शोभना शर्मा। राजस्थान की भजनलाल सरकार ने ट्रैफिक नियम तोड़ने वाले लाखों लोगों को बड़ी राहत देने की तैयारी कर ली है। राज्य सरकार ने फैसला किया है कि मोटर व्हीकल एक्ट के तहत ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर दर्ज किए गए करीब 7 लाख मुकदमों को वापस लिया जाएगा। गृह विभाग ने बताया कि सीआरपीसी की धारा 321 के तहत राज्य सरकार को ऐसे विचाराधीन मुकदमों को वापस लेने का अधिकार है। इसी अधिकार के तहत सरकार ने यह कदम उठाया है।
गृह विभाग के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अनुमति दे दी है, और जैसे ही लिखित आदेश जारी होंगे, सरकारी वकील कोर्ट में मुकदमे वापस लेने की अनुशंषा पेश करेंगे। इसके बाद प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
मुकदमे वापसी से मिलेगी राहत
प्रदेश के विभिन्न न्यायालयों में दर्ज 7 लाख से अधिक मुकदमे ऐसे हैं, जो ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन के चलते दर्ज हुए थे। इनमें अधिकतर मामले जुर्माना वसूलकर खत्म किए जा सकते हैं। कई बार इन मामलो की सुनवाई लंबी चलती है क्योंकि लोग तारीखों पर नहीं जाते या इन मामलों को गंभीरता से नहीं लेते। राज्य सरकार का यह निर्णय इन मुकदमों से लोगों को राहत देगा, और राज्य सरकार का लक्ष्य है कि जल्द से जल्द इन मुकदमों को खत्म कर लोगों को राहत प्रदान की जाए।
जुर्माना वसूली का रास्ता होगा आसान
ट्रैफिक नियम उल्लंघन पर दर्ज इन मुकदमों के तहत अधिकतर मामलों में कोर्ट सुनवाई के बाद जुर्माना तय करती है, और जुर्माना जमा कराने के बाद केस खत्म हो सकता है। हालांकि, कई बार लोगों के कोर्ट में हाजिर नहीं होने के कारण ये केस लंबे समय तक चल जाते हैं। मुकदमे वापस लेने से अब जुर्माना वसूली और मामले के निपटारे की प्रक्रिया भी तेज हो जाएगी।
आदेश जारी होते ही प्रक्रिया होगी शुरू
राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव हरिओम अत्री ने बताया कि राज्य सरकार को मुकदमों की मॉनिटरिंग की रिपोर्ट भेज दी गई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने भी अनुमति दे दी है। अब सरकार के लिखित आदेश जारी होने के बाद सभी मुकदमों को वापस लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। सरकारी वकील कोर्ट में जाकर मुकदमे वापसी की अनुशंषा पेश करेंगे, जिसके बाद कोर्ट इन मुकदमों को खत्म करने की प्रक्रिया पूरी करेगा।
सरकार का बड़ा कदम
राज्य सरकार का यह कदम प्रदेश में ट्रैफिक नियमों के उल्लंघन पर दर्ज मुकदमों की बढ़ती संख्या को देखते हुए उठाया गया है। सरकार का मानना है कि ऐसे मुकदमों को खत्म करने से न्यायालयों पर बोझ कम होगा और न्यायिक प्रक्रिया को तेज किया जा सकेगा। साथ ही, जुर्माना वसूलने का रास्ता भी साफ होगा।