोत ने पुनर्गठन में हुई अनियमितताओं को लेकर कहा कि कई जगहों पर नगरीय निकायों में ऐसे गांवों को शामिल किया गया है जो शहरी क्षेत्र से 10 किलोमीटर दूर हैं। इसी तरह, कई पंचायतों में ऐसे गांवों को जोड़ा गया है जो मुख्यालय से 5 से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। यह न सिर्फ नियमों का उल्लंघन है, बल्कि ग्रामीणों की सुविधाओं के साथ भी अन्याय है।
उन्होंने कहा कि पंचायतों और निकायों का पुनर्गठन करते समय न तो न्यूनतम-अधिकतम जनसंख्या के मानकों का पालन किया गया, न ही भौगोलिक समीकरणों का। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में असंतोष और आक्रोश फैल रहा है।
जनता में गुस्सा बढ़ता जा रहा है
पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी दावा किया कि सरकार की इन हरकतों से आम जनता में असंतोष पैदा हो रहा है और ग्रामीण क्षेत्रों में विरोध की भावना बढ़ रही है। गहलोत ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार ने जनता की आवाज को अनसुना किया तो यह मुद्दा आने वाले समय में बड़ा राजनीतिक संकट बन सकता है।