मनीषा शर्मा, अजमेर । अजमेर की ऐतिहासिक तारागढ़ पहाड़ी पर शनिवार सुबह एक बड़े प्रशासनिक अभियान की शुरुआत हुई, जिसका उद्देश्य वन भूमि पर हो रहे अवैध अतिक्रमण को हटाना है। यह कार्रवाई अजमेर, टोंक, नागौर और भीलवाड़ा जिलों से जुटाई गई संयुक्त टीम द्वारा की जा रही है, जिसमें 250 से अधिक वनकर्मी, 900 पुलिसकर्मी, प्रशासनिक अधिकारी और श्रमिक शामिल हैं। सुबह 7 बजे से प्रारंभ हुए इस अभियान में वन विभाग और जिला प्रशासन ने मिलकर 268 कच्ची-पक्की दुकानों की पहचान की, जो वन भूमि पर अवैध रूप से बनाई गई थीं। इनमें से करीब 100 दुकानों को अब तक हटाया जा चुका है, जबकि शेष पर कार्यवाही जारी है।
व्यापक सुरक्षा प्रबंध और प्रशासनिक तैयारी
अभियान को शांतिपूर्ण और निष्पक्ष रूप से पूरा करने के लिए विशेष सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं। क्षेत्र में पुलिस बल की भारी तैनाती की गई है। पहाड़ी के चप्पे-चप्पे, छतों और मार्गों पर पुलिसकर्मी निगरानी कर रहे हैं। किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए पुलिस, वन विभाग और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर ही उपस्थित हैं। अजमेर कलेक्टर लोक बंधु के अनुसार, यह कार्रवाई पूरी तरह कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए की जा रही है। जिन दुकानों पर अदालती स्थगन आदेश (स्टे ऑर्डर) है, उन्हें फिलहाल नहीं छेड़ा जा रहा है। कुल 268 में से लगभग 60 दुकानों पर स्टे ऑर्डर है।
मीडिया को मौके पर जाने से रोका गया
अभियान के दौरान मीडिया को वहा पहुंचने की अनुमति नहीं दी गई है, हालांकि प्रशासन की ओर से फोटो और वीडियो फुटेज आधिकारिक रूप से साझा किए गए हैं, जिससे कार्रवाई की पारदर्शिता बनी रहे। प्रशासन का तर्क है कि मीडिया की उपस्थिति से भीड़ जुटने और कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका हो सकती थी। इसीलिए मीडिया की एंट्री पर रोक लगाई गई, ताकि कार्रवाई बिना किसी बाधा के पूर्ण हो सके।
ढाई दिन का झोपड़ा क्षेत्र भी निगरानी में
संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए ढाई दिन का झोपड़ा क्षेत्र भी पुलिस निगरानी में रखा गया है। यह स्थान तारागढ़ पहाड़ी मार्ग से जुड़ा हुआ है, इसलिए प्रशासन ने यहां से किसी भी प्रकार की आवाजाही पर नियंत्रण बनाए रखने का निर्णय लिया है।
अतिक्रमण की प्रकृति और प्रभाव
यह सभी अवैध दुकानें मीठा नीम दरगाह से लेकर बड़ा पीर दरगाह रोड तक फैली हुई थीं। यह क्षेत्र पर्यटन और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, लेकिन पिछले कई वर्षों से यहां वन भूमि पर अवैध अतिक्रमण बढ़ता जा रहा था। दुकानों की मौजूदगी ने न केवल वन्य पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया, बल्कि यातायात और सुरक्षा के लिहाज से भी चुनौतीपूर्ण स्थिति उत्पन्न कर दी थी।
सेक्टर मजिस्ट्रेट की निगरानी में चल रही है कार्रवाई
कार्रवाई को व्यवस्थित रूप से अंजाम देने के लिए प्रशासन ने छह टीमों का गठन किया है, जिनके प्रभारी सेक्टर मजिस्ट्रेट हैं। ये अधिकारी पूरी कार्रवाई पर नजर रख रहे हैं और सुनिश्चित कर रहे हैं कि किसी भी निर्दोष को नुकसान न पहुंचे।
प्रशासन का दावा: कानूनी रूप से की गई तैयारी
वन विभाग और जिला प्रशासन का कहना है कि इस अभियान से पहले समुचित नोटिस, सर्वे और कानूनी प्रक्रियाएं पूरी की गई थीं। इसके बाद ही यह कदम उठाया गया। विभाग का उद्देश्य केवल वन भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराना है, न कि किसी समुदाय या व्यवसाय विशेष को निशाना बनाना।
आगे की योजना
अब तक 100 से अधिक दुकानें हटा दी गई हैं, और शेष पर कार्यवाही अगले कुछ दिनों में पूरी कर ली जाएगी। प्रशासन का कहना है कि यह स्थायी समाधान की दिशा में उठाया गया कदम है। अभियान को लेकर अब तक कोई विरोध या हिंसा की स्थिति उत्पन्न नहीं हुई है, और क्षेत्र में पूर्ण शांति बनी हुई है।