शोभना शर्मा। जयपुर और आस-पास के जिलों की लाइफलाइन माने जाने वाले बीसलपुर डेम में गुरुवार शाम बड़ा बदलाव हुआ। 127 लगातार दिनों तक छलकते और ओवरफ्लो होते रहे इस डेम का सैलाब आखिरकार थम गया। जल संसाधन विभाग ने डेम का एकमात्र खुला गेट बंद कर जल निकासी को पूर्ण रूप से रोक दिया। गेट बंद होते ही डेम के आसपास के कैचमेंट क्षेत्र में शांति और सन्नाटा दिखाई देने लगा, जहां पिछले चार महीनों से जल प्रवाह तेज गति से जारी था।
यद्यपि गेट बंद हो चुके हैं, लेकिन त्रिवेणी संगम क्षेत्र में पानी का बहाव अभी भी 2.10 मीटर की ऊंचाई पर बना हुआ है, जिससे डेम के वाटरगेज को नियंत्रित तरीके से बनाए रखा जा सकेगा।
सबसे अधिक दिनों तक ओवरफ्लो का नया रिकॉर्ड
बीसलपुर डेम 127 दिनों तक लगातार ओवरफ्लो रहने के ऐतिहासिक रिकॉर्ड के साथ अब सुर्खियों में है। डेम के निर्माण के बाद से अब तक कभी भी इतने लंबे समय तक पानी की निकासी नहीं चली थी। यह वर्ष केवल अवधि के हिसाब से ही नहीं, बल्कि जल निकासी की मात्रा के लिहाज से भी रिकॉर्ड लेकर आया है।
इस वर्ष डेम से 140 टीएमसी पानी छोड़ा गया, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। जुलाई में मानसून के चरम पर पहुंचते ही डेम पूरा भर गया और पानी छोड़ा जाना शुरू हुआ।
बारिश के उतार-चढ़ाव के साथ खुलते और बंद होते गेट
राजस्थान में दक्षिण-पश्चिम मानसून की विदाई के बाद 21 अक्टूबर को डेम के सभी गेट बंद कर दिए गए थे। इसके बाद पोस्ट मानसून बारिश ने परिस्थितियां बदल दीं और 28 अक्टूबर को एक गेट दोबारा खोलना पड़ा। यह जल निकासी 4 दिसंबर तक जारी रही, जब अंततः प्रवाह को स्थिर मानते हुए गेट बंद कर दिए गए।
इस पूरी अवधि में डेम में पानी की लगातार आवक बनी रही, जिसने ओवरफ्लो अवधि को कई गुना बढ़ा दिया।
पोस्ट मानसून में खेतों से लौटकर आया पानी बना सबसे बड़ी मदद
जल संसाधन विभाग के अधिशासी अभियंता मनीष बंसल के अनुसार इस वर्ष डेम के भराव में सरफेस वाटर बड़ा योगदानकर्ता रहा। नवंबर और दिसंबर में किसानों द्वारा खेतों में भरे पानी को पंप के माध्यम से नहरों और बनास नदी की ओर छोड़ने से डेम में अतिरिक्त पानी पहुंचा। यही कारण रहा कि ठंड के मौसम में भी बीसलपुर में लगातार पानी भरता रहा।
वर्तमान में डेम का जलस्तर पूर्ण भराव क्षमता 315.50 आरएल मीटर पर स्थिर है।
किसानों ने शुरू की सिंचाई, पानी की आवक में कमी
बीसलपुर बांध के आसपास के किसान अपनी रबी फसलों के लिए सिंचाई शुरू कर चुके हैं। कई किसान सीधे बनास नदी पर वाटर पंप लगाकर पानी खींच रहे हैं, जिससे डेम में पानी की आवक में थोड़ी कमी दिखाई दे रही है।
हालाँकि नवंबर से मार्च तक सिंचाई के लिए डेम से नहरों में पानी छोड़ा जाता है, लेकिन स्थानीय किसानों की ओर से सीधे नदी से पानी लेना जल प्रवाह के पैटर्न को प्रभावित कर रहा है। शुक्रवार सुबह त्रिवेणी में जल प्रवाह 2.10 मीटर दर्ज किया गया।


