मनीषा शर्मा। राजस्थान में बीजेपी सरकार बनने के बाद भी पार्टी कार्यालय में जनसुनवाई कार्यक्रम फिलहाल शुरू नहीं होगा। वसुंधरा राजे सरकार के समय शुरू हुई यह व्यवस्था अब ठप पड़ी है। प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि पार्टी ने मंत्रियों को अपने आवास पर जनसुनवाई के लिए पाबंध किया है, ताकि जनता की समस्याओं का समाधान सुगम हो सके।
बीजेपी कार्यालय में क्यों नहीं होगी जनसुनवाई?
प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने स्पष्ट किया कि पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ताओं की बजाय जनता की भीड़ ज्यादा उमड़ती है, जिससे लोड बढ़ जाता है। इसी कारण जनसुनवाई के नए स्वरूप पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मंत्रियों को निर्देशित किया गया है कि वे अपने आवास पर नियमित जनसुनवाई करें और इसके लिए दिन व समय तय करें।
पहले भी हुई थी जनसुनवाई शुरू करने की कोशिश
भाजपा सरकार बनने के बाद 13 जून 2024 को प्रदेश कार्यालय में जनसुनवाई शुरू की गई थी, लेकिन यह केवल 4 दिन ही चली। इस दौरान दावा किया गया था कि सरकार के मंत्री भी शामिल होंगे, लेकिन कोई भी मंत्री नहीं पहुंचा। सिर्फ पार्टी पदाधिकारियों ने ही जनसुनवाई की, जिसके बाद यह कार्यक्रम बंद कर दिया गया। अब करीब 9 महीने से यह व्यवस्था ठप है और इसे फिर से शुरू करने के कोई संकेत नहीं हैं।
मंत्रियों को जनता से सीधे संपर्क करने के निर्देश
मदन राठौड़ ने कहा कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी जनता के बीच जाकर समस्याएं सुनते हैं और अधिकारियों को समाधान के निर्देश देते हैं। अब सभी मंत्रियों को भी अपने आवास पर जनसुनवाई के लिए पाबंध किया गया है।
कांग्रेस शासन में भी चलता था जनता दरबार
जनसुनवाई की शुरुआत वसुंधरा राजे सरकार में हुई थी। अशोक गहलोत सरकार ने भी इसे अपनाया और प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) कार्यालय में जनता दरबार लगाया गया। इस दरबार में मंत्री और पीसीसी पदाधिकारी जनता की समस्याएं सुनते और मौके पर ही अधिकारियों को समाधान के निर्देश देते थे।
क्या बीजेपी फिर शुरू करेगी जनसुनवाई?
भाजपा प्रदेश कार्यालय में जनसुनवाई को लेकर अभी कोई स्पष्ट निर्णय नहीं हुआ है। मदन राठौड़ ने कहा कि पार्टी इस पर विचार कर रही है। फिलहाल, मंत्रियों को अपने आवास पर ही जनता से संवाद करने और समस्याओं का समाधान निकालने का निर्देश दिया गया है।