मनीषा शर्मा। राजस्थान में चीता लैंडस्केप परियोजना को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं। रणथंभौर में 29 नवंबर को राजस्थान और मध्य प्रदेश के वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में धौलपुर से रावतभाटा तक करीब 400 किलोमीटर लंबा चीता कॉरिडोर बनाने की योजना पर गहन विचार-विमर्श हुआ। राजस्थान सरकार ने 2024-25 के बजट में इस महत्वाकांक्षी परियोजना की घोषणा की थी। इसके तहत चीतों को बसाने, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने और कॉरिडोर एवं सफारी बनाने की योजनाएं शामिल हैं।
चीता लैंडस्केप परियोजना का उद्देश्य
राजस्थान में चीतों की पुनर्स्थापना के लिए यह परियोजना देश में वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहल है। इस परियोजना के तहत:
- चीतों के सुरक्षित आवास के लिए कॉरिडोर का निर्माण।
- राजस्थान में चीतों के विचरण और पर्यटन को बढ़ावा देना।
- गांधी सागर, भैंसरोडगढ़, और चंबल अभयारण्यों को जोड़ना।
- कूनो नेशनल पार्क (मध्य प्रदेश) और राजस्थान के बीच पर्यावरणीय समन्वय स्थापित करना।
रणथंभौर में बैठक के मुख्य बिंदु
रणथंभौर की बैठक में राजस्थान और मध्य प्रदेश के वन अधिकारियों ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की:
- चीता कॉरिडोर का निर्माण
- धौलपुर से रावतभाटा तक लगभग 400 किमी का वन क्षेत्र।
- कॉरिडोर को कूनो नेशनल पार्क से जोड़ने की योजना।
- कॉरिडोर के वन्यजीवों और भोजन श्रृंखला पर संभावित प्रभाव।
- एमओयू का ड्राफ्ट तैयार करना
- मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच समझौता ज्ञापन (MoU) तैयार करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति।
- चीतों के संरक्षण के लिए व्यावहारिक अध्ययन।
- संयुक्त पर्यटन रूट
- कूनो नेशनल पार्क और रणथंभौर के बीच पर्यटन मार्ग विकसित करने की योजना।
- पर्यटकों के लिए चीता सफारी और जैव विविधता पर आधारित पर्यटन।
- चीतों के प्रवास का प्रबंधन
- कूनो से राजस्थान में भटककर आने वाले चीतों के लिए रणनीतियां।
- चीतों के प्राकृतिक आवास और उनके भोजन का अध्ययन।
- एक्सपर्ट कमेटी का गठन
- विशेषज्ञों की समिति बनाने का निर्णय।
- समिति की रिपोर्ट के आधार पर एमओयू का अंतिम मसौदा तैयार होगा।
चीता लैंडस्केप से जुड़े संभावित लाभ
- पर्यावरण संरक्षण:
चीतों की बसावट से पर्यावरण और पारिस्थितिक तंत्र में संतुलन स्थापित होगा। - पर्यटन बढ़ावा:
चीता सफारी और कॉरिडोर के माध्यम से राजस्थान में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। - रोजगार के अवसर:
स्थानीय समुदायों को रोजगार मिलेगा, जिससे उनकी आजीविका में सुधार होगा। - वन्यजीव संरक्षण:
अन्य वन्यजीवों के साथ सामंजस्य बैठाते हुए चीतों के संरक्षण का प्रयास।
बैठक में शामिल मुख्य अधिकारी और विशेषज्ञ
रणथंभौर की बैठक में कई महत्वपूर्ण अधिकारी और विशेषज्ञ शामिल हुए:
- राजस्थान और मध्य प्रदेश के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक।
- एपीसीसीएफ (वाइल्डलाइफ) राजेश गुप्ता।
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के प्रतिनिधि।
- भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII), देहरादून के विशेषज्ञ।
- कूनो नेशनल पार्क के क्षेत्रीय अधिकारी।
परियोजना के अंतर्गत मुख्य अभयारण्य
राजस्थान में चीतों की बसावट के लिए कई महत्वपूर्ण अभयारण्य शामिल किए जाएंगे जिनमे गांधी सागर अभयारण्य, भैंसरोडगढ़ अभयारण्य, चंबल अभयारण्य,, चित्तौड़गढ़ के जंगल शामिल हैं। इन अभयारण्यों को कूनो नेशनल पार्क से जोड़ने के लिए वन क्षेत्र को विकसित किया जाएगा।
चीता संरक्षण में चुनौतियां और संभावनाएं
चीतों के भोजन श्रृंखला को बनाए रखना, मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करना, कॉरिडोर क्षेत्र में वन्यजीवों की गतिविधियों पर निगरानीआदि इस परियोजना की विशेष चुनौतियां हैं। वहीं वन्यजीव पर्यटन को बढ़ावा, जैव विविधता के संरक्षण में योगदान, राजस्थान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वन्यजीव संरक्षण में पहचान दिलाना आदि इस परियोजना के लिए विशेष संभावनाएं हैं।
राजस्थान में चीता लैंडस्केप: भविष्य की दृष्टि
राजस्थान सरकार का उद्देश्य चीतों के माध्यम से राज्य को पर्यावरणीय और पर्यटन क्षेत्र में अग्रणी बनाना है। इस परियोजना से न केवल पर्यावरण संरक्षण को बल मिलेगा, बल्कि यह सतत विकास की दिशा में भी एक बड़ा कदम होगा।