शोभना शर्मा। राजस्थान के प्रमुख जलस्रोतों में शामिल बीसलपुर बांध इस साल के मानसून में रिकॉर्ड तोड़ जलभराव के चलते चर्चा में है। बांध पिछले 74 दिनों से लगातार छलक रहा है, जो अब तक का एक नया रिकॉर्ड है। आमतौर पर यह बांध हर साल अगस्त महीने में भरता है, लेकिन इस बार मानसून की मेहरबानी से जुलाई माह में ही पूरा भर गया था। अब तक बांध का जलस्तर 315.50 आरएल मीटर पर स्थिर बना हुआ है, जो इसके पूर्ण जलभराव स्तर के बराबर है।
बांध की यह स्थिति जयपुर, अजमेर और टोंक जिलों के साथ-साथ आसपास के सैकड़ों गांवों और कस्बों के लिए राहत की बड़ी खबर है। लगातार दो महीनों से बांध में पानी भरपूर मात्रा में बना हुआ है, जिससे इन क्षेत्रों की अगले दो वर्षों तक पेयजल की चिंता समाप्त मानी जा रही है।
जयपुर, अजमेर और टोंक को मिलेगी निर्बाध पेयजल आपूर्ति
बीसलपुर बांध से हर दिन जयपुर, अजमेर और टोंक जिलों में लाखों लोगों को पेयजल आपूर्ति की जाती है। बीसलपुर परियोजना से इन तीनों जिलों के साथ करीब 1,200 गांवों को भी पानी मिलता है। इस वर्ष मानसून की जबरदस्त वर्षा से बांध की क्षमता पूरी भर गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि वर्तमान जलस्तर के आधार पर दो वर्षों तक निर्बाध जल आपूर्ति की जा सकेगी। इस बीच अगले वर्ष का मानसून आने से पहले ही पानी का स्तर एक बार फिर बढ़ जाएगा, जिससे लगातार जल उपलब्धता बनी रहेगी।
बनास नदी में छोड़ा जा रहा है अतिरिक्त पानी
बीसलपुर बांध के गेट संख्या 11 को रविवार को 25 सेंटीमीटर तक खोला गया, जिससे प्रति सेकंड 1503 क्यूसेक पानी बनास नदी में छोड़ा जा रहा है। अब तक बांध से करीब 24 टीएमसी पानी बनास नदी में छोड़ा जा चुका है, जिससे नदी के निचले इलाकों में जलस्तर बढ़ा है। वहीं त्रिवेणी संगम का गेज इस समय 2.60 मीटर दर्ज किया गया है। यह संकेत देता है कि बीसलपुर बांध में जलप्रवाह संतुलित बना हुआ है और अतिरिक्त पानी सुरक्षित तरीके से निकाला जा रहा है।
मानसून ने दिया अतिरिक्त दो महीने का तोहफा
आमतौर पर बीसलपुर बांध अगस्त में छलकता है, लेकिन इस बार मानसून की रिकॉर्ड वर्षा ने जुलाई के अंत में ही बांध को भर दिया। इसका अर्थ यह है कि जयपुर-अजमेर-टोंक को पिछले वर्षों की तुलना में दो महीने अतिरिक्त जल भंडारण का लाभ मिला है।
विशेषज्ञों के अनुसार, बांध में भरपूर मात्रा में पानी होने के बावजूद अब तक वाष्पीकरण या जलापूर्ति से कोई बड़ा घाटा नहीं हुआ है। यानी 74 दिनों तक लगातार पानी छलकने के बावजूद बांध की जल क्षमता बरकरार है।
राजधानी जयपुर के लिए सबसे बड़ा स्रोत बना बीसलपुर
राजधानी जयपुर के लिए बीसलपुर बांध प्रमुख पेयजल स्रोत है। शहर की कुल जलापूर्ति का करीब 70 प्रतिशत हिस्सा बीसलपुर से आता है। जयपुर शहर की बढ़ती जनसंख्या और गर्मी के मौसम में बढ़ी जल मांग के बावजूद, इस बार जल संसाधन विभाग को किसी भी संकट की आशंका नहीं है।
जयपुर जलदाय विभाग के अधिकारियों के अनुसार, बांध की मौजूदा स्थिति को देखते हुए अगले दो वर्षों तक जल आपूर्ति में कोई बाधा नहीं आएगी। वहीं, जल वितरण प्रणाली को और सुदृढ़ बनाने की दिशा में भी प्रयास जारी हैं ताकि ग्रामीण इलाकों तक समान रूप से पानी पहुंच सके।
बीसलपुर परियोजना से जुड़े गांवों में खुशी का माहौल
बीसलपुर बांध की स्थिति ने केवल शहरी इलाकों ही नहीं, बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी राहत दी है। टोंक, मालपुरा, पीपलू, केकड़ी, सरवाड़, किशनगढ़ और अजमेर जिले के कई कस्बों में पेयजल संकट से राहत मिली है। ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले साल गर्मियों में जल टैंकरों पर निर्भरता थी, लेकिन इस बार बांध के छलकने से हालात काफी बेहतर हैं।
स्थानीय किसानों का कहना है कि न केवल पेयजल बल्कि सिंचाई के लिए भी पानी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहेगा, जिससे रबी फसलों की बुवाई पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा।
जल संसाधन विभाग ने बढ़ाई निगरानी
बांध के लगातार छलकने से जल संसाधन विभाग ने सुरक्षा और निगरानी के उपाय और सख्त किए हैं। इंजीनियरिंग टीम 24 घंटे जलस्तर की निगरानी कर रही है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, पानी की अत्यधिक मात्रा को नियंत्रित करने के लिए चरणबद्ध तरीके से गेट खोले जा रहे हैं ताकि डाउनस्ट्रीम क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति न बने। साथ ही, बांध के किनारों और संरचना की सुरक्षा जांच लगातार की जा रही है।
बीसलपुर बांध का जलस्तर और आंकड़े
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बीसलपुर बांध की मौजूदा स्थिति ने राजस्थान के तीन प्रमुख जिलों जयपुर, अजमेर और टोंक को दीर्घकालिक पेयजल सुरक्षा प्रदान की है। मानसून की भरपूर वर्षा ने न केवल पिछले वर्षों के रिकार्ड तोड़े हैं, बल्कि राज्य की जल नीति के लिए भी एक सकारात्मक संकेत दिया है।
यदि आगामी वर्ष भी ऐसा ही मानसून रहता है, तो बीसलपुर परियोजना राजस्थान के जल प्रबंधन मॉडल का सबसे सफल उदाहरण साबित हो सकती है। फिलहाल 74 दिनों से लगातार छलकता बांध यह संदेश दे रहा है कि आने वाले दो साल तक इन जिलों में पानी की कोई कमी नहीं रहने वाली।


