मनीषा शर्मा । भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील बंसल ने मंगलवार को ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ अभियान को लेकर जयपुर में युवाओं, छात्रों और नव मतदाताओं से संवाद किया। उन्होंने कहा कि देश में एक साथ चुनाव होने से राजनीति में युवाओं को ज्यादा मौके मिलेंगे और परिवारवाद की राजनीति को झटका लगेगा।
बंसल ने यह भी कहा कि व्यापारी वर्ग को भी इससे फायदा होगा, क्योंकि उन्हें हर चुनाव में चंदा देने की जरूरत नहीं पड़ेगी। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि बार-बार चुनाव होने से सरकार की विकास योजनाएं बाधित होती हैं और देश पर भारी आर्थिक बोझ पड़ता है।
क्या कहा सुनील बंसल ने?
1. एक साथ चुनाव से राजनीतिक अवसर बढ़ेंगे
सुनील बंसल ने कहा कि अभी कोई नेता लोकसभा चुनाव हार जाता है, तो वह तुरंत विधानसभा चुनाव लड़ लेता है। या अगर किसी नेता की लोकसभा में जीत होती है, तो वह अपने बेटे या परिवार के किसी अन्य सदस्य को विधानसभा चुनाव लड़वा देता है।
“अगर एक बार में सभी चुनाव हो जाएंगे तो इस तरह की राजनीतिक रणनीति से मुक्ति मिलेगी और नए लोगों को राजनीति में अवसर मिलेगा।”
2. व्यापारियों को राहत, एक बार देना होगा चंदा
बंसल ने बताया कि व्यापारी वर्ग को बार-बार चुनावी चंदा देने की समस्या का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा:
“अभी व्यापारी वर्ग को हर साल किसी न किसी चुनाव के लिए चंदा देना पड़ता है। हर चुनाव में उम्मीदवार मदद मांगने के लिए उनके पास पहुंचते हैं। लेकिन अगर एक बार में चुनाव हो गए, तो यह झंझट खत्म हो जाएगा।”
3. बार-बार चुनाव से बढ़ता है आर्थिक बोझ
वन नेशन-वन इलेक्शन के आर्थिक पहलू पर चर्चा करते हुए बंसल ने बताया कि बार-बार चुनाव कराने से देश के संसाधनों पर भारी बोझ पड़ता है। उन्होंने बताया कि 2024 के लोकसभा चुनावों पर 1 लाख 35 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए थे। “इसका मतलब यह है कि एक वोट डलवाने पर 1400 रुपए खर्च हुए। चुनाव आयोग, पोलिंग पार्टियों, सुरक्षा बलों और अन्य व्यवस्थाओं के लिए करीब 1 करोड़ कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई थी।” बंसल ने कहा कि यदि देश में एक साथ चुनाव होंगे, तो इस तरह के अनावश्यक खर्चों में कमी आएगी और सरकारें अपना ध्यान विकास कार्यों पर केंद्रित कर सकेंगी।
वन नेशन-वन इलेक्शन: बंसल की तीन मुख्य बातें
व्यवस्था में बदलाव का हमेशा विरोध होता है:
जिन लोगों को मौजूदा चुनावी व्यवस्था से फायदा हो रहा है, वही इसका विरोध कर रहे हैं।
कांग्रेस जैसी पार्टियों को डर है कि उनका परिवारवादी राजनीति मॉडल खत्म हो जाएगा।
व्यापारी वर्ग को एक बार ही चंदा देना होगा:
व्यापारी वर्ग को बार-बार चुनावी चंदे से राहत मिलेगी।
चुनावी फंडिंग का सिस्टम अधिक पारदर्शी और व्यवस्थित होगा।
देश पर पड़ने वाला आर्थिक बोझ कम होगा:
चुनावों पर खर्च होने वाली भारी रकम की बचत होगी।
सरकारें बार-बार चुनावी मोड में न रहकर विकास कार्यों पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगी।
वन नेशन-वन इलेक्शन से क्या होंगे फायदे?
✅ राजनीति में युवाओं को ज्यादा अवसर मिलेगा।
✅ परिवारवाद और बार-बार चुनाव लड़ने की प्रवृत्ति खत्म होगी।
✅ व्यापारी वर्ग को हर चुनाव में चंदा देने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
✅ चुनाव पर खर्च होने वाली भारी रकम की बचत होगी।
✅ सरकारें बार-बार चुनावी मोड में न रहकर विकास कार्यों पर ध्यान देंगी।