शोभना शर्मा। बीकानेर जिले की 94 वर्षीय एथलीट पाना देवी गोदारा, जिन्हें प्यार से ‘गोल्डन दादी’ कहा जाता है, ने एक बार फिर भारत का नाम अंतरराष्ट्रीय मंच पर रोशन किया है। चेन्नई में आयोजित 23वीं एशियन मास्टर एथलेटिक चैंपियनशिप में उन्होंने चार गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। गोल्डन दादी ने 100 मीटर दौड़, शॉट पुट, जैवलिन थ्रो और डिस्कस थ्रो में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम किए। 94 साल की उम्र में भी उनकी फुर्ती और फिटनेस देखकर हर कोई हैरान है।
बीकानेर पहुंचने पर हुआ जोरदार स्वागत
जब पाना देवी गोदारा बीकानेर लौटीं, तो रेलवे स्टेशन से लेकर उनके घर तक लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। आम नागरिकों, खेल प्रेमियों और समाज के विभिन्न वर्गों ने उनका फूलमालाओं से स्वागत किया। लोगों ने ‘गोल्डन दादी अमर रहें’ के नारे लगाते हुए उनके सम्मान में जुलूस निकाला। बीकानेर के लोगों के लिए यह गर्व का क्षण था कि उनके शहर की एक वरिष्ठ महिला खिलाड़ी ने न केवल भारत का झंडा ऊंचा किया, बल्कि यह साबित किया कि उम्र केवल एक संख्या है।
अनुशासित जीवन और देसी खानपान उनकी सफलता की कुंजी
पाना देवी का जीवन बेहद सादा और अनुशासित है। वे रोजाना सुबह जल्दी उठती हैं, व्यायाम करती हैं और अपने घर के काम खुद संभालती हैं। वे अब भी अपने पशुओं की देखभाल स्वयं करती हैं। उनकी सेहत और ऊर्जा का रहस्य है — बाजरे की रोटी, देसी घी और दूध। पाना देवी बताती हैं कि वे किसी दवा पर निर्भर नहीं हैं। नियमित व्यायाम और संतुलित भोजन से ही वे इतनी उम्र में भी चुस्त-दुरुस्त हैं।
आर्थिक स्थिति बनी बाधा, विदेश यात्रा पर संशय
हालांकि पाना देवी की उपलब्धियां प्रेरणादायक हैं, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं है। पिछली बार वे स्वीडन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में क्वालीफाई करने के बावजूद आर्थिक तंगी के कारण हिस्सा नहीं ले पाई थीं। इस बार भी उन्होंने एशियन स्तर पर क्वालीफाई कर लिया है, लेकिन विदेश यात्रा के लिए पर्याप्त आर्थिक सहायता नहीं मिली है। यदि उन्हें प्रायोजन या सरकारी मदद नहीं मिलती, तो संभव है कि वे अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा न ले सकें। खेल जगत से जुड़े लोगों का कहना है कि सरकार और निजी क्षेत्र को पाना देवी जैसी खिलाड़ियों की मदद आगे बढ़कर करनी चाहिए ताकि वे भारत का परचम विश्व स्तर पर लहरा सकें।
अब तक जीत चुकी हैं 16 गोल्ड मेडल
पाना देवी गोदारा अब तक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुल 16 गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं। उन्होंने पिछले वर्ष बेंगलुरु में आयोजित 45वीं नेशनल मास्टर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी शॉट पुट, 100 मीटर दौड़ और डिस्कस थ्रो में स्वर्ण पदक जीते थे। उन्होंने बताया कि “खेल मेरे जीवन का हिस्सा है। जब तक सांस है, मैं खेलना और देश का नाम रोशन करना चाहती हूं।”
“मजबूत इच्छाशक्ति हर उम्र में सफलता दिला सकती है”
पाना देवी की कहानी केवल खेल उपलब्धियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक प्रेरणा है उन सभी लोगों के लिए जो उम्र या परिस्थितियों को अपनी सीमाएं मान लेते हैं। उन्होंने यह साबित किया है कि इच्छाशक्ति, अनुशासन और निरंतर अभ्यास से हर उम्र में सफलता पाई जा सकती है। बीकानेर में उन्हें “गोल्डन दादी” के नाम से जाना जाता है क्योंकि उन्होंने जीवन के हर पड़ाव पर यह दिखाया कि हौसले उम्र के नहीं, दिल के होते हैं।
बीकानेर प्रशासन और खेल विभाग से सम्मान की मांग
स्थानीय खेल प्रेमियों और सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि पाना देवी गोदारा को राज्य और केंद्र सरकार की ओर से विशेष सम्मान और आर्थिक सहायता दी जाए। उनका कहना है कि इस उम्र में भी जो खिलाड़ी देश के लिए मेडल जीत रही हैं, उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान और समर्थन मिलना चाहिए। बीकानेर जिला खेल अधिकारी ने भी कहा कि गोल्डन दादी की उपलब्धियां युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा हैं और विभाग उनकी उपलब्धियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रस्ताव भेजेगा।


