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पंचायत-निकाय चुनाव पर हाईकोर्ट के फैसले के बाद मंत्री झाबर सिंह खर्रा का बड़ा बयान

पंचायत-निकाय चुनाव पर हाईकोर्ट के फैसले के बाद मंत्री झाबर सिंह खर्रा का बड़ा बयान

मनीषा शर्मा। राजस्थान में पंचायत और शहरी निकाय चुनाव को लेकर लंबे समय से चले आ रहे विवाद और कानूनी अड़चनों के बीच शुक्रवार को राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि पंचायती राज संस्थाओं और शहरी निकायों के परिसीमन की प्रक्रिया 31 दिसंबर 2025 तक पूरी की जाए और चुनाव 15 अप्रैल 2026 तक हर हाल में कराए जाएं। इस फैसले के बाद राज्य की राजनीति और प्रशासनिक हलचल तेज हो गई है।

फैसले के तुरंत बाद स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भजनलाल सरकार चुनाव कराने के लिए पहले भी तैयार थी और अब भी पूरी तरह तैयार है। उन्होंने बताया कि निकायों के वार्डों के पुनर्गठन और परिसीमन की अधिसूचना सरकार पहले ही जारी कर चुकी है। अब आगे की जिम्मेदारी ओबीसी आयोग और चुनाव आयोग की है, जिन्हें समय पर अपना कार्य पूरा करना होगा। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के आदेशों की पालना कराना चुनाव आयोग का दायित्व है और आदेश की प्रति मिलने पर सरकार विस्तृत अध्ययन कर आगे की रणनीति तय करेगी।

कोर्ट का आदेश—चुनाव टाले नहीं जा सकते

राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ, जिसमें कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा और न्यायाधीश संजीत पुरोहित शामिल थे, ने चुनाव को लेकर लंबित 439 याचिकाओं का निस्तारण किया। अदालत ने स्पष्ट कहा कि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार पंचायत और निकायों का पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के बाद चुनाव किसी भी स्थिति में टाले नहीं जा सकते। सरपंच और अन्य जनप्रतिनिधि सामान्य नागरिक माने जाते हैं, इसलिए उनका कार्यकाल खत्म होने के बाद उन्हें प्रशासनिक अधिकार नहीं सौंपे जा सकते।

याचिकाकर्ताओं की ओर से यह भी दलील दी गई थी कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार चुनाव केवल प्राकृतिक आपदा की स्थिति में ही टाले जा सकते हैं। इसके साथ ही यह भी कहा गया कि परिसीमन को लेकर सरकार द्वारा बनाई गई गाइडलाइन का सही तरह पालन नहीं किया गया है। कुछ याचिकाओं में वार्ड समाप्त होने के बाद प्रधान को हटाने पर भी आपत्ति जताई गई थी।

अदालत ने इन सब दलीलों पर विचार करते हुए कहा कि परिसीमन प्रक्रिया से जुड़ी शिकायतों को अब राज्य स्तरीय समिति देखेगी और परिसीमन की अधिसूचना को दोबारा कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकेगी।

कोर्ट की तीखी टिप्पणी—सरकार कब तक चुनाव लटकाए रखना चाहती है?

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि चुनाव किस तारीख तक कराए जा सकते हैं। महाधिवक्ता इस पर स्पष्ट उत्तर नहीं दे सके। इस पर कोर्ट ने टिप्पणी की कि सरकार आखिर कब तक चुनाव लटकाए रखना चाहती है?

कोर्ट ने पहले 31 मार्च तक चुनाव कराने के निर्देश दिए, लेकिन सरकार की ओर से बोर्ड परीक्षाओं का हवाला देने पर कोर्ट ने 15 दिन की अतिरिक्त मोहलत देते हुए 15 अप्रैल 2026 तक चुनाव कराने का अंतिम समय तय कर दिया। इसके साथ तीन सदस्यीय राज्य स्तरीय समिति से परिसीमन की प्रक्रिया तेजी से पूरी करने का निर्देश भी दिया गया।

राज्य सरकार का पक्ष—वन स्टेट, वन इलेक्शन पर भी काम जारी

राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि प्रदेश में वन स्टेट-वन इलेक्शन की संभावना का परीक्षण किया जा रहा है और इसके लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई गई है।

इसके साथ ही कई जिलों के पुनर्गठन और सीमाओं के निर्धारण का काम भी चल रहा है, जिसकी वजह से कई पंचायतों और नगर निकायों के परिसीमन की प्रक्रिया प्रभावित हुई है। सरकार ने यह भी कहा कि पंचायती राज कानून के प्रावधानों के तहत सरकार प्रशासन लगाने के लिए सक्षम है।

मंत्री झाबर सिंह खर्रा का दोहराया बयान

मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने दोहराया कि सरकार पहले भी चुनाव के लिए तैयार थी और अब भी पूरी तरह तैयार है। परिसीमन की अधिसूचना जारी की जा चुकी है और अब आगे की प्रक्रिया आयोगों के स्तर पर पूरी की जानी है। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के आदेशों को ध्यान में रखते हुए सरकार उचित निर्णय जल्द लेगी।

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