मनीषा शर्मा। राजस्थान हाईकोर्ट ने यौन उत्पीड़न के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे स्वयंभू संत आसाराम बापू (Asaram Bapu) को बड़ी राहत दी है। बुधवार को न्यायालय ने उनकी 6 महीने की अंतरिम जमानत (Interim Bail) मंजूर कर दी। अदालत ने यह राहत आसाराम की बढ़ती उम्र और बिगड़ते स्वास्थ्य को देखते हुए दी है। इस फैसले से आसाराम को जेल से बाहर इलाज कराने की अनुमति मिल गई है। कोर्ट के आदेश के अनुसार, अंतरिम जमानत की यह अवधि छह महीने तक प्रभावी रहेगी।
अदालत में क्या हुई सुनवाई
यह मामला राजस्थान हाईकोर्ट की बेंच — एक्टिंग चीफ जस्टिस संजय प्रकाश शर्मा और जस्टिस संगीता शर्मा — के समक्ष आया। बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुनाया। आसाराम की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत ने पैरवी की। उन्होंने अदालत के समक्ष आसाराम की उम्र (86 वर्ष) और उनकी गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों का हवाला देते हुए कहा कि उन्हें तत्काल चिकित्सीय राहत दी जानी चाहिए। वहीं, राज्य सरकार की ओर से वकील दीपक चौधरी और पीड़िता की ओर से वकील पीसी सोलंकी ने मामले का विरोध किया। उनका कहना था कि आसाराम पहले भी अपनी बीमारी का हवाला देकर राहत मांग चुके हैं, लेकिन जमानत मिलने पर उन्होंने इलाज के अलावा अन्य गतिविधियों में भाग लिया था। इसके बावजूद, अदालत ने यह मानते हुए कि उनकी सेहत लगातार गिर रही है, मानवीय आधार पर छह महीने की अंतरिम जमानत देने का निर्णय लिया।
7 अक्टूबर को नहीं मिली थी राहत
इससे पहले 7 अक्टूबर 2025 को आसाराम की सजा स्थगन और इलाज की अवधि बढ़ाने की याचिका पर सुनवाई नहीं हो सकी थी। तब संबंधित न्यायाधीश ने “एक्सेप्शन नॉट बिफोर मी” (Exception Not Before Me) का हवाला देकर सुनवाई से इनकार कर दिया था। इस वजह से मामला दूसरी बेंच को भेजा गया और आसाराम को तत्काल राहत नहीं मिली थी। उस समय उन्हें जोधपुर के एक प्राइवेट आयुर्वेदिक अस्पताल से इलाज करवाने के बाद दोबारा जोधपुर सेंट्रल जेल लौटना पड़ा था।
कौन हैं आसाराम और क्या है मामला?
आसाराम बापू, जिन्हें उनके अनुयायी “संत” के रूप में जानते हैं, वर्ष 2013 में एक नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के मामले में गिरफ्तार किए गए थे। 2018 में जोधपुर की विशेष अदालत ने उन्हें दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। यह मामला उस समय सुर्खियों में आया जब पीड़िता ने आसाराम पर उनके आश्रम में यौन शोषण का आरोप लगाया था। जांच और सुनवाई के बाद कोर्ट ने पाया कि आरोप साबित होते हैं और उन्हें आईपीसी की धारा 376, 506 और पॉक्सो एक्ट की धाराओं के तहत सजा दी गई। आसाराम पिछले सात वर्षों से जोधपुर सेंट्रल जेल में सजा काट रहे हैं। उनके खिलाफ देशभर में अन्य राज्यों में भी अलग-अलग यौन शोषण के मामले दर्ज हैं, जिनमें सुनवाई जारी है।
आसाराम की सेहत बनी चिंता का विषय
86 वर्षीय आसाराम की सेहत लंबे समय से खराब बताई जा रही है। उनके वकील ने अदालत को बताया कि वह प्रोस्टेट कैंसर, हृदय संबंधी बीमारियों, हाई ब्लड प्रेशर, और आर्थराइटिस से पीड़ित हैं। वकील ने दलील दी कि जेल की स्वास्थ्य सुविधाएं उनकी बीमारी के अनुरूप नहीं हैं और उन्हें लगातार निगरानी और विशेषज्ञ इलाज की जरूरत है। अदालत ने इस दलील को स्वीकार करते हुए कहा कि मानवीय दृष्टिकोण से उन्हें अस्थायी राहत मिलनी चाहिए ताकि वह अपना इलाज उचित स्थान पर करा सकें।
क्या रहे कोर्ट के आदेश
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि आसाराम को स्वास्थ्य कारणों से 6 महीने की अंतरिम जमानत दी जा रही है, लेकिन इस अवधि में वह कोई धार्मिक कार्यक्रम या जनसभा नहीं करेंगे। इसके अलावा, उन्हें इलाज की पूरी जानकारी जेल प्रशासन को देनी होगी। जमानत अवधि समाप्त होने से पहले उन्हें रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। जमानत अवधि पूरी होते ही उन्हें दोबारा जेल लौटना होगा। अगर इलाज के नाम पर किसी अन्य गतिविधि में शामिल होते हैं, तो उनकी जमानत तत्काल रद्द की जा सकती है।
राज्य सरकार और पीड़िता की दलीलें
राज्य सरकार की ओर से वकील दीपक चौधरी ने कहा कि आसाराम को पहले भी स्वास्थ्य आधार पर राहत मिली थी, लेकिन उन्होंने जमानत की शर्तों का पालन नहीं किया। वहीं, पीड़िता की ओर से वकील पीसी सोलंकी ने कहा कि आसाराम की जमानत से समाज में गलत संदेश जाएगा क्योंकि उन्होंने गंभीर अपराध किया है। उन्होंने कहा कि जेल में भी इलाज की पर्याप्त व्यवस्था है और उनके इलाज के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर पहले भी नियुक्त किए जा चुके हैं। फिर भी, अदालत ने कहा कि “न्याय का अर्थ केवल सजा देना नहीं, बल्कि मानवता को ध्यान में रखकर निर्णय करना भी है।”
आसाराम की सजा और कानूनी स्थिति
आसाराम वर्तमान में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। उनकी कई याचिकाएं पहले भी खारिज हो चुकी हैं — सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में उनकी नियमित जमानत याचिका ठुकराई थी। राजस्थान हाईकोर्ट ने 2023 में भी उनकी सजा स्थगन की अर्जी को नामंजूर किया था। यह पहला मौका है जब अदालत ने उनकी गंभीर स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए अंतरिम राहत दी है।


